ग्राम पंचायत हर्रा में फर्जी भुगतान और भ्रष्टाचार का आरोप, पूर्व प्रधान ने की निष्पक्ष जांच की मांग.

रिपोर्ट – अनिल कुमार अग्रहरी / डाला, सोनभद्र

सोनभद्र। जहां एक ओर सरकार गांवों के समग्र विकास और पारदर्शिता पर जोर दे रही है, वहीं दूसरी ओर कुछ ग्राम पंचायतों में भ्रष्टाचार और फर्जी भुगतान के खेल से सरकारी योजनाओं की छवि धूमिल होती दिख रही है। विकास खंड चोपन अंतर्गत ग्राम पंचायत हर्रा में ऐसा ही एक मामला सामने आया है, जिसने स्थानीय स्तर पर हलचल मचा दी है।

पूर्व ग्राम प्रधान रामदुलारे गोंड ने वर्तमान ग्राम प्रधान अखिलेश यादव और पंचायत सचिव पर फर्जी रिबोर भुगतान और सरकारी धन के बंदरबांट का गंभीर आरोप लगाया है। उन्होंने बताया कि उनके ही नाम पर पुराने हैंडपंप को “रिबोर” दिखाकर लाखों रुपये का फर्जी भुगतान किया गया है।

पूर्व प्रधान ने बताया कि उनके घर के पास वर्ष 2020-21 में लगाए गए हैंडपंप के कार्य पर ₹82,447 का भुगतान बाउचर सं. 5THSFC/2020-21/P/8 से किया गया था। लेकिन वर्तमान प्रधान और सचिव की मिलीभगत से उसी हैंडपंप को दुबारा रिबोर दिखाकर ₹92,100 की धनराशि बाउचर सं. XVFC/2022-23/P/50 से निकाल ली गई।
उन्होंने कहा कि यह पूरी तरह से फर्जी और भ्रष्टाचारपूर्ण भुगतान है, जो सरकारी धन की लूट और वित्तीय अनियमितता की श्रेणी में आता है।

रामदुलारे गोंड ने बताया कि उन्हें इस फर्जीवाड़े की जानकारी तब हुई जब उन्होंने ई-ग्राम स्वराज पोर्टल पर अपने नाम से हुए भुगतान का विवरण देखा। उन्होंने इस मामले की शिकायत संबंधित अधिकारियों से करते हुए कहा कि —

“अगर निष्पक्ष जांच हो तो ग्राम पंचायत हर्रा में और भी कई फर्जी भुगतान और भ्रष्टाचार के मामले उजागर होंगे।”

उन्होंने मांग की कि सहायक विकास अधिकारी (एडीओ पंचायत) की प्रारंभिक जांच में तथ्य सही पाए गए हैं, इसलिए अब दोषियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जानी चाहिए और गैरकानूनी भुगतान की राशि तत्काल वसूली की जाए।

स्थानीय ग्रामीणों ने भी पंचायत में व्याप्त भ्रष्टाचार पर नाराजगी जताई है और प्रशासन से पारदर्शी जांच कर दोषियों को सजा दिलाने की मांग की है।
मामला अब प्रशासनिक स्तर पर जांच के दायरे में आने की उम्मीद है।

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