Sonprabha News/Report: U. Gupta
Digital Desk। केंद्र सरकार ने स्कूली शिक्षा में एक बड़ा परिवर्तन करते हुए कक्षा 5वीं और 8वीं के लिए लागू ‘नो-डिटेंशन पॉलिसी’ को खत्म कर दिया है। इस संशोधन के बाद, अब वार्षिक परीक्षा में असफल होने वाले छात्रों को फेल किया जा सकेगा। यह नियम केंद्रीय विद्यालयों, नवोदय विद्यालयों और सैनिक स्कूलों सहित केंद्र सरकार द्वारा संचालित 3,000 से अधिक स्कूलों में लागू होगा।
‘नो-डिटेंशन पॉलिसी’ समाप्त
शिक्षा का अधिकार अधिनियम (RTE) में 2019 में हुए संशोधन के बाद, कई राज्यों ने ‘नो-डिटेंशन पॉलिसी’ को खत्म कर दिया था। वर्तमान में, दिल्ली सहित 16 राज्यों और 2 केंद्र शासित प्रदेशों ने इसे लागू कर दिया है। अब केंद्र सरकार ने इसे अपने द्वारा शासित स्कूलों में भी समाप्त कर दिया है।
पुन: परीक्षा का प्रावधान
केंद्र सरकार द्वारा जारी गजट अधिसूचना के अनुसार, छात्रों को फेल करने से पहले दो अवसर दिए जाएंगे। वार्षिक परीक्षा के बाद, यदि कोई छात्र निर्धारित पदोन्नति मानदंडों को पूरा नहीं कर पाता है, तो उसे दो महीने के भीतर पुन: परीक्षा देने का मौका मिलेगा। यदि वह पुन: परीक्षा में भी असफल रहता है, तो उसे उसी कक्षा में रोक दिया जाएगा।
विशेष मार्गदर्शन की व्यवस्था
अधिसूचना में यह भी उल्लेख किया गया है कि फेल किए गए छात्रों को विशेष मार्गदर्शन प्रदान किया जाएगा। कक्षा शिक्षक छात्र के साथ-साथ उसके माता-पिता को भी सीखने की प्रक्रिया में सहयोग करेंगे। मूल्यांकन के विभिन्न चरणों के दौरान छात्र की शैक्षणिक कमजोरियों की पहचान कर उन्हें सुधारने के प्रयास किए जाएंगे।
कोई छात्र स्कूल से नहीं निकाला जाएगा
केंद्र सरकार ने स्पष्ट किया है कि किसी भी छात्र का नाम प्रारंभिक शिक्षा पूरी होने से पहले स्कूल से नहीं काटा जाएगा। यह कदम यह सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है कि बच्चे अपनी शिक्षा जारी रख सकें और स्कूल से बाहर न हों।
राज्यों का अधिकार
हालांकि, स्कूली शिक्षा राज्यों का विषय है। इसीलिए, केंद्र सरकार ने राज्यों को यह स्वतंत्रता दी है कि वे इस नीति को अपनाने या न अपनाने का निर्णय अपने स्तर पर लें।
शिक्षा में सुधार की दिशा में कदम
शिक्षा मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों का मानना है कि ‘नो-डिटेंशन पॉलिसी’ के कारण छात्रों में पढ़ाई के प्रति गंभीरता का अभाव देखा गया था। इस संशोधन से शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार होने और छात्रों की शैक्षणिक प्रदर्शन में वृद्धि की उम्मीद की जा रही है।
इस नए नियम के लागू होने के बाद यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि यह बदलाव छात्रों, शिक्षकों और अभिभावकों पर किस प्रकार प्रभाव डालता है।
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