लेख -राजेश कुमार गुप्ता (भूगोल प्रवक्ता ,पीएम श्री राजकीय इंटर कॉलेज दुद्धी सोनभद्र)
दुद्धी सोनभद्र उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले के दुद्धी तहसील अंतर्गत चितपहरी क्षेत्र में यूरेनियम जैसे बहुमूल्य खनिज का पाया जाना न केवल स्थानीय क्षेत्र बल्कि पूरे प्रदेश के लिए एक ऐतिहासिक और रणनीतिक महत्व की खोज है। यूरेनियम एक अत्यंत कीमती और ऊर्जा उत्पादन के लिए उपयोगी खनिज है, जिसका उपयोग मुख्यतः परमाणु ऊर्जा संयंत्रों में बिजली उत्पादन हेतु किया जाता है। इस खोज से कई महत्वपूर्ण लाभ सामने आ सकते हैं:-
1. ऊर्जा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता-
भारत में ऊर्जा की मांग तेजी से बढ़ रही है और परमाणु ऊर्जा एक स्वच्छ, सस्ती और दीर्घकालिक विकल्प के रूप में उभर रही है। अगर चितपहरी में यूरेनियम का भंडार वाणिज्यिक स्तर पर निकासी योग्य है, तो भारत को यूरेनियम आयात पर निर्भरता कम करनी पड़ेगी। इससे देश की ऊर्जा सुरक्षा सुदृढ़ होगी और स्वदेशी संसाधनों का अधिकतम उपयोग हो सकेगा।
2. स्थानीय विकास और रोज़गार-
खनन गतिविधियों से संबंधित उद्योगों, निर्माण कार्यों, परिवहन, सुरक्षा, खान प्रशासन आदि में हज़ारों लोगों को प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रोजगार मिलेगा। दुद्धी जैसे पिछड़े क्षेत्र में यह आर्थिक क्रांति की तरह हो सकता है। इससे शिक्षा, स्वास्थ्य और आधारभूत संरचनाएं भी विकसित होंगी।
3. राजस्व और आर्थिक लाभ-
यूरेनियम अत्यधिक मूल्यवान खनिज है। इसके खनन से उत्तर प्रदेश सरकार को भारी राजस्व प्राप्त होगा, जिससे राज्य की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी। स्थानीय पंचायतों और नगर निकायों को भी खनिज रॉयल्टी के माध्यम से निधि प्राप्त होगी, जिससे ग्राम स्तर पर विकास की गति तेज होगी।

4. सुरक्षा और रणनीतिक दृष्टिकोण-
परमाणु ऊर्जा और यूरेनियम का उपयोग राष्ट्रीय सुरक्षा और रक्षा प्रणालियों में भी होता है। देश की रणनीतिक शक्ति को मजबूत करने के लिए यूरेनियम की घरेलू उपलब्धता महत्वपूर्ण है। इस दृष्टिकोण से चितपहरी की खोज राष्ट्रहित में एक निर्णायक कदम हो सकती है।
5. इन्फ्रास्ट्रक्चर और नगरीकरण-
खनिज परियोजनाओं के साथ सड़कों, बिजली, पानी, अस्पताल, स्कूल जैसे बुनियादी ढांचे का विस्तार होता है। इससे दुद्धी और इसके आसपास के गांवों का शहरीकरण तेज होगा, जिससे स्थानीय लोगों को आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध होंगी।
6. महिलाओं और कमजोर वर्गों का सशक्तिकरण-
खनन और ऊर्जा आधारित विकास परियोजनाओं के माध्यम से महिलाओं और अनुसूचित जनजाति समुदायों के लिए विशेष रोजगार व उद्यमिता के अवसर उपलब्ध हो सकते हैं। यदि सही योजनाएं और नीतियाँ अपनाई जाएँ, तो महिलाओं के लिए स्वयं सहायता समूह, सिलाई-कढ़ाई केंद्र, खाद्य प्रसंस्करण इकाइयाँ आदि स्थापित की जा सकती हैं, जिससे उनकी आर्थिक आत्मनिर्भरता बढ़ेगी।
7. विज्ञान और अनुसंधान को बढ़ावा-
यूरेनियम जैसे रेडियोधर्मी तत्वों का वैज्ञानिक और औद्योगिक महत्व अधिक होता है। इससे जुड़े अनुसंधान कार्यों को बढ़ावा देने के लिए सरकार और विश्वविद्यालय रिसर्च सेंटर स्थापित कर सकते हैं। यह न केवल स्थानीय छात्रों के लिए अवसर देगा, बल्कि पूरे राज्य के लिए ज्ञान-विकास का केंद्र बन सकता है।
8. स्थानीय प्रशासन की सशक्तता-
खनिज संसाधनों से समृद्ध क्षेत्रों में सरकार स्थानीय प्रशासन को अधिक सशक्त बनाती है ताकि वह विकास कार्यों का कुशलता से संचालन कर सके। दुद्धी तहसील को यदि इस क्षेत्र में महत्त्व मिलता है, तो वहाँ उपजिलाधिकारी से ऊपर के अधिकारियों की तैनाती, बजट वृद्धि, और योजनाओं का त्वरित क्रियान्वयन संभव होगा। इससे प्रशासनिक व्यवस्था अधिक कुशल और जनोन्मुखी बनेगी।
निष्कर्ष:-
चित पहरी में यूरेनियम की खोज दुद्धी तहसील और पूरे सोनभद्र के लिए ऐतिहासिक अवसर लेकर आई है। यदि सरकार और संबंधित एजेंसियाँ सही तरीके से इसका दोहन करें, तो यह क्षेत्र उत्तर प्रदेश का ऊर्जा और औद्योगिक हब बन सकता है। बशर्ते कि खनन पर्यावरणीय संतुलन, आदिवासी अधिकारों और पारदर्शिता के साथ किया जाए, यह खोज आने वाले वर्षों में पूरे क्षेत्र की तकदीर बदल सकती है।

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