June 9, 2025 8:35 AM

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Sonbhadra News: करोड़ों की भूमि पर अवैध निर्माण और गबन का मामला, कर्बला की जमीन पर 22 दुकानों के निर्माण को लेकर एफआईआर दर्ज करने का आदेश

  •  न्यायालय ने माना प्रथमदृष्टया संज्ञेय अपराध, पुलिस को विवेचना के निर्देश

Sonbhadra News | Sanjay Singh

सोनभद्र। रॉबर्ट्सगंज नगर क्षेत्र में स्थित कर्बला की भूमि पर कथित रूप से अवैध रूप से 22 व्यावसायिक दुकानों के निर्माण और उन्हें निजी लाभ के लिए आवंटित करने के गंभीर आरोपों के मामले में कोर्ट ने रॉबर्ट्सगंज पुलिस को प्राथमिकी दर्ज कर जांच करने का आदेश दिया है। यह आदेश मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी आलोक यादव की अदालत द्वारा जारी किया गया, जहां मामले की सुनवाई के दौरान प्रस्तुत साक्ष्यों और दलीलों को ध्यान में रखते हुए यह निर्णय लिया गया।

मौलिक रूप से धार्मिक भूमि पर व्यावसायिक निर्माण का आरोप

प्रकरण के अनुसार, नगर क्षेत्र के मौजा बभनौली के आराजी नंबर 55, जो खतौनी में ‘कर्बला’ के नाम से दर्ज भूमि (श्रेणी 6-3) है, उस पर व्यवसायिक निर्माण कर 22 दुकानें बनाई गईं। जबकि नियमानुसार इस प्रकार की धार्मिक और सार्वजनिक उपयोग की भूमि पर कोई व्यवसायिक गतिविधि संचालित नहीं की जा सकती। आरोप है कि मुश्ताक अहमद, जिन्होंने स्वयं को कर्बला संस्थान का अध्यक्ष बताया, ने संबंधित प्राधिकरण के समक्ष भ्रामक शपथ पत्र प्रस्तुत कर नक्शा पास कराया और निर्माण कार्य करवा लिया।

नकली संस्था के नाम पर दुकानों का अवैध आवंटन

मामले में यह भी सामने आया है कि तथाकथित “कर्बला संस्थान” नाम से अल्पसंख्यक कल्याण बोर्ड में कोई पंजीकरण उपलब्ध नहीं है। बावजूद इसके, मुश्ताक अहमद ने खुद को अंजुमन इस्लामिया कमेटी रॉबर्ट्सगंज का अध्यक्ष बताते हुए सभी दुकानों का निजी तौर पर आवंटन कर दिया। आरोप है कि यह पूरा कार्य कोई वैध अधिकार न होते हुए भी किया गया, और इस प्रक्रिया में कागजातों में हेरफेर और धोखाधड़ी का सहारा लिया गया।

भूमि को ईदगाह दिखा कर लाभ उठाने का आरोप

शिकायतकर्ता पक्ष का दावा है कि वक्फ बोर्ड की संपत्ति के रूप में भूमि को ईदगाह के रूप में प्रस्तुत किया गया, जबकि भूमि के राजस्व अभिलेखों में कहीं भी ईदगाह का उल्लेख नहीं है। इसके जरिए करोड़ों की सरकारी भूमि पर कब्जा कर निजी लाभ कमाया गया। विरोध करने वालों को कथित तौर पर धमकियां भी दी जा रही हैं।

जांच रिपोर्टों से खुली पोल, कोर्ट का सख्त रुख

मामले की गंभीरता को देखते हुए न्यायालय ने क्षेत्राधिकारी नगर और उपजिलाधिकारी सदर से इस विषय में आख्या मंगाई। जांच में यह स्पष्ट हुआ कि संबंधित भूमि खतौनी में कर्बला के नाम दर्ज है, न कि ईदगाह के नाम। साथ ही, जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी की रिपोर्ट में भी कहा गया कि कर्बला संस्थान नाम से कोई संस्था अभिलेखों में दर्ज नहीं है।

प्रथम दृष्टया गंभीर अपराध मानते हुए FIR के निर्देश

कोर्ट ने दस्तावेजों के अवलोकन के बाद माना कि मामला प्रथम दृष्टया संज्ञेय अपराध की श्रेणी में आता है, जिसकी निष्पक्ष विवेचना आवश्यक है। इसी आधार पर न्यायालय ने रॉबर्ट्सगंज थाना प्रभारी को उचित धाराओं में एफआईआर दर्ज कर विधिक प्रक्रिया के तहत जांच करने का निर्देश दिया है।

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