July 5, 2025 8:34 AM

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Sonbhadra News : रिहंद बांध सिविल खंड पिपरी में भ्रष्टाचार का खुलासा, एक्सईएन और एई पर 40% कमीशन मांगने का आरोप

Sonbhadra News : रिहंद बांध सिविल खंड पिपरी में भ्रष्टाचार का बड़ा खुलासा, ठेकेदारों से 40% कमीशन मांगने और भुगतान रोकने के गंभीर आरोप, न्यायालय के आदेश पर एक्सईएन और एई के खिलाफ धोखाधड़ी व कूटरचना का केस दर्ज,

Sonbhadra News l Sonprabhat l U. Gupta

पिपरी, सोनभद्र l रिहंद बांध सिविल खंड पिपरी में बड़े स्तर पर वित्तीय अनियमितताओं का मामला उजागर हुआ है। एक्सईएन (अधिशासी अभियंता) और एई (सहायक अभियंता) पर ठेकेदारों से कार्यों के भुगतान में 40% कमीशन मांगने, एतराज करने वालों का भुगतान रोकने और जांच में गड़बड़ियों को छिपाने के लिए फर्जी दस्तावेज तैयार करने के गंभीर आरोप लगे हैं। इस प्रकरण में न्यायालय के आदेश पर पिपरी पुलिस ने दोनों अधिकारियों के खिलाफ धोखाधड़ी और कूटरचना का मामला दर्ज कर लिया है।

ठेकेदार ने न्यायालय में दाखिल किया प्रार्थनापत्र

मेसर्स राज इंटरप्राइजेज के प्रोपराइटर मोहम्मद असलम, निवासी मुरलीगढ़ी तुर्रा, थाना पिपरी, ने अधिशासी अभियंता पंकज पाणि शुक्ला और सहायक अभियंता अजय कुमार पांडेय पर गंभीर आरोप लगाते हुए न्यायालय में धारा 175 (3) बीएनएसएस के तहत प्रार्थनापत्र दाखिल किया था। उनका कहना है कि वह वर्षों से ठेकेदारी कर रहे हैं और 28 दिसंबर 2017 को उन्हें रिहंद बांध पिपरी के वर्टिकल ड्रेन होल की सफाई का ठेका मिला था। अनुबंध के अनुसार कार्य पूरा करने के बाद एमबी माप कराई गई और 28 जून 2019 को अधिशासी अभियंता द्वारा 83.58 लाख रुपये की राशि मंजूर करने के लिए भेजी गई थी।

भुगतान से पहले मांगा गया 40% कमीशन

25 फरवरी 2020 को संबंधित विभाग द्वारा 79,63,305 रुपये की स्वीकृति मिलने के बाद, आरोप है कि अधिशासी अभियंता और सहायक अभियंता ने ठेकेदार से अग्रिम रूप से 40% कमीशन की मांग शुरू कर दी। जब ठेकेदार ने कमीशन देने से इनकार कर दिया और विरोध में धरने पर बैठ गए, तो उनके खिलाफ ही एफआईआर दर्ज करा दी गई।

डीएम की जांच में सामने आई गड़बड़ियां

मामले की शिकायत मिलने पर जिलाधिकारी (डीएम) ने जांच कराई, जिसमें यह खुलासा हुआ कि सरकारी धन का दुरुपयोग किया गया और ठेकेदारों के कार्यों का भुगतान रोककर भ्रष्टाचार किया गया। डीएम ने 21 अक्टूबर 2020 को इस संबंध में प्रमुख सचिव, सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग को पत्र भेजकर कार्रवाई की संस्तुति की थी।

गड़बड़ियों को छिपाने के लिए बनाए गए फर्जी दस्तावेज

आरोपियों ने जांच में पाई गई वित्तीय अनियमितताओं से बचने के लिए वास्तविक माप विवरण पुस्तिका के स्थान पर कूटरचित दस्तावेज तैयार किए और बैकडेट में हस्ताक्षर कर सहायक अभियंता तृतीय की मुहर लगा दी। जबकि पहले ही, उन्हीं दस्तावेजों की प्रमाणित फोटो कॉपी जांच अधिकारी को सौंपी जा चुकी थी।

एफआईआर दर्ज, पुलिस कर रही छानबीन

न्यायालय के आदेश के बाद पिपरी पुलिस ने दोनों अधिकारियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 419 (प्रतिरूपण द्वारा धोखाधड़ी), 420 (धोखाधड़ी), 467 (कूटरचना), 468 (धोखाधड़ी के उद्देश्य से कूटरचना) और 471 (फर्जी दस्तावेज का उपयोग) के तहत मामला दर्ज कर लिया है। पुलिस ने जांच शुरू कर दी है और जल्द ही आगे की कार्रवाई की जाएगी।

प्रशासन पर उठे सवाल

इस प्रकरण ने प्रशासनिक कार्यशैली और सिंचाई विभाग में व्याप्त भ्रष्टाचार को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। ठेकेदारों का कहना है कि यदि निष्पक्ष जांच की जाए, तो सिंचाई विभाग में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार का पर्दाफाश हो सकता है।

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