February 22, 2025 4:22 PM

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सनातन परंपराओं के प्रहरी पंडित ईश्वर मिश्रा का 84 वर्ष की उम्र में निधन

Sonbhadra News/Report : जितेन्द्र कुमार चन्द्रवंशी ब्यूरो चीफ सोनभद्र 

दुद्धी, सोनभद्र : सनातन संस्कृति के संवाहक, मृदुभाषी एवं धर्मपरायण पंडित ईश्वर प्रसाद मिश्रा का 84 वर्ष की आयु में हृदय गति रुकने से निधन हो गया। शनिवार रात 12:15 बजे उन्होंने अपने निज निवास पर अंतिम सांस ली। उनके निधन की खबर से नगर में शोक की लहर दौड़ गई।

रामलीला मंचन और धार्मिक कर्मकांड में थी गहरी आस्था

पंडित ईश्वर प्रसाद मिश्रा, पुत्र स्व. राम कलाई मिश्रा, वार्ड नंबर 5, दुद्धी, सोनभद्र के निवासी थे। वे हीरेश्वर महादेव मंदिर, ग्राम बीड़र के मुख्य पुजारी थे और क्षेत्र के हिंदू धर्मावलंबियों के घरों में कथा, पूजन और धार्मिक अनुष्ठान कराते थे। उनके योगदान का सबसे बड़ा पहलू रामलीला नाट्य मंचन था, जहां उन्होंने दशकों तक मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम सहित विभिन्न पात्रों का जीवंत अभिनय कर धर्म जागरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

सदैव सिद्धांतों पर अडिग रहने वाले मार्गदर्शक

पंडित मिश्रा अपने सिद्धांतों और मूल्यों के प्रति अडिग थे। प्रतिदिन सुबह सोनू मेडिकल के सामने चाय पर श्रद्धालुओं और शुभचिंतकों को आशीर्वाद एवं मार्गदर्शन देते थे। उनके सान्निध्य में दिन की शुरुआत करने वाले कई लोग आज गहरे शोक में हैं।

निधन से पहले तक निभाई अपनी दिनचर्या

शनिवार को भी वे अपनी दिनचर्या के अनुसार पूजा-पाठ और चंदन-रोली लगाने के बाद निकले और चहेते चाय दुकानदार नागेंद्र कुमार उर्फ गोल्डन के यहां पहुंचे। वहां सामान्य दिनों की भांति लोगों से चर्चा की और फिर घर लौटे। रात में अचानक तबीयत बिगड़ने पर उन्होंने अंतिम सांस ली। उनके पुत्र संतोष कुमार मिश्रा ने यह दुखद सूचना दी, जिससे पूरे नगर में शोक व्याप्त हो गया।

नगर में शोक, अंतिम संस्कार आज दोपहर

पंडित ईश्वर मिश्रा के निधन की सूचना पाकर नगर के कई गणमान्य लोग उनके घर पहुंचे, जिनमें नगर पंचायत अध्यक्ष कमलेश मोहन, स्वच्छता मिशन ब्रांड एंबेसडर जितेंद्र कुमार चंद्रवंशी, देवेश मोहन और अजय रत्नेंद्र जायसवाल (एडवोकेट) शामिल थे।

उनका अंतिम संस्कार आज दोपहर कनहर-ठेमा नदी संगम तट पर किया जाएगा, जहां मुखाग्नि के साथ उनका नश्वर शरीर पंचतत्व में विलीन होगा

धार्मिक और सामाजिक क्षेत्र में अविस्मरणीय योगदान

पंडित ईश्वर मिश्रा का जीवन सनातन संस्कृति की रक्षा और समाज के धार्मिक उत्थान को समर्पित रहा। उनका योगदान रामलीला मंचन, कर्मकांड और धार्मिक अनुष्ठानों के माध्यम से समाज को जोड़ने में अविस्मरणीय रहेगा। उनका निधन न केवल परिवार बल्कि पूरे नगर के लिए अपूरणीय क्षति है।

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