April 19, 2025 11:57 AM

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Sonbhadra News : भूख-प्यास ने किया जंगली जानवरों को बस्तियों की ओर मजबूर

Sonbhadra News | Sonprabhat | Vinod Gupta

बीजपुर (सोनभद्र)। भीषण गर्मी के चलते जंगलों में जल और भोजन की कमी का संकट इतना गहरा गया है कि जंगली जानवर अब इंसानी बस्तियों की ओर रुख कर रहे हैं। इससे न केवल वन्यजीवों के लिए संकट बढ़ा है, बल्कि लोगों में दहशत का माहौल भी पैदा हो गया है। जरहा वन रेंज के कई गांवों और कस्बों से लेकर एनटीपीसी रिहंद परियोजना की आवासीय कालोनी तक हिंसक जानवरों की आमद दर्ज की गई है, जिससे सुरक्षा एजेंसियां अलर्ट मोड में आ गई हैं।

लकड़बग्घे ने किया हमला, दहशत में ग्रामीण

शुक्रवार को एक हिंसक लकड़बग्घे ने एक बच्चे और एक बुजुर्ग पर हमला कर दिया। घटना के बाद लोगों में भय का माहौल है और उन्होंने वन विभाग से बस्ती क्षेत्र में गश्त बढ़ाने की मांग की है।

सड़क पर हिरनों का झुंड, हादसा होते-होते बचा

शुक्रवार को ही नेमना जंगल के अंधा मोड़ के पास तीन हिरनों का झुंड सड़क पार करता देखा गया। झुंड में एक बड़ा सिंघ वाला हिरन और उसके दो छोटे बच्चे शामिल थे। इसी दौरान एक बाइक सवार सड़क पर गिर पड़ा, गनीमत रही कि जान का नुकसान नहीं हुआ।

एनटीपीसी कालोनी में भी घुसा लकड़बग्घा

गुरुवार देर रात एनटीपीसी रिहंद परियोजना की आवासीय कॉलोनी में भी एक लकड़बग्घे की चहलकदमी का वीडियो वायरल हुआ, जिसके बाद कॉलोनी प्रबंधन ने सुरक्षा कड़ी कर दी है। इससे पहले चेतवा गांव में भी एक घायल लकड़बग्घा दिखाई दिया था, जिसे वन विभाग की टीम ने खदेड़ कर छत्तीसगढ़ की ओर वापस भेजा।

छत्तीसगढ़ से सोनभद्र की ओर पलायन कर रहे हिंसक जानवर

जानकारी के अनुसार छत्तीसगढ़ के जंगलों से भटककर यूपी के सीमावर्ती क्षेत्रों तक पहुंचे जंगली जानवर गर्मी में भोजन और पानी की तलाश में बस्तियों की ओर आ रहे हैं। यह स्थिति मानव-वन्यजीव संघर्ष को बढ़ा रही है।

डीएफओ का बयान: जल्द बनेंगे जलस्रोत

रेणुकूट के डीएफओ भानेन्द्र सिंह ने बताया, “गर्मी में जंगलों में पानी की कमी के चलते जानवर बस्तियों की ओर चले आते हैं। हमने कुछ स्थान चिन्हित किए हैं जहाँ जल्द ही जलस्रोतों की व्यवस्था कराई जाएगी, ताकि जानवरों को बस्तियों की ओर आने से रोका जा सके।”

ग्रामीणों की मांग: वन विभाग करे लगातार गश्त

स्थानीय लोगों ने वन विभाग से आग्रह किया है कि बस्ती क्षेत्र में गश्त और निगरानी को बढ़ाया जाए और आवश्यकतानुसार पिंजरे और बचाव दल की तैनाती की जाए ताकि वन्यजीवों से होने वाले खतरों से बचाव हो सके।

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