March 12, 2025 2:47 AM

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Sonbhadra News : बंदरों के आतंक से त्रस्त किसान, खेती करना किया बंद – ग्रामीणों ने जिला प्रशासन से की मदद की गुहार

Sonbhadra News : बंदरों के आतंक से त्रस्त किसान: फसलें बर्बाद, घरों को नुकसान, कई ने खेती छोड़ने का लिया फैसला

Sonbhadra News | Sonprabhat |  Prashant Dubey/ Babulal Sharma

म्योरपुर,सोनभद्र | जिले के म्योरपुर विकास खंड के ग्रामीण अंचलों में बंदरों के आतंक से किसान और ग्रामीण बेहद परेशान हैं। बंदरों के लगातार हमले से न केवल उनकी फसलें नष्ट हो रही हैं, बल्कि घरों और बगीचों को भी काफी नुकसान हो रहा है। स्थिति इतनी गंभीर हो गई है कि कई किसानों ने खेती करना ही बंद कर दिया है और मजदूरी कर जीवन यापन करने को मजबूर हैं।

गांवों में बंदरों का बढ़ता आतंक

म्योरपुर क्षेत्र के खैराही, किरवानी, रनटोला, रासपहरी, कुंडाडीह और म्योरपुर सहित कई गांवों में बंदरों का झुंड खेतों और घरों पर हमला कर रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि बंदर उनकी फसलों को पूरी तरह नष्ट कर देते हैं, जिससे उन्हें भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है।

बंदरों के आतंक

कारण और प्रभाव

  • वन क्षेत्र छोड़ गांवों में आ रहे बंदर: औद्योगिक क्षेत्र में प्रदूषण और एक रसायन निर्माता कारखाने से निकलने वाली गैस के कारण बंदरों ने जंगल छोड़ गांवों को अपना स्थायी बसेरा बना लिया है।
  • खपरैल मकानों को नुकसान: अधिकतर ग्रामीणों के मकान कच्चे और खपरैल के हैं। बंदरों का झुंड मकानों पर चढ़कर धमा-चौकड़ी मचाता है और छतों को नुकसान पहुंचाता है, जिससे बारिश के मौसम में ग्रामीणों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।
  • खेती पर सीधा असर: बंदर खेतों में घुसकर पूरी फसल चौपट कर रहे हैं। साग-सब्जियां और फलदार पौधे तक सुरक्षित नहीं हैं। किसान बड़ी मुश्किल से बीज, खाद और जोताई पर खर्च करते हैं, लेकिन पैदावार के नाम पर उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ता है।

ग्रामीणों की पीड़ा

ग्रामीणों ने बताया कि वे सभी तरीके आजमा चुके हैं, लेकिन बंदरों को भगाने के सारे प्रयास विफल हो रहे हैं।
जनार्दन केशव, रामदेव, रामेश्वर, कैलाश, छोटेलाल, श्यामलाल, सीताराम, सुरेंद्र, अमेरिका, आशा, सिंगारो, ननकी और रंगलाल जैसे कई किसानों ने बताया कि वे खेती छोड़ने को मजबूर हो गए हैं और अब मजदूरी कर गुजर-बसर कर रहे हैं।

प्रशासन से मदद की मांग

ग्रामीणों ने जिला प्रशासन से इस गंभीर समस्या का समाधान निकालने की मांग की है। उनका कहना है कि यदि जल्द ही कोई कदम नहीं उठाया गया, तो खेती करना असंभव हो जाएगा और किसानों की आर्थिक स्थिति और ज्यादा खराब हो जाएगी।

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