June 23, 2025 5:25 PM

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Shimla Agreement: शिमला समझौता खतरे में! पाकिस्तान के निलंबन के फैसले से भारत-पाक रिश्तों पर मंडराया संकट

Shimla Agreement : 1971 के युद्ध के बाद भारत-पाकिस्तान के बीच शांति का प्रतीक रहा यह समझौता अब खतरे में; पहलगाम हमले के बाद बढ़े तनाव ने दोनों देशों के संबंधों को नए मोड़ पर ला दिया

Sonprabhat Digital Desk

Shimla Agreement: भारत और पाकिस्तान के बीच 1971 के युद्ध के बाद हुए शिमला समझौते (Simla Agreement) को पाकिस्तान ने 24 अप्रैल 2025 को निलंबित करने की घोषणा की। यह कदम भारत द्वारा सिंधु जल समझौते (Indus Waters Treaty) को निलंबित करने और पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में कई कूटनीतिक कदम उठाने के बाद आया है। शिमला समझौता दोनों देशों के बीच शांति, सहयोग और नियंत्रण रेखा (LoC) की पवित्रता को बनाए रखने का एक महत्वपूर्ण दस्तावेज रहा है। इसके निलंबन ने भारत-पाकिस्तान संबंधों को और जटिल कर दिया है। आइए, इस समझौते के महत्व, निलंबन के कारणों और इसके संभावित प्रभावों पर नजर डालते हैं।

शिमला समझौता क्या है?

शिमला समझौता 2 जुलाई 1972 को भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति जुल्फिकार अली भुट्टो द्वारा हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में हस्ताक्षरित एक ऐतिहासिक शांति संधि है। यह समझौता 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध के बाद हुआ, जिसमें पाकिस्तान की हार हुई और पूर्वी पाकिस्तान अलग होकर बांग्लादेश बन गया। इस समझौते का उद्देश्य दोनों देशों के बीच शांति स्थापित करना, युद्ध के परिणामों को व्यवस्थित करना और भविष्य में विवादों को शांतिपूर्ण ढंग से सुलझाने का ढांचा तैयार करना था।

समझौते के प्रमुख बिंदु

  1. नियंत्रण रेखा (LoC) की स्थापना:

    • समझौते ने जम्मू-कश्मीर में 17 दिसंबर 1971 की युद्धविराम रेखा को नियंत्रण रेखा (Line of Control) के रूप में परिभाषित किया।

    • दोनों देशों ने सहमति जताई कि वे LoC को एकतरफा रूप से बदलने की कोशिश नहीं करेंगे, चाहे उनके बीच मतभेद या कानूनी व्याख्याएं कुछ भी हों।

  2. शांतिपूर्ण समाधान:

    • भारत और पाकिस्तान ने वचन दिया कि वे अपने विवादों, विशेष रूप से कश्मीर मुद्दे को, द्विपक्षीय बातचीत के माध्यम से हल करेंगे और किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता से बचेंगे।

    • दोनों देशों ने संयुक्त राष्ट्र चार्टर के सिद्धांतों का पालन करते हुए शांति, मैत्री और सहयोग को बढ़ावा देने का संकल्प लिया।

  3. सैन्य वापसी और युद्धबंदी:

    • समझौते में दोनों देशों की सेनाओं को अंतरराष्ट्रीय सीमा पर अपनी-अपनी सीमाओं पर वापस जाने का प्रावधान था।

    • भारत ने युद्ध के दौरान कब्जाए गए 13,000 वर्ग किलोमीटर से अधिक पाकिस्तानी क्षेत्र को वापस किया, हालांकि कुछ रणनीतिक क्षेत्र (जैसे तुरतुक और चोरबट घाटी) भारत के पास रहे।

    • युद्धबंदियों की वापसी और बांग्लादेश को पाकिस्तान द्वारा मान्यता देने का रास्ता भी इस समझौते ने प्रशस्त किया।

  4. स्थायी शांति की नींव:

    • समझौता दोनों देशों के बीच “टकराव और संघर्ष को समाप्त करने” और “स्थायी शांति, मैत्री और सहयोग” स्थापित करने की दिशा में एक व्यापक योजना थी।

पाकिस्तान ने समझौता क्यों निलंबित किया?

पाकिस्तान का यह कदम पहलगाम आतंकी हमले (23 अप्रैल 2025) के बाद भारत की जवाबी कार्रवाइयों के प्रत्युत्तर में आया है, जिसमें 26 लोग मारे गए थे। भारत ने हमले के लिए पाकिस्तान-प्रायोजित आतंकवाद को जिम्मेदार ठहराया और निम्नलिखित कदम उठाए:

  • सिंधु जल समझौते का निलंबन: भारत ने 1960 के इस समझौते को निलंबित कर दिया, जिसे पाकिस्तान ने “जल युद्ध” करार दिया।

  • कूटनीतिक संबंधों में कटौती: भारत ने पाकिस्तानी उच्चायोग के सैन्य अधिकारियों को निष्कासित किया, सभी पाकिस्तानी वीजा रद्द किए, और अटारी-वाघा सीमा को बंद कर दिया।

  • पाकिस्तानी नागरिकों को निष्कासन: भारत ने सभी पाकिस्तानी नागरिकों को 48 घंटे में देश छोड़ने का आदेश दिया।

इन कदमों से बौखलाए पाकिस्तान ने अपने राष्ट्रीय सुरक्षा समिति (NSC) की बैठक के बाद शिमला समझौते सहित सभी द्विपक्षीय समझौतों को निलंबित करने की घोषणा की। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने भारत पर “पाकिस्तान में आतंकवाद को बढ़ावा देने” और “कश्मीर पर संयुक्त राष्ट्र प्रस्तावों का उल्लंघन” करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि निलंबन तब तक प्रभावी रहेगा, जब तक भारत अपनी “आतंकवादी गतिविधियां” बंद नहीं करता।

शिमला समझौते के निलंबन का प्रभाव

पाकिस्तान द्वारा शिमला समझौते को निलंबित करने का निर्णय दोनों देशों के बीच तनाव को अभूतपूर्व स्तर पर ले जा सकता है। इसके संभावित प्रभाव निम्नलिखित हैं:

1. नियंत्रण रेखा (LoC) की वैधानिकता पर सवाल

  • शिमला समझौते ने LoC को एक औपचारिक सीमा के रूप में मान्यता दी थी, जिसे दोनों देशों ने सम्मान करने का वचन दिया था।

  • निलंबन का मतलब है कि LoC की वैधानिकता अब खतरे में है। कुछ भारतीय सूत्रों का कहना है कि यदि पाकिस्तान समझौते को नहीं मानता, तो भारत भी LoC का सम्मान करने के लिए बाध्य नहीं है। इससे कश्मीर में सैन्य तनाव बढ़ सकता है।

  • पाकिस्तान के इस कदम से वह कश्मीर मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय मंचों, जैसे संयुक्त राष्ट्र या इस्लामिक सहयोग संगठन (OIC), पर ले जा सकता है, जो समझौते के द्विपक्षीय सिद्धांत का उल्लंघन होगा।

2. सैन्य टकराव का खतरा

  • LoC पर पहले से ही समय-समय पर गोलीबारी और घुसपैठ की घटनाएं होती रही हैं। समझौते के निलंबन से दोनों देशों की सेनाएं LoC को पार करने की कोशिश कर सकती हैं, जिससे पूर्ण पैमाने पर सैन्य टकराव का खतरा बढ़ेगा।

  • 1999 के कारगिल युद्ध में पाकिस्तान ने LoC का उल्लंघन किया था, जिसे शिमला समझौते का खुला उल्लंघन माना गया। निलंबन के बाद ऐसी घटनाएं और बढ़ सकती हैं।

3. कूटनीतिक और आर्थिक प्रभाव

  • पाकिस्तान ने भारतीय विमानों के लिए अपना हवाई क्षेत्र बंद कर दिया, जिससे भारतीय एयरलाइंस को लंबे रास्तों का सहारा लेना पड़ेगा। इससे उड़ान लागत 8-12% तक बढ़ सकती है।

  • वाघा सीमा पर व्यापार और आवागमन पूरी तरह बंद हो गया है, जिससे दोनों देशों के बीच सीमित व्यापारिक संबंध और प्रभावित होंगे।

  • पाकिस्तान ने भारतीय नागरिकों (सिख तीर्थयात्रियों को छोड़कर) को 30 अप्रैल तक देश छोड़ने का आदेश दिया है, जिससे दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक और मानवीय संपर्क टूट सकते हैं।

4. क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रभाव

  • शिमला समझौते का निलंबन दक्षिण एशिया में अस्थिरता को बढ़ा सकता है। चीन, जो पाकिस्तान का करीबी सहयोगी है, इस स्थिति का फायदा उठाकर कश्मीर मुद्दे में हस्तक्षेप कर सकता है।

  • यदि पाकिस्तान कश्मीर मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र में ले जाता है, तो भारत को अपने कूटनीतिक प्रभाव का उपयोग करके इसे द्विपक्षीय मुद्दा बनाए रखने की चुनौती होगी। भारत को रूस और अमेरिका जैसे देशों से समर्थन जुटाने की जरूरत पड़ सकती है।

5. भारत के लिए अवसर और जोखिम

  • कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि पाकिस्तान का यह कदम उल्टा पड़ सकता है। LoC की वैधानिकता खत्म होने से भारत को पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) पर कार्रवाई करने का मौका मिल सकता है।

  • हालांकि, यह कदम भारत के लिए जोखिम भरा भी हो सकता है, क्योंकि इससे क्षेत्र में सैन्य और कूटनीतिक तनाव बढ़ेगा, जिसका असर भारत की अर्थव्यवस्था और वैश्विक छवि पर पड़ सकता है।

भविष्य की राह

शिमला समझौते का निलंबन भारत और पाकिस्तान के बीच पहले से ही तनावपूर्ण संबंधों को और खराब कर सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि दोनों देशों को इस संकट से निपटने के लिए निम्नलिखित कदम उठाने चाहिए:

  • बैक-चैनल कूटनीति: दोनों देशों को गुप्त चैनलों के माध्यम से बातचीत शुरू करनी चाहिए ताकि तनाव कम हो और समझौते को बहाल किया जा सके।

  • विश्व बैंक और संयुक्त राष्ट्र की भूमिका: विश्व बैंक, जिसने सिंधु जल समझौते में मध्यस्थता की थी, शिमला समझौते के मुद्दे पर भी तटस्थ मध्यस्थ की भूमिका निभा सकता है।

  • क्षेत्रीय स्थिरता: दक्षिण एशिया में शांति के लिए दोनों देशों को अपने हितों से ऊपर उठकर सहयोग करना होगा।

Read Also – भारत-पाकिस्तान के बीच सिंधु जल समझौता: एक नजर में पूरी जानकारी

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