सोनभद्र, सोनप्रभात संवाददाता – वेदव्यास सिंह मौर्य
सोनभद्र जिले के नगवां विकास खंड अंतर्गत जल जीवन मिशन की नल-जल योजना पूरी तरह से ठप हो गई है। इस योजना के अंतर्गत कार्यरत लगभग 50 श्रमिक (आपरेटर) पिछले छः महीने से वेतन न मिलने के कारण हड़ताल पर चले गए हैं, जिससे 284 गांवों में पीने के पानी की आपूर्ति पूरी तरह से बंद हो गई है।
गर्मी के इस भीषण मौसम में पानी की इस किल्लत ने लोगों की जीवनरेखा पर असर डाल दिया है। गांव-गांव में त्राहिमाम की स्थिति है और ग्रामीणों को अब पानी के लिए इधर-उधर भटकना पड़ रहा है।
धरने पर उतरे श्रमिक, प्रोजेक्ट मैनेजर की नहीं मानी बात
पिछले बुधवार को श्रमिकों ने तेनूडाही स्थित परियोजना कार्यालय के बाहर धरना प्रदर्शन कर विरोध जताया। उनका कहना है कि लगातार छह महीने से न वेतन मिला है, न ही भविष्य को लेकर कोई आश्वासन।
गुरुवार को प्रोजेक्ट मैनेजर ने स्वयं पहुंच कर श्रमिकों को समझाने की कोशिश की, लेकिन उनका कहना था कि जब तक लंबित वेतन का भुगतान नहीं किया जाता, वे कार्य पर नहीं लौटेंगे।

नल-जल योजना के ठप होने से गांवों में हाहाकार
‘हर घर जल योजना’ के तहत नगवां ब्लॉक के सैकड़ों गांवों में पानी की आपूर्ति नलों के माध्यम से होती थी। लेकिन श्रमिकों की हड़ताल और योजनागत लापरवाही के चलते अब पूरा नगवां ब्लॉक जल संकट की चपेट में आ चुका है।
गांवों में लगे हैंडपंप भी या तो खराब हैं या पर्याप्त पानी नहीं दे रहे, जिससे हालात और बदतर हो गए हैं। कई गांवों में महिलाओं और बच्चों को कई किलोमीटर दूर जाकर पानी लाना पड़ रहा है।
ग्रामीणों में आक्रोश, प्रशासन पर उठे सवाल
ग्रामीणों का कहना है कि “जब शासन हर घर में नल से जल देने की बात करता है, तो फिर श्रमिकों को समय से वेतन क्यों नहीं मिलता?”
वहीं ग्राम प्रधानों और स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने भी जिला प्रशासन से जल्द कार्रवाई की मांग की है।
यदि शीघ्र वेतन भुगतान कर योजना बहाल नहीं की गई, तो यह स्थिति जन आंदोलन का रूप ले सकती है।
कौन है जिम्मेदार?
इस जल संकट की स्थिति के लिए सबसे बड़ा सवाल यही उठता है कि—
अगर छह महीने से वेतन नहीं दिया जा रहा था, तो उच्चाधिकारियों को इसकी जानकारी क्यों नहीं थी?
क्या स्थानीय प्रशासन, जल निगम और संबंधित विभाग इतने उदासीन हो गए हैं कि आम जनता को संकट में छोड़ दिया गया?
शासन-प्रशासन को चेतावनी
यदि जल जीवन मिशन के संचालन में लगे श्रमिकों को शीघ्र वेतन न दिया गया, और पानी की आपूर्ति बहाल नहीं की गई, तो स्थिति और भयावह हो सकती है।
जल संकट के कारण स्वास्थ्य समस्याएं, स्कूलों में बच्चों की उपस्थिति में कमी, और महिलाओं की दिनचर्या पर भारी असर देखने को मिल रहा है।
जनता की पुकार – पानी दो!
इस संकट को लेकर गांव-गांव से एक ही आवाज उठ रही है –
“हमें राजनीति नहीं, पानी चाहिए।”
अब यह देखना शेष है कि शासन और प्रशासन कब जागते हैं और इस भयावह संकट का समाधान करते हैं।

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