Barabanki News | Sonprabhat Digital Desk
बाराबंकी, उत्तर प्रदेश। उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले के एक छोटे से गांव निजामपुर में शिक्षा का नया इतिहास रचा गया है। आजादी के 78 वर्षों बाद इस गांव से पहली बार किसी छात्र ने हाईस्कूल की परीक्षा उत्तीर्ण की है। 15 वर्षीय रामकेवल ने 53.6 प्रतिशत अंक प्राप्त कर न केवल अपने परिवार का नाम रोशन किया, बल्कि पूरे गांव को भी गौरवान्वित किया है।
छोटे गांव से बड़ी सफलता की उड़ान
बनीकोडर ब्लॉक के अहमदपुर मजरे के अंतर्गत आने वाले निजामपुर गांव की आबादी लगभग 200 है। यहां के अधिकतर लोग मजदूरी और खेती के जरिए जीवनयापन करते हैं। शिक्षा का स्तर अब तक बेहद सीमित रहा है, जहां अधिकांश लोग कक्षा 8 या 9 से आगे नहीं पढ़ सके। लेकिन रामकेवल की मेहनत और जज़्बे ने इस परंपरा को तोड़ा और गांव को शिक्षा के नक्शे पर दर्ज करा दिया।

रामकेवल का संघर्ष और परिवार का योगदान
रामकेवल के पिता, जगदीश मेहनत मजदूरी करते हैं जबकि मां पुष्पा देवी स्थानीय प्राथमिक विद्यालय में रसोइया का कार्य करती हैं। रामकेवल के तीन भाई और दो बहनें हैं। बड़ी बहन की शादी हो चुकी है जबकि अन्य भाई-बहन पढ़ाई कर रहे हैं। रामकेवल अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता और शिक्षकों को देते हैं, जिन्होंने सीमित संसाधनों के बावजूद उसका साथ नहीं छोड़ा।
राजकीय इंटर कॉलेज अहमदपुर का योगदान
रामकेवल राजकीय इंटर कॉलेज अहमदपुर का छात्र है। कॉलेज के प्रधानाचार्य विजय कुमार गुप्ता के अनुसार, जिला विद्यालय निरीक्षक ओपी त्रिपाठी द्वारा शुरू की गई ‘मिशन पहचान’ योजना ने छात्रों में आत्मविश्वास जगाया और नियमित मूल्यांकन की प्रक्रिया ने पढ़ाई को सहज बनाया। इसी पहल के चलते रामकेवल जैसे छात्र शिक्षा की दिशा में प्रेरणादायक उदाहरण बन सके।
सम्मान और सराहना की बौछार
रामकेवल की सफलता की चर्चा जिला स्तर तक पहुंच गई है। जिला विद्यालय निरीक्षक ओपी त्रिपाठी और जिलाधिकारी शशांक त्रिपाठी ने छात्र और उसके परिवार को सम्मानित किया। उन्होंने इसे आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणास्रोत बताया।
पूर्व मंत्री ने उठाई पढ़ाई की ज़िम्मेदारी
सोमवार को समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री अरविंद सिंह गोप ने रामकेवल को अपने आवास पर आमंत्रित किया और उसे उपहार स्वरूप साइकिल देकर सम्मानित किया। साथ ही उन्होंने उसकी आगे की शिक्षा का पूरा खर्च उठाने की घोषणा की। यह पहल रामकेवल और उसके जैसे अन्य ग्रामीण छात्रों को आगे बढ़ने की प्रेरणा दे रही है।
एक मिसाल, जो बदल सकता है गांव का भविष्य
रामकेवल की यह ऐतिहासिक सफलता केवल एक व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं, बल्कि पूरे गांव के लिए एक नई शुरुआत है। यह दिखाता है कि अगर जज़्बा हो, तो संसाधनों की कमी भी रास्ते की रुकावट नहीं बन सकती।
यह कहानी है उस आशा की, जो अब निजामपुर जैसे गांवों में भी शिक्षा की रोशनी फैला रही है।

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