सिंगरौली – Suresh Gupt “Gwaliyari”/ Sonprabhat News
03 अगस्त को एनटीपीसी विंध्यनगर स्थित विंध्य क्लब में गहोई वैश्य समाज, सिंगरौली द्वारा राष्ट्र कवि, पूर्व राज्यसभा सदस्य, पद्म भूषण से सम्मानित साहित्य सम्राट मैथिलीशरण गुप्त जी की 139वीं जयंती समारोहपूर्वक मनाई गई। इस अवसर पर समाज के विभिन्न क्षेत्रों से पधारे गणमान्य अतिथियों व साहित्यप्रेमियों की उपस्थिति रही।
कार्यक्रम की शुरुआत राष्ट्र कवि के चित्र पर माल्यार्पण कर हुई, जिसमें ऊर्जांचल एवं कोयलांचल क्षेत्र के गहोई वैश्य समाज के अनेक बंधुओं ने सहभागिता की। समिति के जिला अध्यक्ष जगदीश कटारे ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि “हम गर्वित हैं कि दद्दा जी जैसे महामनीषी का जन्म हमारे समाज में हुआ। उनकी लेखनी ने न केवल समाज, बल्कि समूचे राष्ट्र को गौरवान्वित किया है।”

समारोह में वरिष्ठ साहित्यकार सुरेश गुप्त ‘ग्वालियरी’ ने अपनी स्वरचित कविता “हे कुल गौरव! हे राष्ट्र कवि! हे वीणापाणि के नन्दन! हे राष्ट्र भक्ति के महानायक! करते तेरा पूजा वंदन!!” का पाठ कर राष्ट्रकवि को काव्यांजलि अर्पित की।
मुख्य अतिथि, वरिष्ठ नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. राजेश सेठ ने अपने उद्बोधन में मैथिलीशरण गुप्त को खड़ी बोली के प्रथम महत्त्वपूर्ण कवि बताते हुए कहा कि “उनकी रचनाओं में नैतिकता, परंपरा, पवित्रता और मानवीय संबंधों की गहराई देखने को मिलती है।”
कार्यक्रम के सचिव गौरव गुप्ता (इंप्रेशन वर्ड) ने उनकी प्रसिद्ध काव्य कृतियों जैसे भारत भारती, साकेत, पंचवटी आदि पर प्रकाश डालते हुए कहा कि “उनकी कविताएं राष्ट्रभक्ति, अध्यात्म, नारी विमर्श, कृषक जीवन और सामाजिक मूल्यों की अमिट छाप छोड़ती हैं।”
संचालन कर रहे निखिल गुप्ता (इंजीनियर, एनटीपीसी) ने बताया कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने स्वयं उन्हें ‘राष्ट्रकवि’ की उपाधि दी थी। उन्हें पद्म भूषण सहित कई प्रतिष्ठित सम्मानों से नवाज़ा गया।
धीरज गुप्ता (सुरक्षा अधिकारी, रिलायंस) ने उनकी काव्य कृति पंचवटी से “चारु चंद्र की चंचल किरणें…” का पाठ कर उपस्थितजनों को प्रकृति सौंदर्य में डुबो दिया। वहीं विपिन गुप्ता (इंजीनियर) ने “नर हो न निराश करो मन को” जैसे प्रेरणादायक कविता का पाठ कर दद्दा जी की जीवनी पर प्रकाश डाला।
कार्यक्रम में बीना, शक्तिनगर, बेधन, विंध्यनगर, मोरवा आदि स्थानों से पधारे वैश्य समाज के बंधुओं ने राष्ट्रकवि को श्रद्धांजलि अर्पित की एवं अपने अनुभव साझा किए।
इस अवसर पर दिनेश चंद्र कुचिया, डॉ. राजेश सेठ, विपिन सेठ, कृपा शंकर कटारे, अनिल कस्तवार, धीरज गुप्ता, निखिल गुप्ता, बृज किशोर महतेले, सुरेश गुप्त ‘ग्वालियरी’, आशीष गुप्ता, गौरव नौगरइया सहित बड़ी संख्या में मातृशक्ति की उपस्थिति विशेष रूप से उल्लेखनीय रही।
कार्यक्रम समापन पर राष्ट्रकवि की भावनाओं से ओतप्रोत वातावरण में उपस्थित जनसमूह ने उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित कर साहित्यिक परंपरा को जीवंत बनाए रखने की प्रतिज्ञा ली।

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