एक पेड़ मां के नाम अभियान के तहत रौप में जन चौपाल का आयोजन।

संवाददाता–संजय सिंह

एक पेड़ माँ के नाम 2.0 प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुरू की गई एक महत्वपूर्ण पर्यावरणीय पहल है जिसका उद्देश्य लोगों को पेड़ लगाने के लिए प्रोत्साहित करना है। साथ ही पर्यावरण के सम्मान में पौधे की उत्तरजीविता को भी सुनिश्चित करना है उसी अभियान के तहत आज गुरुवार को पंचायत भवन रौप के सभागार में वन विभाग राबर्ट्सगंज रेंज द्वारा जन चौपाल लगाया गया जहा वन दरोगा चंदन द्वारा यह बताया गया कि आज के परिवेश में पेड़ लगाना कितना महत्वपूर्ण है केवल पेड़ लगाना ही महत्वपूर्ण नहीं है, बल्कि पौधे की देखभाल करना ओर अधिक महत्वपूर्ण है, ताकि वे जीवन पर्यंत जीवित रह सकें। उन्होंने उपस्थित जनसमूह को उन क्षेत्रों के बारे में भी बताया जहां पौधे लगाए जाने हैं।


वन दरोगा बबुआ यादव ने जनसमूह को पेड़ लगाने के लिए जागरूक करते हुए बताया कि वृक्ष हमारी भारतीय संस्कृति के अभिन्न अंग हैं। ये आस्था की छाया और सांसों के साधक हैं। अशोक वाटिका में देवी सीता की पीड़ा को वृक्षों की संवेदना से सहारा मिला था। महाभारत की कथा में अर्जुन वृक्षों की छाया में ज्ञान प्राप्त करते हैं। बुद्ध ने बोधि वृक्ष के नीचे आत्मज्ञान पाया, और महावीर ने साल वृक्ष के नीचे मौन साधना की। महर्षि अगस्त्य की कुटी बेल से घिरी थी। महाकालेश्वर भी बेलपत्र की ठंडी सांसों से तृप्त होते हैं। प्राचीन प्रयाग में याज्ञवल्क्य ने तपस्या पीपल तले की, और मिथिला की विद्यापति ने नीम के नीचे ज्ञान बांटा। आज भी तुलसी के पौधे में लक्ष्मी बसती हैं, पीपल में विष्णु का वास होता है, और बरगद की छाया में मां का आंचल उतरता है। वृक्ष इस देश में देव भी हैं और द्वारपाल भी। इसलिए यहां वृक्षारोपण अभियान नहीं ‘आत्मबोध’ है। यह हरियाली नहीं भारत की सांस्कृतिक गवाही है जन चौपाल के दौरान वन दरोगा चंदन,वन दरोगा बबुआ यादव,कम्पोजीट विद्यालय रौप की प्रधानाध्यापिका मीना भारती, ग्राम प्रधान पूजा यादव, ग्राम प्रधान प्रतिनिधि इंद्रजीत यादव, संजय सिंह, विजय यादव, विनोद शुक्ला तथा ग्रामीण उपस्थित रहे।

 

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