Sonbhadra News : राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के दावे पर उठे सवाल — सिंगरौली क्षेत्र में उड़ती राख और दूषित जल का भयावह सच उजागर

म्योरपुर (सोनभद्र) Prashant Dubey – Sonprabhat News 

ऊर्जा नगरी के नाम से प्रसिद्ध सिंगरौली-सोनभद्र परिक्षेत्र एक बार फिर प्रदूषण की भयावहता को लेकर सुर्खियों में है। राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के उस दावे को सिरे से खारिज करते हुए सिंगरौली प्रदूषण मुक्ति वाहिनी के संयोजक रामेश्वर प्रसाद ने कहा है कि बोर्ड द्वारा एनजीटी (राष्ट्रीय हरित अधिकरण) में दिया गया हलफनामा जमीनी सच्चाई से बिल्कुल परे है।


एनजीटी और सुप्रीम कोर्ट की टीम ने किया निरीक्षण

शनिवार और रविवार को सुप्रीम कोर्ट एवं एनजीटी की अधिवक्ता सृष्टि अग्निहोत्री और संजना के साथ संयोजक रामेश्वर प्रसाद ने सिंगरौली क्षेत्र का विस्तृत निरीक्षण किया। टीम ने म्योरपुर ब्लॉक के शक्तिनगर स्थित बलियानाला, बेलवादह राखी बांध, अनपरा, ओबरा के चकाड़ी, और उत्तर प्रदेश–मध्य प्रदेश सीमा पर बने राखी बांध का दौरा किया।

निरीक्षण के दौरान टीम ने देखा कि सड़कों पर लगातार धूल उड़ रही थी और रिंहद जलाशय एवं रेणुका नदी में राखड़ (फ्लाई ऐश) का बहाव जारी था। जबकि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने अपने दावे में कहा था कि नदियों और जलाशयों में राखड़ नहीं छोड़ी जा रही है। टीम ने इस दावे को “झूठा और भ्रामक” बताया।


एनजीटी के निर्देशों का हो रहा उल्लंघन

टीम ने बताया कि एनजीटी द्वारा राख निस्तारण और पर्यावरण सुरक्षा को लेकर स्पष्ट दिशा-निर्देश दिए गए हैं, जिनका उल्लंघन सिंगरौली क्षेत्र में खुलेआम हो रहा है। औद्योगिक इकाइयों द्वारा राख का उचित निस्तारण नहीं किया जा रहा, जिससे जल स्रोत गंभीर रूप से प्रदूषित हो रहे हैं।

संयोजक रामेश्वर प्रसाद ने कहा —

“राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने एनजीटी में जो हलफनामा दिया है और जो सच्चाई ज़मीन पर दिखी, उसमें बहुत बड़ा अंतर है। यह पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य दोनों के लिए खतरे की घंटी है।”


ग्रामीणों ने बयां किया दर्द — “राख से पानी और हवा दोनों जहर बने”

निरीक्षण के दौरान टीम ने चकाड़ी, अनपरा, बीजपुर, नधिरा, किरवानी जैसे इलाकों में ग्रामीणों से मुलाकात की। ग्रामीणों ने बताया कि उद्योगों से निकलने वाली राख और उड़ती धूल के कारण पीने का पानी दूषित हो चुका है।

ग्रामीणों ने बताया कि —

“हवा में राख और सड़कों पर उड़ती धूल से सांस लेना मुश्किल हो गया है। हमारे बच्चे और बुजुर्ग लोग लगातार बीमार पड़ रहे हैं।”

स्थानीय लोगों ने बताया कि क्षेत्र में कैंसर, सांस की बीमारी, पाचन तंत्र की समस्या, ब्लड प्रेशर और जोड़ों के दर्द जैसी बीमारियाँ तेजी से बढ़ रही हैं।


जवाबदेही पर सवाल, मांगी गई संयुक्त जांच

निरीक्षण के बाद संयोजक रामेश्वर प्रसाद ने राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों पर गंभीर लापरवाही का आरोप लगाते हुए केंद्र और राज्य सरकार से संयुक्त जांच टीम गठित करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि —

“इस जांच में सिंगरौली प्रदूषण मुक्ति वाहिनी के सदस्यों को भी शामिल किया जाए ताकि वास्तविक स्थिति उजागर हो सके।”


जगतनारायण विश्वकर्मा ने कहा — “रहना हुआ मुश्किल”

पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में लंबे समय से सक्रिय वरिष्ठ कार्यकर्ता जगतनारायण विश्वकर्मा ने कहा कि —

“अब सिंगरौली क्षेत्र में रहना दिन-ब-दिन कठिन होता जा रहा है। हर जगह राख की परत जम चुकी है। सरकार को तत्काल ठोस कदम उठाने होंगे।”


प्रदूषण के खिलाफ जंग — लेकिन जिम्मेदारी किसकी?

सिंगरौली परिक्षेत्र देश की ऊर्जा आपूर्ति का बड़ा केंद्र है, लेकिन यहां के नागरिक इसकी सबसे बड़ी कीमत चुका रहे हैं। जहाँ एक ओर उद्योगों से निकलती राख और धूल ने हवा और पानी को जहर बना दिया है, वहीं प्रशासनिक स्तर पर लापरवाही और झूठे दावे स्थिति को और भयावह बना रहे हैं।


 “जब विकास की कीमत इंसानों के फेफड़ों और नदियों के जल से वसूली जाए, तो यह प्रगति नहीं — त्रासदी कहलाती है।”

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