• जटिल प्रश्न: वैश्य संगठनों की बहुलता क्यों?
Singrauli News | संवाददाता – सुरेश गुप्ता ग्वालियरी सह-संपादक सोन प्रभात
विंध्य नगर, बैढ़न। यह एक जटिल प्रश्न है कि हमें अनेक वैश्य संगठनों को बनाने की आवश्यकता ही क्यों पड़ती है। क्या कोई ऐसा दल नहीं बन सकता जो केवल वैश्य समाज के हित में समर्पित हो? इस तरह की कोशिशें की भी गईं, परन्तु दलगत राजनीति ने कभी वैश्य समाज को एक नहीं होने दिया।
डॉ. सुमंत गुप्ता की नेतृत्व क्षमता और आयोजन
सन 2000 के आसपास का वह समय भी था जब वैश्य समाज के एकमात्र नेता, अखिल भारतीय वैश्य एकता परिषद के अध्यक्ष डॉ. सुमंत गुप्ता ने एक से एक बढ़कर अनेक कार्यक्रम आयोजित किए। दिल्ली के एक विशेष कार्यक्रम में मैं स्वयं उपस्थित था। उस आयोजन में उपराष्ट्रपति श्री कृष्णकांत, दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित, बिहार की नेता रमा गुप्ता, दैनिक भास्कर के मालिक अग्रवाल जी सहित अनेक चैनल्स के मालिक भी सम्मिलित हुए थे।

एक सशक्त वैश्य संगठन की उम्मीद
उस समय प्रतीत हुआ कि हम एक बहुत बड़े वैश्य संगठन के निर्माण की ओर अग्रसर हैं, पर यह सपना अधूरा रह गया।
नरेश अग्रवाल का समर्थन और रथ यात्रा
एक समय वैश्य समाज के सबसे बड़े एवं मुखर नेता, माननीय नरेश अग्रवाल जी — जो उस समय उत्तर प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री थे — ने हर प्रकार का सहयोग करते हुए, वैश्य समाज के समर्पित नेता डॉ. सुमंत गुप्ता को रथ यात्रा द्वारा उत्तर प्रदेश के दौरे पर भेजा। जगह-जगह भव्य स्वागत हुआ और व्यापक समर्थन मिला।
मैंने स्वयं इनसे मिलकर सदस्यता ग्रहण की और जिले की जिम्मेदारी संभाली। दिल्ली, आगरा, वाराणसी, लखनऊ, कानपुर, मिर्जापुर, इलाहाबाद सहित अनेक शहरों में भव्य आयोजन किए गए।
सत्तारूढ़ दलों का साथ और फिर बिखराव
यह वह समय था जब अनेक सत्तारूढ़ दलों के नेता मंच साझा करना अपना सौभाग्य मानते थे। फिर एक कार्यक्रम में तत्कालीन सपा सरकार के कैबिनेट मंत्री नरेश अग्रवाल जी ने मंच से संबोधित करते हुए वैश्य समाज के लोगों को सपा से जुड़ने का आह्वान किया और हर तरह की सुविधा देने की घोषणा की।
मंच पर भाजपा के कई वरिष्ठ नेता भी उपस्थित थे। परिणामस्वरूप संगठन में बिखराव शुरू हो गया।
संगठन का संकट और आर्थिक चुनौतियाँ
डॉ. सुमंत गुप्ता एक मजबूत वक्ता, संगठनकर्ता और विनम्र स्वभाव के व्यक्ति थे। नरेश अग्रवाल जी का साथ छूटते ही यह संगठन अनेक समस्याओं से जूझने लगा। बिना आर्थिक व्यवस्था के कोई संगठन चलाना बेहद कठिन होता है।
नतीजा यह हुआ कि कई छोटे-छोटे वैश्य संगठनों का जन्म हुआ और वे अपने-अपने राजनीतिक दलों के लिए लॉबिंग करते रहे। लेकिन समाज को कोई सशक्त संगठन नहीं मिल सका।
मध्य प्रदेश की भूमिका और वैश्य महासम्मेलन
मध्य प्रदेश में अंतरराष्ट्रीय वैश्य महासम्मेलन और वैश्य महासम्मेलन (उमाशंकर गुप्ता) के नेतृत्व ने ब्लॉक स्तर तक एक मजबूत संगठन को खड़ा किया। वर्तमान में भी इसके समानांतर कोई संगठन खड़ा नहीं हो पाया है।
अब समय है एक नई सोच का
अब आवश्यकता है एक ऐसे वैश्य संगठन की, जो राजनीतिक अवश्य हो पर दलगत राजनीति से दूर रहकर केवल वैश्य समाज के हित में कार्य करे। कहा जाता है — “जैसे आप बालू को मुट्ठी में कैद नहीं कर सकते, या मेंढकों को तराजू पर नहीं तौल सकते”, वैसे ही वैश्य संगठन को एक मंच पर लाना अत्यंत दुरूह कार्य है।
‘हमारा समाज पार्टी’ की नई पहल
आज हमारा समाज पार्टी ने इस दिशा में एक ठोस कदम आगे बढ़ाया है और यह भी सिद्ध किया है कि जहां-जहां समाज पीड़ित हुआ है, वहां- वहां इस दल ने अपनी सशक्त उपस्थिति दर्ज कराई है।
तो आइए, एक बार फिर इस संगठन को भी समर्थन दें और इसे मजबूत बनाएं — ताकि वैश्य समाज को एक सशक्त आवाज मिल सके।

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