June 9, 2025 3:16 AM

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Sonbhadra News: सीएम योगी के ड्रीम प्रोजेक्ट ‘मेडिकल कॉलेज’ में बायोमेडिकल वेस्ट का खुला निस्तारण, स्वास्थ्य सुरक्षा पर उठे सवाल

  •  नियमों की अनदेखी से मरीजों और आमजन के स्वास्थ्य पर मंडरा रहा खतरा, जिम्मेदारों की चुप्पी से बढ़ी चिंता

Sonbhadra News | Sanjay Singh

सोनभद्र। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के महत्वाकांक्षी स्वास्थ्य प्रकल्प, सोनभद्र मेडिकल कॉलेज में जहां एक ओर सीमावर्ती क्षेत्रों के मरीजों को उन्नत चिकित्सा सुविधाएं देने का लक्ष्य है, वहीं दूसरी ओर बायोमेडिकल कचरे के खुले निस्तारण ने न सिर्फ प्रशासन को कटघरे में खड़ा किया है, बल्कि स्वास्थ्य मानकों पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। मेडिकल कॉलेज परिसर में जिला चिकित्सालय भवन से सटे इलाके में खुले में बायोमेडिकल वेस्ट जलाए जाने की तस्वीरें और वीडियो सामने आने के बाद इलाके में हड़कंप मच गया है। ये दृश्य न केवल खतरनाक हैं, बल्कि साफ तौर पर नियमों की अनदेखी और लापरवाही को उजागर करते हैं।

डरावनी तस्वीरें: खून सने ग्लव्स, पट्टियां और सिरिंज खुले में जलाए जा रहे

मेडिकल वेस्ट के निस्तारण के लिए बनाए गए निर्धारित रंगों वाले कक्षों और गड्ढों की बजाय, परिसर में कचरे के ढेर में दिख रहे ब्लड लगे कॉटन, प्लास्टिक सिरिंज, दवाओं की शीशियां, फेस मास्क और गंदे ग्लव्स न सिर्फ दृश्य को भयावह बनाते हैं, बल्कि यह स्पष्ट करते हैं कि कचरे को न श्रेणीबद्ध किया गया, न ही सुरक्षित तरीके से निस्तारित किया जा रहा है। सवाल यह भी उठ रहे हैं कि जब प्रबंधन के पास वेस्ट सेग्रीगेशन और निस्तारण की पूरी प्रणाली मौजूद है, तो फिर यह लापरवाही क्यों? और क्या इस प्रक्रिया की निगरानी भी नहीं की जा रही?

क्या है बायोमेडिकल वेस्ट निस्तारण का नियम

बायोमेडिकल कचरे को सुरक्षित तरीके से निस्तारित करने के लिए इसे रंग कोड आधारित डिब्बों/कक्षों में रखा जाना अनिवार्य है:

  • पीला: मानव अपशिष्ट, अंग, शरीर तरल पदार्थ, गंदे बिस्तर की चादरें आदि

  • लाल: आईवी ट्यूब, सिरिंज, कैथेटर

  • नीला या सफेद: दवाओं की शीशियां, टूटे हुए कांच के उपकरण

लेकिन परिसर में इस व्यवस्था की अनदेखी की जा रही है, जिससे संक्रमण और पर्यावरणीय संकट की आशंका गहरा रही है।

प्राचार्य का दावा—हर दूसरे दिन वेस्ट उठाया जाता है

मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य प्रो. डॉ. सुरेश सिंह ने मामले में प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि बायोमेडिकल वेस्ट रूम में जो सामग्री डाली जाती है, उसे हर दूसरे दिन गाड़ी द्वारा उठाया जाता है। उन्होंने माना कि तस्वीरों में दिख रहे कुछ ग्लव्स और फेस मास्क नहीं होने चाहिए थे। साथ ही बताया कि प्लास्टिक वेस्ट और खाने-पीने के सामान को खुले स्थान पर डंप कर बाद में मिट्टी से ढक दिया जाता है। उन्होंने यह भी कहा कि स्टाफ को समय-समय पर सेन्सिटाइजेशन ट्रेनिंग दी जा रही है ताकि कचरे का सही तरीके से वर्गीकरण हो सके।

प्रदूषण नियंत्रण विभाग करेगा जांच

इस प्रकरण पर क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण अधिकारी रीतेश तिवारी ने कहा कि मामले की जानकारी लेकर स्थिति के अनुसार आवश्यक कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने माना कि यह मामला गंभीर है और परिसर में कचरे के जलने जैसी घटना चिंताजनक है।

प्रशासन की निगरानी में है जिला अस्पताल का संचालन

गौरतलब है कि मेडिकल कॉलेज परिसर में ही जिला अस्पताल की बिल्डिंग का संचालन भी किया जा रहा है, जिसकी जिम्मेदारी भी मेडिकल कॉलेज प्रशासन पर ही है। ऐसे में कचरा निस्तारण की लापरवाही सीधे प्रशासनिक जवाबदेही पर सवाल खड़े करती है।

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