• 10 हजार रूपये अर्थदंड , अर्थदंड न देने पर एक माह की अतिरिक्त कैद भुगतनी होगी
• जेल में बिताई अवधि सजा में समाहित की जाएगी
• गैंग चार्ट में इसके विरुद्ध सोनभद्र व चंदौली जिले के विभिन्न थानों में हत्या समेत 10 मुकदमें हैं दर्ज
• साढ़े 16 वर्ष से जेल में निरुद्ध है गैंग लीडर मुन्नू पाल
Sonbhadra News/Report: जितेन्द्र कुमार चन्द्रवंशी ब्यूरो चीफ सोनभद्र / राजेश पाठक
सोनभद्र। विशेष न्यायाधीश गैंगेस्टर कोर्ट सोनभद्र अर्चना रानी की अदालत ने गैंगस्टर एक्ट के मामले में मंगलवार को सुनवाई करते हुए साढ़े 16 वर्ष से जेल में निरुद्ध गैंग लीडर हार्डकोर नक्सली मुन्नू पाल को दोषसिद्ध पाकर 10 वर्ष की कठोर कैद एवं 10 हजार रूपये अर्थदंड की सजा सुनाई। अर्थदंड न देने पर एक माह की अतिरिक्त कैद भुगतनी होगी। जेल में बिताई अवधि सजा में समाहित होगी। इसके विरुद्ध गैंग चार्ट में सोनभद्र व चंदौली जिले के विभिन्न थानों में हत्या समेत 10 मुकदमें दर्ज हैं।
अभियोजन पक्ष के मुताबिक प्रभारी निरीक्षक जैनेंद्र कुमार सिंह ने चोपन थाने में दी तहरीर में अवगत कराया था कि 15 अप्रैल 2008 को पुलिस बल के साथ देखभाल क्षेत्र में था तो पता चला कि 25 फरवरी 2008 को गिरफ्तार हार्डकोर नक्सली मुन्नू पाल उर्फ रमेश उर्फ कवि जी उर्फ पुत्र भरत पाल निवासी विशेश्वरपुर, थाना नौगढ़, जिला चंदौली का एक सक्रिय गैंग है, जिसका वह गैंग लीडर है। इसके अलावा गैंग के सक्रिय सदस्यों के साथ मिलकर आर्थिक लाभ के लिए वर्ष 2004 से ही सोनभद्र व चंदौली जिले के विभिन्न थाना क्षेत्रों में अपराध करता है और सदस्यों से करवाता है। इनके विरुद्ध हत्या, डकैती, हत्या का प्रयास समेत 10 मुकदमा दर्ज हैं। लोगों में भय पैदा कर आर्थिक लाभ हेतु कार्य करना इनका एकमात्र कार्य है। यहीं वजह है कि इनके विरुद्ध कोई भी मुकदमा लिखवाने अथवा गवाही देने की जुर्रत नहीं करता है। जिसकी वजह से इनका वर्चस्व कायम है। इस तहरीर पर चोपन थाने में गैंगस्टर एक्ट में एफआईआर दर्ज किया गया था। विवेचना के उपरांत पर्याप्त सबूत मिलने पर विवेचक ने कोर्ट में गैंग लीडर हार्डकोर नक्सली मुन्नू पाल के विरूद्ध चार्जशीट दाखिल किया था।
मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं के तर्को को सुनने, गवाहों के बयान एवं पत्रावली का अवलोकन करने पर दोषसिद्ध पाकर दोषी गैंग लीडर हार्डकोर नक्सली मुन्नू पाल को 10 वर्ष की कठोर कैद एवं 10 हजार रूपये अर्थदंड की सजा सुनाई। अर्थदंड न देने पर एक माह की अतिरिक्त कैद भुगतनी होगी। जेल में बितायी अवधि सजा में समाहित होगी। अभियोजन पक्ष की ओर से सरकारी वकील धनंजय शुक्ला ने बहस की।
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