ब्लॉक प्रमुख को सौंपा गया पत्र: पूर्व सैनिक की प्रतिमा स्थापना व माइनिंग डिप्लोमा पाठ्यक्रम शुरू करने की मांग.

म्योरपुर (सोनभद्र)। Ashish Gupta/ Sonprabhat News 


म्योरपुर विकासखंड के ग्राम पंचायत खैराही निवासी डिप्लोमा के पूर्व छात्र एवं समाजसेवी प्रशांत कुमार दुबे ने क्षेत्र से जुड़ी दो महत्वपूर्ण मांगों को लेकर ब्लॉक प्रमुख म्योरपुर श्री मान सिंह गोड़ को एक आवेदन पत्र सौंपा है। पहली मांग के रूप में उन्होंने खैराही–किरवानी मोड़ पर द्वितीय विश्व युद्ध के पूर्व सैनिक रहे स्व. केदारनाथ दुबे की प्रतिमा स्थापित करने तथा उस स्थल को उनके नाम से घोषित करने की अपील की है।

प्रशांत दुबे ने बताया कि यदि स्व. केदारनाथ दुबे की प्रतिमा लगाई जाती है, तो दक्षिणांचल के आदिवासी बहुल क्षेत्रों में युवाओं के भीतर सेना के प्रति जागरूकता बढ़ेगी। इससे युवाओं में देश सेवा का उत्साह जगेगा और फौज में भर्ती होने की प्रेरणा मिलेगी। उन्होंने कहा कि इससे स्थानीय युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर भी खुल सकते हैं।

दूसरी मांग में प्रशांत दुबे ने सोनभद्र जिले के सरकारी पॉलिटेक्निक कॉलेज में तीन वर्षीय माइनिंग डिप्लोमा पाठ्यक्रम शुरू कराने का प्रस्ताव रखा। उन्होंने बताया कि वर्तमान में उत्तर प्रदेश में यह कोर्स केवल ललितपुर जिले के तालबेहट में संचालित है, जो सोनभद्र से काफी दूर है। दूरी अधिक होने के कारण जिले के कई छात्र इस कोर्स में प्रवेश नहीं ले पाते और वे माइनिंग क्षेत्र में बेहतर करियर बनाने से वंचित रह जाते हैं।
उन्होंने कहा कि सोनभद्र में सरकारी एवं निजी सेक्टर में माइनिंग क्षेत्र में रोजगार की अपार संभावनाएं मौजूद हैं, इसलिए जिले में इस पाठ्यक्रम की आवश्यकता अत्यंत महत्वपूर्ण है।


द्वितीय विश्व युद्ध के वीर योद्धा थे स्व. केदारनाथ दुबे

प्रशांत दुबे ने बताया कि उनके दादा स्व. केदारनाथ दुबे का सैन्य जीवन देश के इतिहास का गौरवपूर्ण हिस्सा है। उनकी भर्ती वर्ष 1942 में भारत की आज़ादी से पहले डोगरा रेजीमेंट में हुई थी। भर्ती होने के बाद उन्हें लाहौर (तत्कालीन भारत) में सिविल ट्रेनिंग के लिए भेजा गया था।
सेवा के दौरान उन्हें दक्षिण अफ्रीका, बर्मा और सिंगापुर जैसे देशों में भी कुछ समय के लिए भेजा गया।

वर्ष 1945 में द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जब भारत–वर्मा युद्ध लड़ा जा रहा था, तब स्व. केदारनाथ दुबे को युद्धभूमि में भेजा गया। युद्ध के दौरान उनके बाएं पैर के घुटने में गोली लग गई थी।
उनका यह बलिदान और योगदान क्षेत्र के युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत है, जिसे सहेजकर रखने की आवश्यकता है।

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