Sonbhadra News l Vinod Gupta
बीजपुर (सोनभद्र)। उत्तर प्रदेश सरकार और नीति आयोग की तमाम योजनाओं के बावजूद सोनभद्र जिले में प्री-प्राइमरी शिक्षा से जुड़े सरकारी कार्यक्रमों का लाभ जमीनी स्तर पर बच्चों तक नहीं पहुंच पा रहा है। म्योरपुर ब्लॉक शिक्षा क्षेत्र में संचालित को-लोकेटेड आंगनबाड़ी माता उन्मुखीकरण बाल वाटिका और हाल ही में संपन्न हुए “हमारे आंगन हमारे बच्चे” कार्यक्रम में व्यापक वित्तीय अनियमितताओं के आरोप सामने आए हैं। सूत्रों के अनुसार, स्टेशनरी की खरीद से लेकर पुरस्कार वितरण तक लाखों रुपये की हेराफेरी की गई है। यदि इस घोटाले की निष्पक्ष जांच कराई जाए, तो एबीएसए सहित कई प्रधानाध्यापकों की भूमिका संदेह के घेरे में आ सकती है।
लिखित गाइडलाइन को दरकिनार कर हुआ भ्रष्टाचार
बाल विकास विभाग के सहयोग से संचालित प्री-प्राइमरी शिक्षा के लिए सरकार ने बेहतर गुणवत्ता वाली शिक्षा, खेल सामग्री, लर्निंग कॉर्नर और माता उन्मुखीकरण के उद्देश्य से पर्याप्त धनराशि आवंटित की थी। शासन ने इस धनराशि के उपयोग हेतु स्पष्ट गाइडलाइन भी जारी की थी, लेकिन सूत्रों की मानें तो एबीएसए ने प्रधानाध्यापकों से मिलीभगत कर सरकारी धन को खर्च करने के बजाय कागजी खानापूर्ति कर दी।
भाजपा मंडल मंत्री ईश्वरी प्रसाद ने इस पूरे मामले में निष्पक्ष जांच की मांग करते हुए मंत्रालय एवं जिलाधिकारी सहित उच्चाधिकारियों को पत्र भेजा है। पत्र में उन्होंने आरोप लगाया है कि बीआरसी देवरी म्योरपुर में आयोजित “हमारे आंगन हमारे बच्चे” कार्यक्रम में पुरस्कार वितरण के नाम पर महज ज्योमेट्री बॉक्स और दो कॉपियां देकर औपचारिकता निभा दी गई, जबकि निर्धारित बजट के अनुसार पूरे ब्लॉक के न्याय पंचायतों को शामिल कर समुचित धनराशि पुरस्कार हेतु खर्च किया जाना था।
टीएलएम और आंगनबाड़ी मेला भी नहीं हुआ आयोजित
आरोप है कि कार्यक्रम में आंगनबाड़ी मेला और टीएलएम (शिक्षण अधिगम सामग्री) मेला का आयोजन किया जाना था, लेकिन इसे पूरी तरह नज़रअंदाज कर दिया गया। मंडल मंत्री ने सरकार की “जीरो टॉलरेंस” नीति का हवाला देते हुए कहा कि सरकार भ्रष्टाचार पर सख्त कार्रवाई के लिए प्रतिबद्ध है, लेकिन इस तरह की घटनाएं प्रशासन की निष्क्रियता को दर्शाती हैं और सरकार की छवि को धूमिल कर रही हैं।
अधिकारी सवालों से बच रहे, बीईओ ने फोन किया डिस्कनेक्ट
इस मामले में जब खंड शिक्षा अधिकारी (बीईओ) विश्वजीत कुमार से उनका पक्ष जानने के लिए संपर्क किया गया, तो उन्होंने फोन काट दिया, जिससे संदेह और भी गहरा गया है।
जांच की मांग, दोषियों पर हो कार्रवाई
इस गम्भीर मामले को लेकर क्षेत्र में आक्रोश व्याप्त है। स्थानीय लोगों और जनप्रतिनिधियों ने इस घोटाले की उच्चस्तरीय जांच की मांग की है। यदि समय रहते इस पर ध्यान नहीं दिया गया, तो प्री-प्राइमरी शिक्षा से जुड़े सरकारी कार्यक्रमों की विश्वसनीयता पर गंभीर सवाल खड़े हो सकते हैं।
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