Sonprabhat Digital Desk
प्रयागराज | सोनप्रभात
महाकुंभ 2025 में आस्था की लहरें अपने चरम पर हैं। आज 29 जनवरी को पवित्र मौनी अमावस्या का दूसरा अमृत स्नान जारी है। श्रद्धालु, साधु-संत और अखाड़ों के महंत बड़ी संख्या में संगम तट पर स्नान के लिए उमड़ रहे हैं। कुंभ नगरी में भोर से ही धार्मिक अनुष्ठान, मंत्रोच्चार और गंगा आरती के साथ आध्यात्मिक माहौल बना हुआ है।
अखाड़ों के संतों का सांकेतिक अमृत स्नान
सुबह तड़के अखाड़ों के साधु-संत पारंपरिक रथों और वाहनों के जरिए संगम स्नान के लिए निकले। भारी भीड़ के कारण संगम क्षेत्र में अव्यवस्था और भगदड़ जैसी स्थिति बन गई, जिसके बाद प्रशासन ने तत्काल सुरक्षा कारणों से अखाड़ों से स्नान रोकने की अपील की। स्थिति को देखते हुए संतों ने बैठक कर स्नान स्थगित करने का निर्णय लिया। हालांकि, बाद में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से वार्ता के बाद संतों ने सांकेतिक रूप से अमृत स्नान करने पर सहमति जताई।
अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रविंद्र पुरी ने जानकारी दी कि सभी अखाड़े अपने देवताओं के साथ सांकेतिक स्नान करेंगे और इस दौरान कोई भव्य शोभायात्रा नहीं निकाली जाएगी।

श्रद्धालुओं की ऐतिहासिक भीड़, प्रशासन मुस्तैद
महाकुंभ के इस पावन अवसर पर संगम में आस्था का अद्भुत नजारा देखने को मिल रहा है। सुबह 9 बजे तक 3.61 करोड़ श्रद्धालु गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के संगम में पुण्य की डुबकी लगा चुके थे। अब तक पूरे महाकुंभ में 19.94 करोड़ से अधिक लोग स्नान कर चुके हैं।
इस समय प्रयागराज और कुंभ क्षेत्र में करीब 10 करोड़ श्रद्धालु मौजूद हैं, जिससे सुरक्षा व्यवस्था को और मजबूत किया गया है। जगह-जगह रैपिड एक्शन फोर्स (RAF) और पुलिस के जवान तैनात हैं, ताकि भीड़ को नियंत्रित किया जा सके। प्रशासन लगातार श्रद्धालुओं को आसपास के घाटों पर स्नान करने की सलाह दे रहा है, जिससे संगम क्षेत्र में अत्यधिक भीड़ न बढ़े।
संत-विद्वानों और प्रसिद्ध हस्तियों का संगम स्नान
महाकुंभ में अब तक कई प्रमुख संतों, धार्मिक विद्वानों और राजनेताओं ने स्नान किया है। भाजपा सांसद और प्रसिद्ध अभिनेत्री हेमा मालिनी ने संगम में डुबकी लगाई, वहीं प्रसिद्ध कथावाचक देवकीनंदन ठाकुर भी अमृत स्नान कर चुके हैं।
महाकुंभ में बढ़ती आस्था, विश्वभर से जुटे श्रद्धालु
महाकुंभ केवल भारत ही नहीं, बल्कि विश्व के लिए भी आध्यात्मिक आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। बड़ी संख्या में विदेशी श्रद्धालु भी यहां पहुंचकर सनातन संस्कृति और भारतीय आध्यात्मिक परंपरा का अनुभव कर रहे हैं।
प्रशासन ने श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए परिवहन, स्वास्थ्य और सुरक्षा व्यवस्था को और मजबूत किया है। इस दौरान स्नान के लिए संगम आने वाले श्रद्धालुओं को समय पर घाटों तक पहुंचाने और स्नान के बाद सुरक्षित बाहर निकालने के लिए विशेष प्रबंधन किया गया है।
मौनी अमावस्या का महत्व
मौनी अमावस्या हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र मानी जाती है। मान्यता है कि इस दिन संगम में स्नान करने से समस्त पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। यही कारण है कि इस शुभ तिथि पर करोड़ों श्रद्धालु संगम में स्नान करने के लिए उमड़ पड़ते हैं।
अद्भुत अध्याय
महाकुंभ का यह अद्भुत अध्याय अभी जारी है। अगले प्रमुख स्नान पर्वों के लिए प्रशासन ने विशेष इंतजाम किए हैं। श्रद्धालुओं की बढ़ती संख्या को देखते हुए सुरक्षा व्यवस्था को और सख्त किया जा रहा है, ताकि कोई अप्रिय घटना न हो।
महाकुंभ 2025 की यह दिव्य यात्रा धर्म, आस्था और आध्यात्मिक ऊर्जा से ओतप्रोत है, जो आने वाले दिनों में और भी भव्य रूप लेगी।

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