February 5, 2025 12:22 PM

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सावित्रीबाई फुले : नारी शिक्षा और मुक्ति आंदोलन की अग्रदूत

Sonprabhat News : U. Gupta

सावित्रीबाई फुले : हर साल 3 जनवरी को सावित्रीबाई फुले की जयंती के रूप में मनाया जाता है। इस दिन, महाराष्ट्र के सतारा जिले के छोटे से गांव नायगांव में 1831 में जन्मी सावित्रीबाई फुले ने भारतीय समाज में शिक्षा और महिलाओं के अधिकारों के लिए एक नई क्रांति का आरंभ किया। यह केवल उनका जन्मदिन नहीं है, बल्कि नारी शिक्षा और नारी मुक्ति आंदोलन का भी जन्मदिवस है।

प्रारंभिक जीवन और शिक्षा की कठिनाईयां

सावित्रीबाई फुले का जन्म एक दलित परिवार में हुआ था, ऐसे समय में जब महिलाओं और विशेष रूप से दलितों को शिक्षा से वंचित रखा जाता था। बचपन में जब उन्होंने अंग्रेजी किताब पढ़ने की कोशिश की, तो उन्हें उनके पिता की डांट सहनी पड़ी। लेकिन उसी दिन उन्होंने यह दृढ़ निश्चय किया कि शिक्षा हर हाल में हासिल करनी है। उनका विवाह मात्र 9 वर्ष की आयु में ज्योतिराव फुले से हुआ, जो उस समय तीसरी कक्षा में पढ़ते थे।

ज्योतिराव ने उनकी पढ़ाई में पूरा सहयोग दिया। हालांकि, जब सावित्रीबाई पढ़ने जाती थीं, तो लोग उन पर पत्थर और कीचड़ फेंकते थे। इन तमाम मुश्किलों के बावजूद, उन्होंने हार नहीं मानी और शिक्षा के प्रति अपने समर्पण को जारी रखा।

देश का पहला महिला विद्यालय

1848 में, सावित्रीबाई और उनके पति ज्योतिराव फुले ने पुणे में भारत का पहला बालिका विद्यालय खोला। यह विद्यालय न केवल शिक्षा का केंद्र बना, बल्कि महिलाओं के अधिकारों के लिए लड़ाई का प्रतीक भी। सावित्रीबाई खुद इस विद्यालय की प्रधानाचार्या बनीं। उनके इस कार्य को ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने भी सराहा और सम्मानित किया।

महिलाओं के अधिकारों की लड़ाई

सावित्रीबाई फुले का संघर्ष शिक्षा तक सीमित नहीं था। उन्होंने समाज में व्याप्त छुआछूत, जातिवाद और महिलाओं के प्रति अन्याय के खिलाफ भी लड़ाई लड़ी। उन्होंने नारी मुक्ति आंदोलन की नींव रखी और शोषित महिलाओं को शिक्षित कर अन्याय के खिलाफ आवाज उठाने के लिए प्रेरित किया।

प्लेग महामारी में सेवा और बलिदान

सावित्रीबाई फुले का जीवन दूसरों की सेवा के लिए समर्पित था। 1897 में जब प्लेग महामारी फैली, तो उन्होंने बीमारों की सेवा में खुद को झोंक दिया। दुर्भाग्यवश, इसी महामारी के दौरान 10 मार्च 1897 को उनका निधन हो गया।

सावित्रीबाई फुले के प्रेरक विचार

सावित्रीबाई फुले ने अपने विचारों और कार्यों से समाज को एक नई दिशा दी। उनके कुछ प्रेरक विचार आज भी हमें प्रेरित करते हैं:

  • “एक सशक्त और शिक्षित स्त्री सभ्य समाज का निर्माण कर सकती है।”
  • “तुम्हारा भी शिक्षा का अधिकार है, इसे हासिल करो।”
  • “कब तक तुम गुलामी की बेड़ियों में जकड़ी रहोगी? उठो और अपने अधिकारों के लिए संघर्ष करो।”
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