सोन प्रभात न्यूज डेस्क
Personal Finance : किसी भी प्रकार की आपात स्थिति (Emergency) कभी भी और बिना किसी पूर्व सूचना के आ सकती है। ऐसे में अगर आर्थिक रूप से तैयारी न हो, तो यह कठिनाइयों को बढ़ा सकती है। चाहे नौकरी छूटने की स्थिति हो, मेडिकल इमरजेंसी हो, या कोई अन्य वित्तीय संकट, इन सबका सामना करने के लिए इमरजेंसी फंड का होना बेहद जरूरी है। वित्तीय विशेषज्ञों के अनुसार, हर व्यक्ति को अपने मासिक खर्च के अनुसार एक मजबूत इमरजेंसी फंड तैयार करना चाहिए। आइए जानते हैं कि इसे कैसे बनाया जाए और कितना धन इसमें रखना उचित रहेगा।
कैसे बनाएं इमरजेंसी फंड?
इमरजेंसी फंड तैयार करने के लिए बचत और सही योजना की आवश्यकता होती है। नीचे दिए गए स्टेप्स को अपनाकर आप आसानी से अपना इमरजेंसी फंड बना सकते हैं:
- आय और खर्च का बजट तैयार करें – सबसे पहले आपको अपनी मासिक आय और खर्चों का विश्लेषण करना होगा। इससे आपको यह पता चलेगा कि आप कितनी राशि बचा सकते हैं।
- बचत का एक हिस्सा इमरजेंसी फंड में डालें – हर महीने अपनी बचत का एक निश्चित हिस्सा इमरजेंसी फंड के रूप में अलग रखें।
- लिक्विड इन्वेस्टमेंट चुनें – इस फंड को ऐसी जगह निवेश करें जहां से जरूरत पड़ने पर आसानी से पैसा निकाला जा सके, जैसे कि बचत खाता, फिक्स्ड डिपॉजिट या लिक्विड म्यूचुअल फंड।
- छोटी बचत से शुरुआत करें – शुरुआत में कम रकम से भी बचत की जा सकती है और समय के साथ इसे बढ़ाया जा सकता है।
कितनी राशि होनी चाहिए इमरजेंसी फंड में?
इमरजेंसी फंड की राशि व्यक्ति की सैलरी और खर्चों पर निर्भर करती है। विशेषज्ञों के अनुसार, यह कम से कम 3 से 6 महीने के खर्च के बराबर होना चाहिए।
- यदि आपकी मासिक खर्च ₹30,000 है, तो आपको ₹90,000 से ₹1,80,000 तक का इमरजेंसी फंड रखना चाहिए।
- यदि आपकी सैलरी ₹50,000 है और मासिक खर्च ₹20,000 है, तो कम से कम ₹60,000 से ₹1,20,000 का इमरजेंसी फंड आवश्यक होगा।
- इसे इस सूत्र से निकाला जा सकता है:
इमरजेंसी फंड = मासिक खर्च × 3 या मासिक खर्च × 6
इमरजेंसी फंड क्यों है जरूरी?
भविष्य में किसी भी प्रकार की वित्तीय समस्या से बचने के लिए इमरजेंसी फंड बनाना अनिवार्य है। यह किसी भी आकस्मिक स्थिति में आर्थिक रूप से सक्षम बनाए रखने में मदद करता है।
- नौकरी जाने, अचानक हुए मेडिकल खर्च, या किसी अन्य आपदा की स्थिति में यह फंड सहारा बन सकता है।
- कर्ज लेने की आवश्यकता कम हो जाती है और आर्थिक आत्मनिर्भरता बनी रहती है।
- मानसिक तनाव कम होता है और भविष्य की चिंता नहीं सताती।

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