March 15, 2025 8:23 PM

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Sonbhadra News : दुद्धी में ऐतिहासिक होली की बारात, शिव तांडव नृत्य और मसान खोपड़ी संग मची धूम

Sonbhadra News | जितेन्द्र कुमार चन्द्रवंशी ब्यूरो चीफ सोनभद्र

दुद्धी, सोनभद्र – गुरुवार देर शाम दुद्धी में होली की ऐतिहासिक बारात परंपरागत अंदाज में निकाली गई, जिसमें भूत-पिशाच, दानव और दिगंबर स्वरूप शिव भक्तों ने जमकर नृत्य किया। इस दौरान भोलेनाथ के स्वरूप धरे भक्तों ने मसाने की होली खेली, जिससे पूरा नगर सनातन परंपराओं के रंग में रंग गया।

बारात में दूल्हा घोड़े पर सवार था, जबकि सहबाला के साथ बाराती बुलडोजर पर चिलम, गांजा, भांग का प्रतीकात्मक प्रदर्शन कर झूमते-गाते चल रहे थे। दहेज प्रथा के विरोध में टूटे हुए फ्रिज, कूलर, बक्सा, टीवी और अलमारी को प्रतीकात्मक रूप में दिखाया गया।

शिव तांडव और मसाने की होली ने मोहा मन

होली बारात के दौरान जय हिंद क्लब के अध्यक्ष रंजीत कुमार अग्रहरी उर्फ रंजू, गोपाल प्रसाद अग्रहरी, रंजू सोनी, सुमित सोनी, भोला सोनी, सतीश कुमार सोनी आदि के शानदार संयोजन में आयोजन किया गया। बारात में विशेष आकर्षण का केंद्र काशी के मसाने की होली का जीवंत मंचन रहा।

बारात में शामिल शिवभक्तों ने मसान खोपड़ी संग भूत-पिशाचों के साथ शिव तांडव नृत्य किया। दिगंबर स्वरूप में शिवभक्तों ने मसान की राख, अबीर और गुलाल उड़ाते हुए अग्नि के चारों ओर नृत्य किया, जिससे जनमानस चकित रह गया। ऐसा प्रतीत हो रहा था मानो स्वयं महादेव दुद्धी की पावन धरती पर अवतरित होकर मसाने की होली खेलने आए हों।

संकट मोचन मंदिर पर हुआ भव्य स्वागत

नगर भ्रमण के बाद होली की बारात संकट मोचन मंदिर पहुंची, जहां रामलीला कमेटी द्वारा फाग गीतों का आयोजन किया गया था। मंदिर परिसर में पहुंचते ही पटाखों और आतिशबाजी के बीच अबीर-गुलाल उड़ाया गया, जिससे सड़कें लाल, गुलाबी, हरे, नीले और पीले रंगों से सराबोर हो गईं।

सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद

त्योहार के दौरान पुलिस प्रशासन मुस्तैद रहा। सुरक्षा व्यवस्था की कमान क्षेत्राधिकारी प्रदीप सिंह चंदेल, कोतवाली प्रभारी मनोज कुमार सिंह, कस्बा प्रभारी श्यामजी यादव के नेतृत्व में संभाली गई। पुलिस बल और पीएसी के जवान चप्पे-चप्पे पर तैनात रहे और देर रात तक सुरक्षा की निगरानी करते रहे।

वैदिक मंत्रोच्चार के बीच हुआ होलिका दहन

रात्रि 11:15 बजे वैदिक मंत्रों के साथ अग्नि प्रज्वलित की गई। पूज्य बैगा द्वारा गाड़े गए सेमर की लकड़ी से अग्नि को प्रज्ज्वलित किया गया। जैसे ही होलीका दहन हुआ, मानो भक्त प्रह्लाद की रक्षा का परिदृश्य पुनः जीवंत हो उठा।

लोगों ने परंपरा के अनुसार उबटन, गोइठा, सरसों, गेहूं, चने की बाली अग्नि को अर्पित की। कई सनातन धर्मावलंबियों ने गेहूं और चने की बाली को प्रसाद स्वरूप घर ले जाकर परिवारजनों को बांटा और एक-दूसरे को होली की शुभकामनाएँ दीं।

होलिका दहन का ऐतिहासिक महत्व

मान्यता है कि होलिका दहन की परंपरा अखंड भारत के मुल्तान (पाकिस्तान) से प्रारंभ हुई थी, जहां ब्रह्मांड मुनि मंदिर स्थित नरसिंह भगवान का मंदिर है। हालांकि, इस मंदिर को अब आतताइयों ने खंडहर में तब्दील कर दिया है। बावजूद इसके, वहां आज भी होलिका दहन की परंपरा निभाई जाती है।

‘जोगीरा सारा रा रा…’ के साथ मची होली की धूम

होलिका दहन के उपरांत ‘जोगीरा सारा रा रा’, ‘बुरा न मानो होली है’ आदि परंपरागत गीतों के साथ होली के त्योहार का रंग परवान चढ़ गया।

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