- इमारती लकड़ियों में सबसे मजबूत माना जाता है सांखू का पेड़
म्योरपुर/सोनभद्र – Prashant Dubey – Sonprabhat News
वन प्रभाग रेणुकूट के म्योरपुर रेंज परिसर के नर्सरी में प्रदेश भर के नर्सरियों में प्रयोग असफल होने के बाद पहली बार नर्सरी तैयार करने में सफलता मिली है जिसे लेकर वन विभाग खुद को गदगद महसूस कर रहा है। सांखू पेड़ के तेजी से घट रहे जंगल को लेकर चिंतित वन विभाग को संजीवनी मिल गई है और अब नर्सरी तकनीकी तकनीकी को लेकर अगले सत्र में ज्यादा से ज्यादा नर्सरी तैयार होगी और अब वन विभाग इसे पौध रोपण में शामिल कर सकेगा।

इससे पर्यावरण सरंक्षण और दीर्घकालीन जंगल की सघनता को बढ़वा मिलेगा।वन विभाग सूत्रों की माने तो प्रदेश में इस समय 2586 नर्सरी है जहां विभिन्न प्रजातियों के करोड़ों पौधे हर साल तैयार किए जाते है।लेकिन इससे पहले सांखू की नर्सरी तैयार नहीं हो पाई थी।नर्सरी इंचार्ज और वन रक्षक सर्वेश यादव ने इसके लिए गहनता से अध्ययन किया और सफलता मिली। इसके अलावा चिरौंजी के नर्सरी और औषधीय पेड़ मेदा ,हजार साल जीने वाला खिरनी की नर्सरी भी तैयार की जा रही है। रेंजर जबर सिंह ने बताया कि कई प्रयोगों के बाद पता चला कि पेड़ में पकने के बाद सांखू के बीज को 24 घंटे के अंदर बीज को नर्सरी में डाल देने से सफलता मिली।अभी इसका बीज 100 में 30 फीसदी जमा है और लगभग 1हजार पौधे तैयार किए जा रहे है।
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