Sonprabhat Digital Desk
नई दिल्ली | देशभर में पेट्रोल और डीजल के दामों में लगातार उतार-चढ़ाव देखने को मिलता है, लेकिन सोमवार सुबह एक बार फिर आम आदमी को झटका देते हुए केंद्र सरकार ने पेट्रोल और डीजल पर लगने वाली एक्साइज ड्यूटी में 2 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी कर दी है। इस संशोधन के बाद अब पेट्रोल पर कुल 13 रुपये और डीजल पर 10 रुपये प्रति लीटर की दर से एक्साइज ड्यूटी वसूली जाएगी।
पेट्रोल पर टैक्स का बोझ, जानिए कौन-कौन से शुल्क जुड़ते हैं
भारत में पेट्रोल-डीजल की कीमतें केवल कच्चे तेल की लागत से तय नहीं होतीं, बल्कि इनमें कई तरह के शुल्क और टैक्स शामिल होते हैं। देश में फ्यूल प्राइस का स्ट्रक्चर मुख्य रूप से चार भागों में बांटा गया है:
कच्चे तेल का बेस प्राइस
केंद्र सरकार की एक्साइज ड्यूटी
राज्य सरकार का वैट
डीलर का कमीशन और अन्य चार्ज
केंद्र और राज्य दोनों ही स्तरों पर इन टैक्सों की वसूली की जाती है। जहां कच्चे तेल की कीमतें और एक्साइज ड्यूटी पूरे देश में समान रहती हैं, वहीं वैट की दरें हर राज्य में अलग-अलग होती हैं। इसी वजह से विभिन्न राज्यों में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में अंतर देखा जाता है।
असल में कितना है पेट्रोल का वास्तविक मूल्य?
अगर सभी टैक्स और चार्ज हटा दिए जाएं, तो एक लीटर पेट्रोल की वास्तविक कीमत करीब 55.66 रुपये बैठती है। इस कीमत की गणना इस प्रकार की जाती है:
क्रूड ऑयल की बेसिक कीमत: ₹40 प्रति लीटर
प्रोसेसिंग कॉस्ट: ₹5.66 प्रति लीटर
बफर फंड व इन्फ्लेशन चार्ज: ₹10 प्रति लीटर
कुल वास्तविक लागत: ₹55.66 प्रति लीटर
लेकिन इस कीमत पर जब विभिन्न टैक्स और शुल्क जोड़ दिए जाते हैं, तब जाकर पेट्रोल की कीमत 90 रुपये से ऊपर पहुंचती है।
कीमत तय कैसे होती है?
फ्यूल की कीमतें तय करने में कई कारक भूमिका निभाते हैं। उदाहरण के तौर पर अगर एक महीने पहले दिल्ली में पेट्रोल की कीमत को देखा जाए, तो उसकी संरचना इस प्रकार रही थी:
डीलर को देय कीमत: ₹55.66 प्रति लीटर
डीलर कमीशन: ₹3.77 प्रति लीटर
केंद्र सरकार की एक्साइज ड्यूटी: ₹19.90 प्रति लीटर
राज्य सरकार का वैट: ₹15.39 प्रति लीटर
कुल कीमत: ₹94.72 प्रति लीटर
इस संरचना से स्पष्ट होता है कि पेट्रोल की कीमतों में सबसे बड़ा हिस्सा टैक्स और शुल्क का होता है।
अंतरराष्ट्रीय बाजार पर निर्भर हैं दरें
पेट्रोल और डीजल की कीमतें पूरी तरह से अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों पर निर्भर करती हैं। जैसे ही वैश्विक बाजार में तेल की कीमतों में उतार-चढ़ाव आता है, उसका सीधा असर भारत में रिटेल कीमतों पर देखने को मिलता है।
जनता की जेब पर सीधा असर
एक्साइज ड्यूटी में हालिया बढ़ोतरी का सीधा असर आम जनता की जेब पर पड़ेगा। परिवहन लागत बढ़ने से वस्तुओं की कीमतें भी बढ़ सकती हैं, जिससे महंगाई में इज़ाफा संभव है। सरकार को चाहिए कि वह टैक्स ढांचे की समीक्षा करते हुए राहत के रास्ते तलाशे।

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