Sonbhadra News म्योरपुर : Report : Lallan Prasad / Ashish Gupta / Sonprabhat
म्योरपुर रेंज के देवहार जंगल में वन विभाग द्वारा वृक्षारोपण कार्य के तहत गढ्ढे की खुदाई कराई जा रही है, लेकिन इस प्रक्रिया में वन विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों की मिलीभगत से गरीब मजदूरों का शोषण किए जाने का आरोप सामने आया है। मजदूरों का कहना है कि उन्हें निर्धारित मजदूरी से कहीं कम भुगतान किया जा रहा है, और उनका शोषण किया जा रहा है।
गरीबी और अनपढ़ता का फायदा उठा रहे : मजदूरों की मजबूरी का फायदा
मजदूरों का कहना है कि एक ट्रेंच गढ्ढे (जिसका क्षेत्रफल 45घन फीट) के लिए उन्हें केवल 32 रुपये भुगतान किया जाता है, जबकि भूरुकी गढ्ढे (जिसका क्षेत्रफल 9.375 घन फीट) के लिए भुगतान मात्र 4 रुपये किया जाता है। मजदूरों का आरोप है कि उन्हें इस काम के लिए बहुत कम रकम दी जा रही है, जबकि सरकारी दर पर उन्हें उचित मजदूरी मिलनी चाहिए थी।
वन विभाग की ओर से स्पष्टता की कमी
मजदूरों ने यह भी बताया कि इस मामले को कवरेज करने के दौरान संवाददाता को वन विभाग के अधिकारी द्वारा धमकी दी गई। अधिकारियों ने अभद्र भाषा का प्रयोग करते हुए यह पूछा, “तुम कौन हो और किसके आदेश से आए हो?” इससे साफ जाहिर होता है कि वन विभाग के अधिकारी और कर्मचारी पूरे प्रक्रिया में गरीबों और मजदूरों का शोषण करने में शामिल हैं। स्थानीय मजदूरों जैसे राम स्वार्थ, बाबूलाल, बुढ़ई, रामरतन और अन्य ने बताया कि अगर उन्हें निर्धारित सरकारी मजदूरी मिलती तो उनकी हालत बेहतर होती। यह मामला इस बात का संकेत है कि वन विभाग में भ्रष्टाचार और शोषण की गंभीर समस्या व्याप्त है, और अगर प्रशासन ने इस पर ध्यान नहीं दिया तो गरीब मजदूरों का शोषण जारी रहेगा। इस स्थिति पर प्रशासन को तत्काल कदम उठाने की आवश्यकता है ताकि मजदूरों को उनके अधिकार मिल सकें और उन्हें शोषण से बचाया जा सके।
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