Sonbhadra News | सोनप्रभात | संवाददाता – वेदव्यास सिंह मौर्य
नगवा, सोनभद्र | जनपद के नगवा विकासखंड अंतर्गत खलियारी गांव स्थित बारात भवन में अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस का आयोजन एक्शन एड संस्था के सहयोग से उत्साहपूर्वक मनाया गया। इस आयोजन में श्रमिकों की समस्याओं, उनके अधिकारों, सामाजिक सुरक्षा योजनाओं और जलवायु परिवर्तन के प्रभाव पर गहन विचार-विमर्श किया गया।
श्रमिकों को समर्पित दिवस, उनके योगदान का सम्मान
कार्यक्रम की शुरुआत करते हुए एक्शन एड के एचआरडी कमलेश कुमार ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस न केवल श्रमिकों के योगदान को याद करने का दिन है, बल्कि उनके संघर्षों और अधिकारों की पुनः पुष्टि करने का अवसर भी है। उन्होंने कहा कि श्रमिकों को कार्यस्थलों पर न्यूनतम मजदूरी, समय पर भुगतान और मूलभूत सुविधाएं मिलनी चाहिए।

मनरेगा लोकपाल ने श्रमिकों की भूमिका को बताया अमूल्य
इस अवसर पर मनरेगा लोकपाल छोटेलाल ने कहा, “श्रमिकों की मेहनत ने देश के आर्थिक ढांचे को मजबूती दी है। हमें उनके अधिकारों की रक्षा और भलाई के लिए निरंतर प्रयास करना होगा।” उन्होंने जोर दिया कि यह दिन श्रमिकों के प्रति कृतज्ञता और उनके सम्मान का प्रतीक है।
जनप्रतिनिधियों ने दी सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करने की अपील
वर्तमान जिला पंचायत सदस्य बिग्गन भारती ने भी कार्यक्रम को संबोधित करते हुए श्रमिक हितों की रक्षा के लिए समाज और सरकार दोनों को मिलकर आगे आने की अपील की। उन्होंने कहा कि समाज तभी प्रगति कर सकता है जब श्रमिकों को सुरक्षा, सम्मान और समान अवसर मिलें।
मजदूरी वृद्धि और काम के दिन बढ़ाने की उठी मांग
तौहीद अली ने महंगाई को ध्यान में रखते हुए मजदूरी दर को ₹500 प्रतिदिन करने की मांग उठाई। वहीं इस्लाम अली ने कहा कि सभी श्रमिकों को प्रति वर्ष कम से कम 200 दिन के काम की गारंटी मिलनी चाहिए।
जलवायु परिवर्तन के प्रभावों पर भी जताई चिंता
प्रमोद कुमार ने जलवायु परिवर्तन के कारण श्रमिकों को बढ़ती शारीरिक समस्याओं की ओर ध्यान दिलाया और सरकार से ‘मजदूर सम्मान निधि’ जैसी योजना शुरू करने की मांग की, ताकि श्रमिकों को सामाजिक और आर्थिक संबल मिल सके।
इतिहास और प्रेरणा: मजदूर दिवस का महत्व
कार्यक्रम के दौरान वक्ताओं ने बताया कि मजदूर दिवस की शुरुआत 1889 में पेरिस में अंतर्राष्ट्रीय समाजवादी सम्मेलन के दौरान हुई थी, जब 1 मई को श्रमिकों के लिए समर्पित दिन घोषित किया गया। भारत में यह दिवस 1923 में चेन्नई में पहली बार मनाया गया।
समापन में एकजुटता का संकल्प
कार्यक्रम का समापन श्रमिकों के सम्मान में एकजुटता के संकल्प के साथ किया गया। उपस्थित प्रतिभागियों ने मिलकर श्रमिक अधिकारों के प्रति सजग रहने और सामाजिक सुरक्षा, न्यायसंगत मजदूरी और सम्मानजनक जीवन सुनिश्चित करने की दिशा में काम करते रहने का प्रण लिया।

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