Sonbhadra News | Sonprabhat | Vinod Gupta
बीजपुर, सोनभद्र : म्योरपुर ब्लॉक के शिक्षा क्षेत्र में खंड शिक्षा अधिकारी (एबीएसए) की कार्यशैली को लेकर विवाद बढ़ता ही जा रहा है। लापरवाही और नियमों के विपरीत लिए जा रहे निर्णयों के चलते शिक्षा व्यवस्था प्रभावित हो रही है। अब हाल ही में जारी एक तुगलकी फरमान ने परिषदीय विद्यालयों के माहौल को और अधिक तनावपूर्ण बना दिया है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, एबीएसए की नीतियों और अनियमितताओं को उजागर करने वाले पत्रकारों, अभिभावकों और सत्ता पक्ष के कुछ जनप्रतिनिधियों को फर्जी मुकदमों में फंसाने की धमकियां दी जा रही हैं। अपने कुछ करीबी शिक्षकों के साथ मिलकर षड्यंत्र रचने में माहिर माने जा रहे एबीएसए अब मीडिया पर भी दबाव बनाने की रणनीति अपना रहे हैं।

प्रधानाध्यापकों की बैठक में सख्त निर्देश
गुरुवार को ब्लॉक संसाधन केंद्र, म्योरपुर (देवरी) में आयोजित एक बैठक में सैकड़ों प्रधानाध्यापकों को यह निर्देश दिए गए कि वे विद्यालय परिसर में बाहरी व्यक्तियों के प्रवेश को सख्ती से रोकें। बैठक के दौरान बीईओ ने प्रधानाध्यापकों को यह तक निर्देशित किया कि मीडिया कर्मियों, जनप्रतिनिधियों और अभिभावकों से सीधे टकराने में कोई हिचकिचाहट न रखें। विवाद की स्थिति उत्पन्न होने पर तुरंत 112 नंबर डायल कर कानूनी कार्रवाई करने की भी सलाह दी गई।

शिक्षा सुधार के बजाय अराजकता की स्थिति
बीईओ के इन निर्देशों का असर भी दिखाई देने लगा है। शुक्रवार को बीजपुर कंपोजिट विद्यालय में एक टीवी पत्रकार से बहस और अभद्रता की घटना सामने आई। बताया जा रहा है कि एक शिक्षक दंपति ने पत्रकार से तीखी नोकझोंक के बाद पुलिस में आवेदन भी दे दिया। यही नहीं, कुछ दिन पूर्व बभनी थाना क्षेत्र में भी एक शिक्षिका द्वारा अभिभावकों और नेताओं को फंसाने के लिए पुलिस को सूचना देने की कोशिश की गई थी।
विद्यालयों में महाभारत का माहौल?
शिक्षा व्यवस्था की गुणवत्ता सुधारने की बजाय, एबीएसए द्वारा विद्यालयों में असहमति को दबाने के लिए संघर्ष का वातावरण तैयार किया जा रहा है। सवाल यह उठता है कि क्या निर्दोष शिक्षकों को जबरन इस विवाद में घसीटा जा रहा है? क्यों विद्यालयों को अनुशासन और शिक्षा का केंद्र बनाने के बजाय एक संघर्ष का मैदान बनाने की योजना बनाई जा रही है?
इस पूरे प्रकरण पर शिक्षा विभाग के उच्च अधिकारियों की चुप्पी भी सवालों के घेरे में है। क्या वे इन घटनाओं से अनभिज्ञ हैं या जानबूझकर अनदेखा कर रहे हैं? अब देखना होगा कि शिक्षा विभाग इस मामले में क्या कदम उठाता है और क्या परिषदीय विद्यालयों में शांति और शिक्षा का माहौल बहाल हो पाएगा या नहीं?

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