Sonprabaht Digital Desk
Pahalgam Attack : कश्मीर के पहलगाम में हाल ही में हुए आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के रिश्तों में एक बार फिर से तल्खी आ गई है। इस हमले के जवाब में भारत सरकार द्वारा अटारी-वाघा बॉर्डर को बंद करने के फैसले के बाद पाकिस्तान ने भी कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए अपनी ओर से हर प्रकार की आवाजाही पर रोक लगाने का ऐलान किया है। इसके तहत पाकिस्तान ने अन्य देशों से अपने यहां से भारत को भेजे जा रहे माल पर भी रोक लगा दी है।
इस घटनाक्रम का सबसे बड़ा प्रभाव दोनों देशों के बीच चल रहे द्विपक्षीय व्यापार पर पड़ा है। भारत-पाकिस्तान के बीच अटारी रूट से हर साल करीब 4000 करोड़ रुपये का व्यापार होता था, जो अब पूरी तरह से ठप हो गया है। वित्त वर्ष 2023-24 में यह व्यापार 3886 करोड़ रुपये के पार पहुंच गया था।
भारत-पाकिस्तान व्यापारिक संबंधों पर असर
वर्तमान में अटारी-वाघा बॉर्डर ही दोनों देशों के बीच एकमात्र सक्रिय लैंड पोर्ट है, जिससे द्विपक्षीय व्यापार होता रहा है। भारत की ओर से यहां से मुख्य रूप से सोयाबीन, चिकन फीड, सब्जियां, लाल मिर्च, प्लास्टिक दाने और यार्न जैसे उत्पाद पाकिस्तान को भेजे जाते थे। वहीं, पाकिस्तान की ओर से सूखे मेवे, सेंधा नमक, जिप्सम, सीमेंट, कांच और मसाले भारत भेजे जाते थे।
विशेष बात यह है कि अफगानिस्तान से होकर आने वाला व्यापार भी अटारी रूट से होकर ही भारत आता था। पाकिस्तान द्वारा यह मार्ग बंद किए जाने से अफगान व्यापार पर भी असर पड़ना तय है।
व्यापारिक आंकड़ों पर नजर
वित्त वर्ष | निर्यात (करोड़ डॉलर) | आयात (करोड़ डॉलर) | कुल व्यापार (करोड़ डॉलर) |
---|---|---|---|
2019 | 206.66 | 49.48 | 256.14 |
2020 | 81.66 | 1.34 | 83.00 |
2021 | 32.69 | 0.24 | 32.93 |
2022 | 51.39 | 0.25 | 51.64 |
2023 | 62.71 | 2.01 | 64.72 |
2024 | 120.00 | 0.30 | 120.30 |
(स्रोत: UNCTAD और भारत सरकार का वाणिज्य मंत्रालय)
विशेषज्ञों की राय
फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गनाइजेशंस (FIEO) के महानिदेशक डॉ. अजय सहाय के अनुसार, “भारत का पाकिस्तान के साथ व्यापार कुल अंतरराष्ट्रीय व्यापार का मात्र 0.06% है। अप्रैल से जनवरी 2025 के बीच यह व्यापार 50 करोड़ डॉलर से भी कम रहा है। ऐसे में भारत पर इसका कोई खास असर नहीं पड़ेगा, लेकिन पाकिस्तान को जरूरी वस्तुओं की आपूर्ति में दिक्कतें जरूर होंगी।”
PHDCCI के प्रेसिडेंट हेमंत जैन ने भी यही बात दोहराई कि पाकिस्तान भारत का बड़ा व्यापारिक साझेदार नहीं है और इस नतीजे का प्रभाव भारत पर नगण्य होगा। उन्होंने कहा, “पिछले पांच वर्षों में भारत-पाकिस्तान के बीच व्यापार कुल अंतरराष्ट्रीय व्यापार का 1% से भी कम रहा है।”
पहले भी हुए हैं व्यापारिक झटके
पुलवामा हमले के बाद फरवरी 2019 में भारत ने पाकिस्तान को मोस्ट फेवर्ड नेशन (MFN) का दर्जा वापस ले लिया था और उसके उत्पादों पर 200% कस्टम ड्यूटी लगा दी थी। इसके बाद पाकिस्तान ने भी द्विपक्षीय व्यापार पर रोक लगा दी थी। हालांकि, धीरे-धीरे दबाव और ज़रूरत के चलते पाकिस्तान ने कुछ आवश्यक वस्तुओं, जैसे दवाइयों के आयात को अनुमति दी थी।
बाद में सिंगापुर, दुबई और श्रीलंका जैसे तीसरे देशों के जरिये दोनों देशों के बीच व्यापार फिर से बढ़ा, जिससे 2023-24 में यह 1.2 बिलियन डॉलर के करीब पहुंच गया था।
पाकिस्तान की मुश्किलें बढ़ेंगी
विशेषज्ञों का मानना है कि भारत की अपेक्षा पाकिस्तान को इस व्यापारिक ठहराव से ज्यादा नुकसान होगा। आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति बाधित होगी और तीसरे देशों से व्यापार कराने की लागत भी बढ़ेगी, जिससे महंगाई का बोझ आम पाकिस्तानी नागरिकों पर पड़ेगा।

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