सोनभद्र खनन हादसा : अवैध हिस्सेदारी के खेल के बीच रेस्क्यू में मिले 5 शव, पहचान जारी—और शव मिलने की आशंका। 

सोनभद्र न्यूज / सोन प्रभात : संपादकीय / सोनभद्र खनन हादसा

सोनभद्र। ओबरा के बिल्ली मारकुंडी स्थित श्री कृष्णा माइनिंग वर्क्स में हुए भीषण हादसे ने जिले को दहला दिया है। हादसे के बाद चल रही जांच में जहां खदान में राजनीतिक और बाहरी लोगों की अवैध हिस्सेदारी का खुलासा हुआ है, वहीं रेस्क्यू ऑपरेशन में लगातार दुखद दृश्य सामने आ रहे हैं।

दो दिन की मशक्कत के बाद अब तक 5 शव बरामद

एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की संयुक्त टीम ने लगातार दो दिनों के रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद मलबे से अब तक 5 शवों को बाहर निकाला है।
सभी शवों को जिला अस्पताल के पोस्टमार्टम हाउस में सुरक्षित रखा गया है, जहां उनकी पहचान के लिए परिजनों को बुलाया जा रहा है।

मर्चरी हाउस परिसर में भारी पुलिस बल तैनात किया गया है ताकि किसी भी प्रकार की अव्यवस्था न हो।
रेस्क्यू टीमें लगातार काम कर रही हैं, और कुछ और शव मिलने की आशंका जताई जा रही है।

अवैध हिस्सेदारी का बड़ा खेल—पूर्व ब्लॉक प्रमुख को सबसे बड़ा हिस्सा!

जांच में स्पष्ट हुआ है कि खदान की हिस्सेदारी नौ लोगों में बांटी गई थी, जिनमें एक स्थानीय भाजपा नेता और पूर्व ब्लॉक प्रमुख मधुसूदन सिंह का नाम सामने आया है। सबसे बड़ा हिस्सा यानी 50 प्रतिशत मधुसूदन सिंह को दिया गया था, जबकि बाकी हिस्से 15–15 प्रतिशत के थे।

दस्तावेज़ों की जांच में यह भी पाया गया कि खदान एक नाम से चलाई जा रही थी, अंदरूनी तौर पर कई लोगों की साझेदारी चल रही थी, बिना वैधानिक अनुमति के हिस्सेदार बदले गए, खनिज निकासी में नियमों का खुला उल्लंघन हुआ

हादसे के बाद कार्रवाई तेज—विशेष जांच टीम गठित

जिलाधिकारी ने तीन सदस्यीय विशेष टीम बनाकर जांच शुरू कर दी है। टीम खदान नियमों, अवैध हिस्सेदारी और हादसे के कारणों की विस्तृत रिपोर्ट तैयार करेगी।

अपर पुलिस अधीक्षक विवेक कुमार ने कहा—

“जिस किसी की जिम्मेदारी और अवैध हिस्सेदारी की पुष्टि होगी, उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।”

खनन विभाग ने भी संचालकों और अघोषित हिस्सेदारों के खिलाफ कई धाराओं में प्राथमिकी दर्ज की है।

सिस्टम पर तगड़े सवाल—क्या संरक्षण में चल रहा था अवैध खनन?

स्थानीय लोगों का कहना है कि इतने बड़े पैमाने पर अवैध खनन और हिस्सेदारी का खेल बिना ऊपर तक संरक्षण के संभव नहीं है। हादसे ने न सिर्फ खनन व्यवस्था में फैली ढिलाई उजागर की है, बल्कि प्रशासनिक लापरवाही पर भी बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है।

 

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