सोनभद्र | आशीष गुप्ता / सोन प्रभात न्यूज
ऑल इंडिया रौनियार वैश्य समाज के संस्थापक व अध्यक्ष डा. ए.के. गुप्ता (रौनियार) ने केंद्र सरकार से उत्तर प्रदेश के रौनियार समाज को केंद्र की ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) सूची में तत्काल शामिल करने की मांग की है। इस संबंध में उन्होंने महामहिम राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री, राज्यपाल सहित देश के कई उच्च पदस्थ अधिकारियों को रजिस्टर्ड डाक से पत्र भेजकर समाज की पीड़ा और वास्तविकता से अवगत कराया है।
❝ यूपी में रौनियार ओबीसी, लेकिन केंद्र में सामान्य – यह कैसा अन्याय? ❞
डा. गुप्ता ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा कि उत्तर प्रदेश में रौनियार समाज को राज्य ओबीसी श्रेणी में रखा गया है, लेकिन केंद्र सरकार की ओबीसी सूची में इसे शामिल नहीं किया गया है। परिणामस्वरूप, प्रदेश के लाखों छात्र-छात्राएं केंद्र सरकार द्वारा जारी होने वाले ओबीसी प्रमाण पत्र से वंचित हैं, जिससे उन्हें उच्च शिक्षा संस्थानों में प्रवेश एवं सरकारी नौकरियों में आरक्षण का लाभ नहीं मिल पा रहा।

उन्होंने सवाल उठाया कि जब झारखंड (क्रमांक 122) और बिहार (क्रमांक 83) जैसे राज्यों में रौनियार जाति को केंद्र की ओबीसी सूची में शामिल किया गया है, तो उत्तर प्रदेश के लोगों को इससे क्यों वंचित रखा गया है?
छात्रों का भविष्य संकट में
डा. गुप्ता ने बताया कि केंद्र की ओबीसी सूची में नाम न होने के कारण रौनियार समाज के होनहार विद्यार्थी उच्च शिक्षा, प्रतियोगी परीक्षाओं और अन्य अवसरों से लगातार वंचित हो रहे हैं। यह न केवल शिक्षा के अधिकार का उल्लंघन है, बल्कि सामाजिक न्याय की भावना के भी विपरीत है।
उन्होंने कहा कि सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े इस समाज को उसका हक मिलना बेहद जरूरी है। केंद्र द्वारा प्रमाण पत्र न मिलने से समाज के युवा हतोत्साहित हो रहे हैं और उनके उज्जवल भविष्य पर संकट मंडरा रहा है।
भेदभाव के खिलाफ पत्राचार
ऑल इंडिया रौनियार वैश्य समाज की ओर से यह मांग पत्र निम्न प्रमुख पदाधिकारियों को भेजा गया है:
- महामहिम राष्ट्रपति, भारत सरकार
- प्रधानमंत्री, भारत सरकार
- केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री
- राज्यपाल, उत्तर प्रदेश
- मुख्यमंत्री, उत्तर प्रदेश
- अध्यक्ष, लोकसभा एवं राज्यसभा
- अध्यक्ष, राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग
इन पत्रों में स्पष्ट मांग की गई है कि उत्तर प्रदेश में निवासरत रौनियार जाति को भी केंद्र की ओबीसी सूची में अन्य राज्यों की भांति तत्काल सम्मिलित किया जाए ताकि उन्हें भी सामाजिक न्याय और आरक्षण का पूर्ण लाभ मिल सके।
एक नजर में: क्या है मांग
🔸 उत्तर प्रदेश में रौनियार जाति राज्य सूची में ओबीसी, लेकिन केंद्र सूची में नहीं
🔸 बिहार और झारखंड में केंद्र सरकार की सूची में रौनियार जाति पहले से ही शामिल
🔸 केंद्र सूची में शामिल न होने से प्रमाण पत्र नहीं मिल रहा, शिक्षा और नौकरी में हो रहा नुकसान
🔸 रौनियार समाज के छात्रों का भविष्य बनाम आरक्षण की अधूरी नीति
निष्कर्ष
डा. ए.के. गुप्ता (रौनियार) द्वारा उठाई गई यह मांग केवल एक समाज की नहीं, बल्कि सामाजिक न्याय और समानता की आवाज है। यदि एक ही जाति को अलग-अलग राज्यों में अलग दर्जा दिया जाएगा, तो यह नीति स्पष्ट रूप से असमानता और भेदभाव को जन्म देगी। अब देखना यह है कि केंद्र सरकार इस न्यायिक मांग पर कितना शीघ्रता से संज्ञान लेती है।

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