March 11, 2025 10:38 PM

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ब्रज की होली 2025 : बांके बिहारी के साथ रंगोत्सव की धूम, विशेष भोग और परंपराओं का अनूठा संगम

ब्रज की होली 2025 : मथुरा-वृंदावन में होली का उत्सव अपने चरम पर, भक्तों पर चढ़ा भक्ति और रंगों का खुमार, वृंदावन के प्रसिद्ध बांके बिहारी मंदिर में इस बार भी भव्य भोग तैयार किया जा रहा है।

Sonprabhat Digital Desk

ब्रज की होली 2025 : मथुरा-वृंदावन की विश्वप्रसिद्ध होली की शुरुआत बसंत पंचमी से हो जाती है और यह रंगोत्सव फाल्गुन पूर्णिमा तक हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। भगवान श्रीकृष्ण की लीलास्थली मथुरा, वृंदावन, बरसाना और नंदगांव में इन दिनों भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ा है। मंदिरों और गलियों में गुलाल उड़ रहा है, भक्त रंगों में सराबोर होकर कृष्ण भक्ति में डूबे नजर आ रहे हैं। आस्था है कि इस अवसर पर स्वयं ठाकुर बांके बिहारी अपने भक्तों के साथ होली खेलने के लिए गर्भगृह से बाहर आते हैं।

बांके बिहारी के लिए विशेष ठंडाई और भोग की तैयारी

होली का नाम आते ही रंगों के साथ ठंडाई का स्वाद भी याद आता है, और जब बात ठाकुर बांके बिहारी की हो तो उनके लिए विशेष ठंडाई तैयार करने की परंपरा वर्षों पुरानी है। वृंदावन के प्रसिद्ध बांके बिहारी मंदिर में इस बार भी भव्य भोग तैयार किया जा रहा है।

भगवान के लिए बनने वाली ठंडाई में बादाम, किशमिश, पिस्ता, काजू, मुनक्का, इलायची, दूध, रबड़ी, काली मिर्च, गुलकंद, क्रीम जैसी पौष्टिक सामग्री मिलाई जाएगी। रंगोत्सव के दौरान ठाकुर जी को पांच दिनों में 15 बार यह ठंडाई का भोग अर्पित किया जाएगा। इसके अलावा, वृंदावन की प्रसिद्ध चाट, जलेबी और रबड़ी का भी भोग लगेगा, जिससे भक्तों को इस पर्व का संपूर्ण आनंद मिल सके।

ब्रज की होली : परंपराओं और भक्ति का अनूठा संगम

ब्रज की होली केवल रंगों का त्यौहार नहीं, बल्कि भक्ति और परंपराओं का अद्भुत संगम है। मथुरा-वृंदावन, बरसाना, नंदगांव, गोकुल, गोवर्धन, बल्देव (दाऊजी) और श्रीकृष्ण जन्मस्थान पर होली की धूम देखते ही बनती है।

  • बरसाना की लट्ठमार होली – जहां राधारानी की नगरी बरसाना में महिलाएं पुरुषों पर प्रेमपूर्वक लाठियां बरसाती हैं।
  • नंदगांव की होली – जहां कृष्ण के गांव से ग्वाल बाल बरसाना की होली का जवाब देने पहुंचते हैं।
  • फूलों की होली – वृंदावन के बांके बिहारी मंदिर में भक्तों पर फूलों की वर्षा होती है।
  • दाऊजी की हुरंगा होली – बल्देव में जहां रंगों और गुलाल के साथ अनूठा हुरंगा खेला जाता है।

होली में डूबा ब्रज : भक्तों को मिला सजीव कृष्ण लीला का अनुभव

ब्रज की होली का अनुभव केवल यहां आकर ही लिया जा सकता है। भक्तगण ठाकुर जी के रंग में रंगे हुए हैं, मंदिरों की गलियों में भजन-कीर्तन की गूंज है और पूरा ब्रज क्षेत्र कृष्णमय हो उठा है। अगर आप भी होली के इस दिव्य अनुभव का आनंद लेना चाहते हैं, तो तैयार हो जाइए मथुरा-वृंदावन की रंगोत्सव यात्रा के लिए।


📢 Disclaimer: यह जानकारी परंपराओं और मान्यताओं पर आधारित है। Sonprabhat.live किसी भी धार्मिक मान्यता या परंपरा की पुष्टि नहीं करता है। किसी भी आध्यात्मिक या धार्मिक निर्णय से पहले विशेषज्ञों की सलाह अवश्य लें।

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