Nag Panchami 2021 – नाग पंचमी में क्या कुछ है खास, कैसे मनाते है गांवो में, सोनभद्र के कई गांव में होता है इस दिन दंगल। August 12, 2021 11:35 PM
रामचरितमानस-: “सो पर नारि लिलार गोसाईं। तजउ चउथि के चन्द कि नाईं। ” – मति अनुरुप- अंक 35. जयंत प्रसाद April 10, 2021 10:27 AM
रामचरितमानस-: “सचिव बैद गुरु तीनि जौ, प्रिय बोलहिं भय आस।” – मति अनुरुप- अंक 34. जयंत प्रसाद April 3, 2021 11:58 AM
रामचरितमानस -: “हनूमान सम नहिं बड़भागी। नहि कोउ राम चरन अनुरागी।”- मति अनुरुप- अंक 33. जयंत प्रसाद March 27, 2021 10:39 AM
रामचरितमानस -: “लछिमनहूँ यह मरम न जाना। जो कछु चरित रचा भगवाना।” – मति अनुरुप- अंक 32. जयंत प्रसाद March 13, 2021 11:10 AM
महाशिवरात्रि पर विशेष:- शिवलिंग पर भक्त क्यों नहीं चढ़ाते हैं तुलसी, पढ़ें जालंधर नामक राक्षस से जुड़ी कथा। March 11, 2021 6:38 AM
श्री राम कथा प्रसंग – गुरुकुल शिक्षा, सनातन संस्कृति, सोलह संस्कारों आदि की उपेक्षा के कारण संयुक्त परिवार टूट रहे – पंडित श्री दिलीप कृष्ण भारद्वाज महाराज जी March 9, 2021 3:49 PM
रामचरितमानस -: “तापर रुचिर मृदुल मृग छाला। तेहि आसन आसीन कृपाला।”- मति अनुरुप- अंक 31. जयंत प्रसाद March 6, 2021 10:43 PM
श्री राम कथा अमृत वचन -: “जिस घर में नित्य कलह होता है उस घर से लक्ष्मी जी स्वयं चली जाती है – पंडित श्री दिलीप कृष्ण भारद्वाज महाराज” March 5, 2021 11:48 AM
श्रीराम कथा-: अधर्म से संपत्ति अर्जित घरों में दुर्गुणों का वास होता है – पंडित श्री दिलीप कृष्ण भारद्वाज ( 457वीं कथा) March 4, 2021 12:00 PM
रामचरितमानस -: “इहाँ सुबेल सैल रघुबीरा। उतरे सेन सहित अति भीरा।”- मति अनुरुप- अंक 30. जयंत प्रसाद February 27, 2021 2:59 PM
रामचरितमानस–: ” आगे परा गीध पति देखा। सुमिरत राम चरन जिन्ह रेखा। ” – मति अनुरूप– अंक.29 – जयन्त प्रसाद February 20, 2021 5:20 PM
रामचरितमानस–: “तुम्ह मम सखा भरत सम भ्राता। सदा रहेहु पुर आवत जाता।”– मति अनुरूप– अंक.28 – जयन्त प्रसाद February 13, 2021 12:45 PM
रामचरितमानस–: “राम सदा सेवक रूचि राखी। बेद पुरान साधु सुर साखी।”- मति अनुरुप- (अंक-27) जयंत प्रसाद February 6, 2021 8:42 AM
रामचरितमानस -:(अंक-26) ” मांगी नाव न केवट आना। कहइ तुम्हार मरमु मैं जाना। – मति अनुरुप- जयंत प्रसाद January 30, 2021 6:15 PM
रामचरितमानस–: अंक-25 – मति अनुरुप – ‘बरसि सुमन सुर सकल सिहाहीं। एहि सम पुन्य पुंज कोउ नाहीं।’– जयन्त प्रसाद January 23, 2021 1:29 PM
रामचरितमानस –ः ‘बरस चारिदस बास बन, मुनि ब्रत बेषु अहारू।’ –मति अनुरूप– जयंत प्रसाद January 16, 2021 12:00 PM
रामचरितमानस –ः “निरखि निषादु नगर नर नारी। भए सुखी जनु लखन निहारी।” –मति अनुरूप– जयंत प्रसाद January 9, 2021 11:21 AM
रामचरितमानस –ः “कुलिसहु चाहि कठोर अति, कोमल कुसुमहु चाहि।” –मति अनुरूप– जयंत प्रसाद January 2, 2021 1:19 PM