सोनभद्र स्थापना दिवस : उत्तर प्रदेश के हृदय में स्थित सोनभद्र आज अपने 36वें स्थापना दिवस का जश्न मना रहा है। 4 मार्च 1989 को मिर्जापुर से अलग होकर एक नया जिला बना सोनभद्र, आज ऊर्जा उत्पादन, खनिज संपदा और सांस्कृतिक विरासत का अद्भुत संगम बन चुका है। इसे “भारत की ऊर्जा राजधानी” के नाम से भी जाना जाता है, जहां की धरती न केवल बिजली की रोशनी बिखेरती है, बल्कि अपनी ऐतिहासिक और प्राकृतिक धरोहर से हर आगंतुक को आकर्षित करती है।
सोनभद्र का अतीत और विकास यात्रा
सोनभद्र का इतिहास गहराइयों में छिपा है। यह वह धरती है, जहां महाभारत काल से लेकर गुप्त और चंदेल राजाओं की गूंज आज भी सुनाई देती है। यहां की पहाड़ियां, गुफाएं और जलप्रपात साक्षी हैं कि यह भूमि कितनी प्राचीन और समृद्ध रही है। विंध्य और कैमूर पर्वतमाला से घिरा यह क्षेत्र खनिज भंडारों से परिपूर्ण है, जिसने इसे औद्योगिक दृष्टि से भी समृद्ध बनाया।
वर्तमान परिदृश्य: प्रगति की ओर बढ़ते कदम
आज सोनभद्र उत्तर प्रदेश के सबसे महत्वपूर्ण औद्योगिक जिलों में गिना जाता है। यहां मौजूद हिंडाल्को, एनटीपीसी, रिलायंस, रेनुकोट और सिंगरौली जैसी बड़ी कंपनियां इसे ऊर्जा और खनिज उत्पादन का केंद्र बनाती हैं। बिजली उत्पादन में इसकी भागीदारी उत्तर प्रदेश के विकास को मजबूती देती है।
संस्कृति और पर्यटन की अनमोल धरोहर
सोनभद्र सिर्फ उद्योगों तक सीमित नहीं है। यहां की प्राकृतिक सुंदरता भी अद्वितीय है।
– रिहंद जलाशय और बाणसागर बांध जहां जल पर्यटन को बढ़ावा देते हैं,
– ककरी जलप्रपात और सोन नदी के किनारे बसे खूबसूरत घाट सैलानियों को आकर्षित करते हैं,
– विजयगढ़ किला और अगोरी किला इतिहास प्रेमियों के लिए विशेष आकर्षण हैं।
सोनभद्र में जनजातीय संस्कृति भी अद्भुत है। यहाँ गोंड, कोल और चेरो जनजातियां अपनी विशिष्ट परंपराओं और लोककला के लिए प्रसिद्ध हैं। इनकी सांस्कृतिक धरोहर जिले की पहचान को और भी खास बनाती है।
स्थापना दिवस का उत्सव: एक नए संकल्प की ओर
आज सोनभद्र के स्थापना दिवस के अवसर पर स्थानीय प्रशासन, जनप्रतिनिधि और आम जनता मिलकर इसे और आगे ले जाने की प्रतिबद्धता जता रहे हैं।
- नए बुनियादी ढांचे के विकास की योजनाएं
- शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के प्रयास
- पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए नई पहलें
आइए, सोनभद्र के भविष्य को संवारें!
स्थापना दिवस केवल जश्न मनाने का अवसर नहीं, बल्कि एक नए संकल्प का दिन भी है। यह वह क्षण है जब हम अपने जिले के विकास के लिए नई ऊर्जा के साथ आगे बढ़ें। आइए, इस मिट्टी की खुशबू को और दूर तक फैलाएं, इसके प्राकृतिक और सांस्कृतिक वैभव को नई ऊंचाइयों तक ले जाएं।
सोनभद्र स्थापना दिवस की सभी जिलेवासियों को हार्दिक शुभकामनाएं!
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