धर्म डेस्क | सोनप्रभात न्यूज़
Hanuman Jayanti 2025: हनुमान जन्मोत्सव का पर्व पूरे भारतवर्ष में श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है। भगवान हनुमान को संकटमोचक, बल, भक्ति और सेवा के प्रतीक के रूप में पूजा जाता है। इस वर्ष भी हनुमान जन्मोत्सव 2025 के पावन अवसर पर मंदिरों में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ी और भक्तों ने व्रत, उपवास, पूजा-अर्चना तथा हनुमान चालीसा पाठ के माध्यम से प्रभु से आशीर्वाद प्राप्त किया।
हनुमान चालीसा पाठ का महत्व
हनुमान चालीसा एक अत्यंत प्रभावशाली स्तोत्र है, जिसे गोस्वामी तुलसीदास द्वारा रचित किया गया है। इस चालीसा का नित्य पाठ करने से न केवल आत्मिक शांति मिलती है, बल्कि जीवन की अनेक कठिनाइयाँ भी समाप्त होती हैं। विशेषकर हनुमान जन्मोत्सव जैसे पावन दिन पर इसका पाठ सभी प्रकार के संकट, क्लेश, बीमारियों, और शनि दोष से मुक्ति दिलाने में सहायक माना जाता है।
हनुमान चालीसा के विशेष उपाय
संकटों से मुक्ति के लिए:
यदि आप जीवन में किसी प्रकार की परेशानी से जूझ रहे हैं, तो हनुमान जन्मोत्सव से नियमित रूप से हनुमान चालीसा का पाठ आरंभ करें। श्रद्धा और नियम से किया गया पाठ आपके संकटों को हरने में मदद करेगा।क्लेश मुक्ति हेतु:
यदि पारिवारिक झगड़ों या तनाव से परेशान हैं, तो हनुमान मंदिर में जाकर गुड़ और चने का दान करें, फिर एकांत में बैठकर हनुमान चालीसा का पाठ करें। ध्यान रखें, पाठ के आधा घंटे पहले और बाद तक मौन रहें और अंत में आरती अवश्य करें।शनि दोष से मुक्ति के लिए:
जिनकी कुंडली में शनि की अशुभ स्थिति है, वे आज के दिन पीपल या शमी के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएं और हनुमान चालीसा का पाठ करें। यह उपाय शनि पीड़ा से राहत प्रदान करता है।
हनुमान चालीसा पाठ के चमत्कारी लाभ
शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है।
दीर्घकालिक बीमारियों में राहत मिलती है।
मनोकामनाओं की पूर्ति होती है।
मानसिक भय और असुरक्षा की भावना समाप्त होती है।
आत्मबल और साहस की वृद्धि होती है।
हनुमान जन्मोत्सव पर ऐसे करें हनुमान चालीसा का पाठ
प्रातःकाल स्नान कर शुद्ध वस्त्र धारण करें (विशेषकर लाल रंग)।
भगवान हनुमान की मूर्ति या चित्र के समक्ष दीप और धूप जलाएं।
उन्हें सिंदूर, तुलसी की माला और लड्डू अर्पित करें।
शांत मन से हनुमान चालीसा का पाठ करें और अंत में आरती करें।
पाठ के पश्चात अपनी मनोकामना भगवान के चरणों में रखें।
अस्वीकरण
सोनप्रभात लाइव इस लेख में उल्लिखित उपायों और मान्यताओं को अंतिम सत्य नहीं मानता है। ये उपाय धार्मिक आस्थाओं, पंचांग, ज्योतिषीय परंपराओं और पुराणों पर आधारित हैं। पाठकों से अनुरोध है कि वे इन जानकारियों को सामान्य संदर्भ के रूप में लें और अपना विवेक व विशेषज्ञ सलाह अवश्य लें।
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