Sonbhadra News/Report: जितेंद्र कुमार चंद्रवंशी, ब्यूरो चीफ, सोनभद्र
सोनभद्र। 12 साल पहले नौकरी दिलाने के नाम पर 3.30 लाख रुपये लेकर फर्जी नियुक्ति पत्र देने के मामले में शुक्रवार को सीजेएम आलोक यादव की अदालत ने आरोपी संतोष कुमार मिश्र को दोषी करार देते हुए 7 साल की सश्रम कैद और 90 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई। अदालत ने यह भी निर्देश दिया कि जुर्माना न देने की स्थिति में दोषी को 6 महीने की अतिरिक्त कैद भुगतनी होगी। जेल में बिताई गई अवधि को सजा में समाहित किया जाएगा।
मामले की पृष्ठभूमि
यह मामला 2012 का है, जब मदैनिया निवासी अंबरीश कुमार शुक्ला ने अदालत में 156(3) सीआरपीसी के तहत प्रार्थना पत्र देकर शिकायत की थी। उन्होंने बताया कि आरोपी संतोष कुमार मिश्र, जो खुद को उत्तर प्रदेश जनसंपर्क विभाग लखनऊ में जूनियर डायरेक्टर बताते थे, ने उनसे सरकारी नौकरी दिलाने के नाम पर 3.30 लाख रुपये लिए। यह राशि 14 नवंबर 2012 को गवाहों की मौजूदगी में दी गई, जिसके बदले आरोपी ने एक नियुक्ति पत्र सौंपा। जब शुक्ला इस नियुक्ति पत्र को लेकर लखनऊ गए, तो पता चला कि यह फर्जी है।
चेक बाउंस और धमकी का मामला
शिकायतकर्ता ने जब आरोपी से पैसे वापस मांगे, तो उन्हें एक चेक दिया गया। लेकिन जब यह चेक 1 मई 2013 को बैंक में जमा किया गया, तो 7 मई 2013 को बैंक ने खाता बंद होने की सूचना दी। पैसे न मिलने पर जब शिकायतकर्ता ने फिर से आरोपी से बात की, तो उन्हें जान से मारने की धमकी दी गई।
पुलिस कार्रवाई और अदालत का निर्णय
अदालत के आदेश पर 25 जून 2013 को करमा पुलिस ने आरोपी के खिलाफ धोखाधड़ी समेत विभिन्न धाराओं में एफआईआर दर्ज की। विवेचना के दौरान पर्याप्त सबूत मिलने पर पुलिस ने कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की। मामले की सुनवाई के दौरान 17 अगस्त 2017 को आरोपी पर आरोप तय किए गए।
दोष सिद्ध और सजा
मामले की सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष की ओर से 10 गवाह पेश किए गए। अदालत ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने और दस्तावेजों की जांच के बाद आरोपी संतोष कुमार मिश्र को दोषी पाया। उन्हें 7 साल की सश्रम कैद और 90 हजार रुपये के अर्थदंड की सजा सुनाई गई। जुर्माना अदा न करने पर 6 महीने की अतिरिक्त कैद भुगतनी होगी। अभियोजन पक्ष की ओर से वरिष्ठ अभियोजन अधिकारी सतीश वर्मा ने बहस की।
न्याय का संदेश
इस फैसले से यह स्पष्ट होता है कि धोखाधड़ी और फर्जीवाड़े जैसे अपराधों के खिलाफ न्यायिक प्रणाली सख्त है। अदालत का यह निर्णय समाज में न्याय की स्थापना और अपराधियों के लिए चेतावनी के रूप में कार्य करेगा।
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