Sonbhadra News | वेदव्यास सिंह मौर्य | सोनप्रभात
सोनभद्र। सरकार द्वारा स्वच्छता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से ग्राम पंचायतों में बनाए गए आरआरसी (रिसोर्स रिकवरी सेंटर) अब जमीनी हकीकत में शोपीस बनकर रह गए हैं। नगवां ब्लॉक के अधिकतर गांवों में कूड़ा-कचरा न तो इकट्ठा किया जा रहा है और न ही निर्धारित व्यवस्था के अनुसार आरआरसी सेंटर में जमा किया जा रहा है। स्थिति यह है कि लाखों रुपए की लागत से बनी इन संरचनाओं का कोई उपयोग नहीं हो रहा है।
कूड़ा ढोने वाली गाड़ियां गायब या बन गईं शोभा की वस्तु
सरकार द्वारा ग्राम पंचायतों को स्वच्छ बनाने के लिए प्रत्येक पंचायत को एक लाख पचास हजार रुपए की लागत से कूड़ा ढोने के वाहन उपलब्ध कराए गए थे। इनका उद्देश्य था कि घर-घर से सूखा और गीला कचरा अलग-अलग एकत्र कर आरआरसी सेंटरों में जमा किया जाए। परन्तु जमीनी सच्चाई यह है कि कई गांवों में ये वाहन पंचायत प्रतिनिधियों के घरों की शोभा बढ़ा रहे हैं, जबकि गांव में कचरा खुले में सड़ता पड़ा है।

अधिकारियों की उदासीनता से बिगड़ रही स्थिति
ब्लॉक स्तर के अधिकारी और पंचायत सचिव स्वच्छता अभियान को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं। कागजी खानापूर्ति कर सरकार को गुमराह किया जा रहा है। यदि कोई जागरूक नागरिक या पत्रकार सफाई व्यवस्था की दुर्दशा को उजागर करता है, तो शिकायतकर्ता को ही झूठा साबित करने का प्रयास होता है।
स्वच्छता अभियान कागजों तक सीमित
‘मेरा प्लास्टिक मेरी जिम्मेदारी’ जैसे अभियानों के तहत ग्रामीणों को जागरूक करने की बात तो की जा रही है, लेकिन नगवां ब्लॉक में यह पहल केवल कागजों पर सिमटी हुई है। सफाईकर्मियों का भी हाल बेहाल है, वे स्वयं को उच्चाधिकारी समझते हैं और सफाई कार्यों में रुचि नहीं लेते। उनके कार्यों की कोई नियमित समीक्षा भी नहीं हो रही है।
जिला पंचायत राज अधिकारी ने लिया संज्ञान
जब इस मुद्दे पर जिला पंचायत राज अधिकारी नमिता शरण से संपर्क किया गया, तो उन्होंने गंभीरता से संज्ञान लेते हुए कहा कि, “क्यों ग्राम पंचायतों में कूड़ा-कचरा आरआरसी सेंटरों में नहीं पहुंचाया जा रहा है, इसकी जांच हेतु मैं जल्द ही नगवां ब्लॉक का दौरा करूंगी।”
उनकी इस प्रतिक्रिया से ग्रामीणों में उम्मीद जगी है कि दोषियों के खिलाफ ठोस कार्रवाई होगी और स्वच्छता अभियान को नए सिरे से धरातल पर उतारा जाएगा।
स्वच्छता ही स्थायित्व की नींव
स्वच्छता केवल एक सरकारी योजना नहीं, बल्कि ग्रामीण विकास और स्थायी जीवनशैली की बुनियाद है। यदि ग्राम पंचायतों में कूड़ा प्रबंधन को सही तरीके से लागू नहीं किया गया, तो इसका दुष्प्रभाव न केवल पर्यावरण पर, बल्कि स्वास्थ्य और आर्थिक स्थिति पर भी पड़ेगा। अब जरूरत इस बात की है कि योजनाओं को ईमानदारी से जमीन पर उतारा जाए, ताकि ग्राम पंचायतें सचमुच स्वच्छ और स्वस्थ बन सकें।

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