सोनप्रभात न्यूज़ | धार्मिक डेस्क
Puja Tips : हर व्यक्ति अपनी श्रद्धा और परंपराओं के अनुसार ईश्वर की आराधना करता है। पूजा-अर्चना को ईश्वर से जुड़ने और प्रार्थना पहुंचाने का एक प्रभावी माध्यम माना जाता है। मान्यता है कि नियमित रूप से भक्तिभाव से की गई पूजा घर में सुख-समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा बनाए रखती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि पूजा का समय भी इसकी प्रभावशीलता को प्रभावित करता है? आइए जानते हैं कि शास्त्रों के अनुसार पूजा के लिए सबसे उपयुक्त और निषिद्ध समय कौन-सा है।
सूर्योदय का समय: सबसे उत्तम पूजा काल
शास्त्रों के अनुसार, सूर्योदय का समय पूजा-पाठ के लिए सबसे शुभ माना जाता है। यह वह समय होता है जब व्यक्ति का शरीर और मन अपने सबसे शुद्ध स्तर पर होते हैं। इस समय ध्यान केंद्रित करना और आध्यात्मिक ऊर्जा ग्रहण करना आसान होता है। सुबह के समय भगवान की आराधना करने से प्रार्थनाओं के शीघ्र स्वीकार होने की मान्यता है।
गोधूलि वेला: संध्या पूजा का विशेष महत्व
सुबह के साथ-साथ संध्याकाल, जिसे गोधूलि वेला कहा जाता है, को भी पूजा के लिए बहुत पवित्र माना गया है। वेदों के अनुसार, यह समय दिन और रात के मिलन का होता है और इसे अत्यंत शुभ माना जाता है। इस समय भगवान का ध्यान और भजन-कीर्तन करने से भी विशेष लाभ प्राप्त होता है।
कब नहीं करनी चाहिए पूजा?
शास्त्रों में दोपहर के समय पूजा को निषेध माना गया है। यह समय अभिजीत मुहूर्त कहलाता है और इसे पितरों का समय माना जाता है। इस दौरान भगवान विश्राम करते हैं, इसलिए दोपहर में पूजा करने से इसका पूर्ण फल प्राप्त नहीं होता। अतः शास्त्रों के अनुसार, इस समय पूजा-पाठ से बचना चाहिए।
Disclaimer : इस लेख में दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं और ग्रंथों के आधार पर प्रस्तुत की गई है। पाठकों से अनुरोध है कि वे इसे अंतिम सत्य न मानें और अपनी श्रद्धा एवं विवेक के अनुसार निर्णय लें। सोनप्रभात न्यूज़ अंधविश्वास के खिलाफ है और वैज्ञानिक सोच को बढ़ावा देता है।

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