रामचरितमानस –ः ‘बरस चारिदस बास बन, मुनि ब्रत बेषु अहारू।’ –मति अनुरूप– जयंत प्रसाद January 16, 2021 12:00 PM
रामचरितमानस –ः “निरखि निषादु नगर नर नारी। भए सुखी जनु लखन निहारी।” –मति अनुरूप– जयंत प्रसाद January 9, 2021 11:21 AM
रामचरितमानस –ः “कुलिसहु चाहि कठोर अति, कोमल कुसुमहु चाहि।” –मति अनुरूप– जयंत प्रसाद January 2, 2021 1:19 PM
रामचरितमानस -: “रहत न प्रभु चित चूक किए की। करत सुरति सय बार हिए की।”- मति अनुरूप- जयंत प्रसाद December 26, 2020 2:49 PM
रामचरितमानस -: “गरल सुधा रिपु करइ मिताई। गोपद सिन्धु अनल सितलाई।”- मति अनुरूप- जयंत प्रसाद December 19, 2020 2:09 PM
रामचरितमानस-: “निरमल मन जन सो मोहिं पावा। मोहिं कपट छल छिद्र न भावा।” – मति अनुरूप- जयंत प्रसाद December 12, 2020 2:08 PM
रामचरितमानस-: “जेहि सरीर रति राम सो, सो आदरहिं सुजान।रुद्र देह तजि नेह वस ,वानर भे हनुमान।” – मति अनुरूप- जयंत प्रसाद December 5, 2020 2:20 PM
रामचरितमानस-: “प्रनवउ परिजन सहित विदेहू। जाहि राम पद गूढ़ सनेहू।” – मति अनुरूप- जयंत प्रसाद November 28, 2020 1:43 PM
रामचरितमानस-: “बंदउं अवध भुवाल, सत्य प्रेम जेहि राम पद।”- मति अनुरूप- जयंत प्रसाद November 14, 2020 3:50 PM
रामचरितमानस–:” पुत्रवती जुवतीजग सोई। रघुपति भगति जासु सुत होई।” – मति अनुरुप– जयन्त प्रसाद October 31, 2020 2:00 PM
रामचरितमानस–: “पगपरि कीन्ह प्रबोधु बहोरी। काल करम विधि सिर धरि खोरी।” – मति अनुरुप– जयन्त प्रसाद October 17, 2020 2:18 PM
रामचरितमानस–: ”जेठ स्वामि सेवक लघु भाई। दिनकर कुल यह रीति सुहाई।। ” – मति अनुरुप– जयन्त प्रसाद October 10, 2020 2:51 PM
रामचरितमानस–: “मनि बिनु फनि जिमि जल बिनु मीना। मम जीवन तिमि तुम्हहिं अधीना।।” – मति अनुरुप– जयन्त प्रसाद October 3, 2020 2:07 PM
रामचरितमानस–: ” गिरा अरथ जल बीचि सम, कहियत भिन्न न भिन्न।” – मति अनुरुप– जयन्त प्रसाद September 26, 2020 2:26 PM
रामचरितमानस–: ” शिव सम को रघुपति ब्रतधारी। विनु अघ तजी सती असि नारी।” – मति अनुरुप– जयन्त प्रसाद September 19, 2020 2:08 PM
रामचरितमानस–: “होइहिं सोइ जो राम रचि राखा। को करि तर्क बढ़ावे साखा।” – मति अनुरुप– जयन्त प्रसाद September 12, 2020 12:19 PM
रामचरितमानस–: ” सिरधरि आपसु करिय तुम्हारा, परम धरमु यह नाथ हमारा।” – मति अनुरुप– जयन्त प्रसाद August 28, 2020 11:44 AM
रामचरित मानस:- बड़े भाग मानुष तनु पावा, सुर दुर्लभ सब ग्रंथन्हि गावा। मति अनुरूप – जयन्त प्रसाद August 22, 2020 12:25 AM
रामचरित मानस:- “वंदे बोधमयं नित्यं गुरुं शंकर रूपिणम्।” मति अनुरूप – जयन्त प्रसाद August 15, 2020 7:05 AM