January 23, 2025 10:53 PM

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सोनभद्र : नेताजी सुभाष चंद्र बोस जयंती पर शहीद स्थल करारी में कवि गोष्ठी का आयोजन

सोनभद्र : नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती पर शहीद स्थल करारी में कवि गोष्ठी का आयोजन, ओजस्वी कवियों ने राष्ट्र प्रेम, स्वतंत्रता संग्राम और समाजिक मुद्दों पर अपनी रचनाओं से उपस्थित जनसमूह को किया प्रेरित

Sonbhadra News/Report: Sanjay Singh/Ashish Gupta

सोनभद्र : नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती के अवसर पर शहीद स्थल प्रबंधन ट्रस्ट करारी सोनभद्र द्वारा एक भव्य कवि गोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत गुरुवार सुबह शहीद स्मारक करारी पर तिरंगा फहराकर, राष्ट्रगान और शहीदों की प्रतिमा पर माल्यार्पण के साथ हुई। इसके बाद दीपदान और शारदे स्तवन के साथ कवि गोष्ठी का विधिवत आरंभ हुआ।

कार्यक्रम में ओजस्वी कवयित्री कौशल्या कुमारी चौहान ने अपनी कविता “अंधकार का नाश करो मां, जन जन का संत्रास हरो मां” सुनाकर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। उनके शब्दों ने कार्यक्रम में एक शांतिकामी और प्रेरणादायक माहौल उत्पन्न किया।

कवयित्री धर्मेश चौहान ने अपनी शायरी “गिरगिट की तरह रंग बदलता आदमी, चेहरे पर चेहरा लगाकर है निकलता आदमी” से समाज में व्याप्त बदलाव और इंसानी प्रकृति पर गहरी टिप्पणी की, जिससे वहां मौजूद सभी लोग सोचने पर मजबूर हो गए।

प्रदुम्न कुमार त्रिपाठी, जो शहीद स्थल प्रबंधन ट्रस्ट के निदेशक भी हैं, ने अपनी कविता “फिर से हमें सुभाष चाहिए, गौरवमय इतिहास चाहिए” से शहीदों की शहादत को याद करते हुए राष्ट्र के प्रति प्रेम और सम्मान को उजागर किया।

कवि जयराम सोनी ने नेताओं पर व्यंग्य करते हुए अपनी कविता “नीमन नीमन बाति सुनाके, आगि लगवला पानी में” से उपस्थित लोगों को हंसी से सराबोर कर दिया।

संचालन कर रहे अशोक तिवारी ने शायरी “बूढ़ा बरगद आंधियों की जद में आ गया” सुनाकर श्रोताओं को गंभीर सोच की दिशा में प्रेरित किया। वहीं, राष्ट्रवाद के मुखर स्वर में प्रभात सिंह चंदेल ने देशप्रेम को समर्पित रचना “ले मशाल जो हांथ में निकले परिवर्तन हैं लाये” प्रस्तुत कर उपस्थित सभी को उत्साहित किया।

शायर जुल्फेकार हैदर खान ने अपनी शायरी “दिल करे तो याद कर लेना तनहा हूं, पर भूला नहीं हूं” से श्रोताओं को ग़ज़ल के माध्यम से भावविभोर कर दिया।

स्वदेश प्रेम की भावना को उकेरते हुए सुधाकर पांडेय ने “तिरंगे में सजे अर्थी बजे धुन राष्ट्र गीतों की जनाजा” जैसी गहरी शायरी सुनाई, जो उपस्थित सभी लोगों को झकझोर देने वाली थी।

इस आयोजन के दौरान दिलीप सिंह दीपक का सम्मान भी किया गया, जिन्होंने “अंधेरा घना है अंधेरा घना” कविता से सत्ता और समाज की कुरीतियों को नसीहत दी।

आयोजन की अध्यक्षता करते हुए दिवाकर द्विवेदी मेघ ने अपनी हास्य और व्यंग्यपूर्ण रचनाओं से माहौल को हल्का किया और श्रोताओं को झूमने पर मजबूर कर दिया।

इस कार्यक्रम में फारुख अली हाशमी, रिषभ, पुरुषोत्तम, ठाकुर कुशवाहा, प्रधान संगीता तिवारी, जयशंकर त्रिपाठी, रामयश तिवारी, त्रिभुवन त्रिपाठी, बृजकिशोर देव पाण्डेय, बलिराम, गनेश, विजय शंकर त्रिपाठी, शिखा, आद्या, अंशिका, मृत्युंजय, ममता, समता सहित सैकड़ों लोग उपस्थित थे।

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