December 27, 2024 1:06 AM

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महाकुंभ 2025 : प्रयागराज में आध्यात्मिकता और भव्यता का महासंगम

महाकुंभ 2025 का आयोजन न केवल भारत, बल्कि पूरे विश्व के श्रद्धालुओं के लिए आस्था और विश्वास का केंद्र है। इस आयोजन की भव्यता, धार्मिक महत्व और प्रशासनिक तैयारियां इसे अविस्मरणीय बनाती हैं, गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम पर आध्यात्मिकता, भव्यता और श्रद्धा का अद्भुत पर्व; 40 करोड़ श्रद्धालुओं के संगम स्नान के लिए ऐतिहासिक तैयारियां ।

महाकुंभ 2025 : प्रयागराज में 13 जनवरी 2025 से महाकुंभ का शुभारंभ होने जा रहा है। गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के पावन संगम पर लगने वाले इस महापर्व की तैयारियां जोरों पर हैं। “तीर्थराज” के नाम से विख्यात यह आयोजन विश्व का सबसे बड़ा धार्मिक समागम माना जाता है, जो आध्यात्मिकता, भव्यता और दिव्यता का प्रतीक है। प्रशासन इसे ऐतिहासिक और यादगार बनाने के लिए हर संभव प्रयास कर रहा है।

महाकुंभ 2025 का भव्य आयोजन

महाकुंभ 2025 दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक आयोजनों में से एक होगा, जो लगभग 4,000 हेक्टेयर क्षेत्र में आयोजित किया जाएगा। श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए 30 पांटून पुलों का निर्माण किया जा रहा है, जो विश्व में सर्वाधिक संख्या है। ये पुल 40 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं को संगम क्षेत्र तक पहुंचने में मदद करेंगे।

मेले को 24 सेक्टरों में विभाजित किया गया है, जिनमें प्रत्येक सेक्टर में पुलिस चौकी की व्यवस्था की गई है। इस आयोजन को सुरक्षित और सुव्यवस्थित बनाने के लिए हजारों सुरक्षाकर्मियों को तैनात किया गया है।

संतों और अखाड़ों का प्रमुख आकर्षण

महाकुंभ संतों और सनातन धर्म के अनुयायियों के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र है। देश-विदेश से धार्मिक ट्रस्ट, प्रचारक संस्थान और सनातन धर्म के 13 प्रमुख अखाड़े इस महापर्व में भाग लेते हैं। इनमें 7 शैव, 3 उदासीन, और 3 वैष्णव अखाड़े शामिल हैं। इस बार पहली बार, इन सभी अखाड़ों को एक ही मार्ग पर बसाया गया है, जिससे श्रद्धालुओं को संतों और साधुओं के दर्शन के लिए अधिक सुगमता हो।

प्रमुख स्नान तिथियां

महाकुंभ के दौरान सात प्रमुख स्नान तिथियां निर्धारित की गई हैं:

  • 13 जनवरी: पौष पूर्णिमा
  • 14 जनवरी: मकर संक्रांति
  • 29 जनवरी: मौनी अमावस्या (मुख्य शाही स्नान)
  • 3 फरवरी: वसंत पंचमी
  • 4 फरवरी: अचला सप्तमी
  • 12 फरवरी: माघी पूर्णिमा
  • 26 फरवरी: महाशिवरात्रि (अंतिम स्नान)

प्रशासन के अनुसार, 29 जनवरी को मौनी अमावस्या के दिन सबसे अधिक भीड़ की संभावना है, जिसमें लगभग 20 करोड़ श्रद्धालु संगम में स्नान कर सकते हैं।

महाकुंभ का पौराणिक महत्व

महाकुंभ का आयोजन हर 12 वर्षों में भारत के चार प्रमुख तीर्थ स्थलों—प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक—में होता है। पौराणिक मान्यता के अनुसार, देवताओं और असुरों के बीच समुद्र मंथन के दौरान अमृत की बूंदें इन चार स्थानों पर गिरी थीं। इसी कारण से इन स्थानों पर महाकुंभ का आयोजन अत्यंत पवित्र माना जाता है।

प्रशासन की तैयारियां

प्रशासन और सरकार ने महाकुंभ के लिए अभूतपूर्व व्यवस्थाएं की हैं। साधु-संतों और श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए ठंड से बचाव, संगम स्नान के मार्ग, बिजली-पानी और चिकित्सा सेवाओं की उत्कृष्ट व्यवस्था की गई है। हजारों करोड़ रुपये के बजट का प्रभाव मेले की सुविधाओं में देखा जा सकता है।

मां मंडलेश्वर रवि गिरी जी महाराज ने लोकल 18 से बातचीत में कहा, “प्रशासन ने साधु-संतों और श्रद्धालुओं के सम्मान और सुविधा का विशेष ध्यान रखा है। यह पहला ऐसा आयोजन है जिसमें संतों को सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई है।”

महाकुंभ 2025 का धार्मिक समागम

महाकुंभ 2025 का आयोजन न केवल भारत, बल्कि पूरे विश्व के श्रद्धालुओं के लिए आस्था और विश्वास का केंद्र है। इस आयोजन की भव्यता, धार्मिक महत्व और प्रशासनिक तैयारियां इसे अविस्मरणीय बनाती हैं। महाकुंभ न केवल धार्मिक समागम है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और आध्यात्मिकता का जीवंत उदाहरण भी है।

 

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