म्योरपुर : खंडहर में तब्दील हुआ ब्लॉक परिसर का शौचालय — स्वच्छ भारत अभियान को लगा झटका

म्योरपुर (सोनभद्र) Prashant Dubey – Sonprabhat News 


केंद्र और राज्य सरकार जहाँ एक ओर “स्वच्छ भारत मिशन” के तहत देशभर में स्वच्छता की अलख जगा रही है, वहीं दूसरी ओर म्योरपुर विकासखंड के ब्लॉक परिसर में बना शौचालय उपेक्षा की भेंट चढ़ चुका है। 2021-22 में लाखों रुपये खर्च कर तैयार हुआ यह शौचालय आज खंडहर का रूप ले चुका है।


धूल फांक रहा ‘स्वच्छता’ का प्रतीक

म्योरपुर ब्लॉक परिसर में स्थित इस शौचालय के अंदर और बाहर अब घास-फूस, झाड़ियां और कूड़े का ढेर नजर आता है। दरवाज़े जर्जर हो चुके हैं, पानी की व्यवस्था ठप पड़ी है, और आसपास दुर्गंध फैली हुई है।
ग्रामीणों का कहना है कि इस शौचालय का उपयोग न तो ब्लॉक मुख्यालय के कर्मचारी करते हैं और न ही आमजन, क्योंकि इसकी स्थिति बेहद खराब है।


2021-22 में हुआ था निर्माण, आज खामोश दीवारें गवाही दे रहीं

शिलापट्ट के अनुसार, इस शौचालय का निर्माण वित्त वर्ष 2021-22 में हुआ था। स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के तहत बनाए गए इस सार्वजनिक शौचालय का उद्देश्य था लोगों को स्वच्छता की सुविधा उपलब्ध कराना, लेकिन कुछ ही वर्षों में यह योजना लापरवाही और देखरेख के अभाव में दम तोड़ चुकी है।


स्वच्छ भारत की हकीकत पर सवाल

एक ओर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा देश को स्वच्छ और स्वस्थ बनाने के लिए “खुले में शौच मुक्त भारत” का सपना दिखाया गया था, वहीं म्योरपुर ब्लॉक का यह दृश्य सरकारी दावों की पोल खोलता दिखाई दे रहा है।
ग्रामवासियों का कहना है कि:

“सरकार विज्ञापनों में स्वच्छता की बातें करती है, पर ज़मीनी हकीकत यहां कुछ और ही कहानी कहती है।”


रखरखाव के नाम पर लापरवाही

स्थानीय लोगों ने बताया कि शौचालय का रखरखाव और साफ-सफाई की कोई नियमित व्यवस्था नहीं है। न तो सफाईकर्मी नियुक्त हैं, न कोई निगरानी। परिणामस्वरूप, यह सुविधा केंद्र धीरे-धीरे खंडहर में बदल गया है।


जवाबदेही तय होनी चाहिए

अब सवाल यह उठता है कि जब इस शौचालय के निर्माण में सरकारी धन खर्च हुआ, तो आखिर उसकी देखभाल कौन करेगा?
क्या जिम्मेदारी निर्माण एजेंसी की है या ब्लॉक प्रशासन की — इस पर कोई स्पष्टता नहीं है। लेकिन यह निश्चित है कि इस तरह की लापरवाही “स्वच्छ भारत मिशन” जैसे राष्ट्रीय अभियान की साख को धूमिल करती है।


जनता की मांग — करें मरम्मत और शुरू हो उपयोग

ग्रामीणों एवं कर्मचारियों ने प्रशासन से मांग की है कि शौचालय की तत्काल मरम्मत कर उसे पुनः चालू किया जाए ताकि इसका उपयोग जनसामान्य और कर्मचारियों दोनों के लिए हो सके।


💬 “स्वच्छ भारत का सपना तभी साकार होगा, जब हर सरकारी भवन और कार्यालय में बनी सुविधाएं उपयोगी और सुचारु रूप से संचालित हों।”

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