November 22, 2024 10:34 AM

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Sonbhadra News: सुख, समृद्धि, उज्जवल भविष्य की कामना के लिए प्रातः सूर्य को अर्ध्य के साथ धूमधाम से मना छठ महापर्व

Sonbhadra News/Report: जितेन्द्र कुमार चन्द्रवंशी ब्यूरों चीफ सोनभद्र 

दुद्धी, सोनभद्र । दुद्धी तहसील परिक्षेत्र अंतर्गत नहाय खाय से शुरू हुए आस्था के महापर्व छठ पूजा का आज शुक्रवार को चौथे दिन उगते हुए सूर्य देवता को अर्घ्य देने के साथ ही समापन हो गया।इसके पूर्व गुरुवार को सांध्य अर्घ्य देने के बाद छठ व्रतधारी महिलाएं रातभर नदियों, जलाशयों के किनारे वेदी बनाकर बैठी रही। कहीं -कहीं रातभर जागरण चला तो कहीं महिलाओं ने रातभर जागरण कर छठी मईया का गीत गाते रहे। वहीं शुक्रवार को चार बजे भोर से महिलाएं भगवान भास्कर के उदयाचल स्वरूप को अर्घ्य देने के स्नान ध्यान में जुट गई हैं और पुरे विधि -विधान से करीब 6 बजे अर्घ्य देना शुरू हुआ जो घंटो चलता रहा।

शिवा जी तालाब पर नगर पंचायत अध्यक्ष कमलेश मोहन, अनुसूचित जाति जनजाति मोर्चा प्रदेश उपाध्यक्ष श्रवण सिंह गौंड भाजपा मंडल अध्यक्ष सुमित सोनी जय बजरंग अखाडा समिति अध्यक्ष पंकज जायसवाल, महामंत्री दीपक शाह व छठ पूजा कार्यक्रम को देखते हुए दुद्धी एसडीएम निखिल यादव स्वयं विभिन्न छठ घाटों का जायजा लेते रहे तो वहीं उनकी प्रशासनिक टीम भी जगह -जगह छठ घाटों पर मौजूद रहे और कार्यक्रमों एवं व्यवस्थाओं का जायजा लेते रहे। छठ पूजा का कार्यक्रम दुद्धी तहसील मुख्यालय के प्राचीन शिवाजी तालाब, हिरेश्वर मंदिर लउवा नदी, कैलाश कुंज द्वार मल्देवा, शिव मंदिर खजुरी, ठेमा नदी दिघुल,कनहर नदी टेढ़ा, अमवार सहित अन्य घाटों पर शुक्रवार को अर्घ्य देकर छठ पूजा का समापन किया गया। चौथा दिन यानी सप्तमी तिथि छठ महापर्व का अंतिम दिन होता है।

इस दिन सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है और इसी के साथ छठ महापर्व का समापन हो जाता है।छठ महापर्व की शुरुआत नहाय-खाय से होती है। इसके बाद दूसरे दिन खरना, तीसरे दिन संध्या अर्घ्य और चौथे दिन को ऊषा अर्घ्य के नाम से जाना जाता है।दुद्धी सहित आसपास के क्षेत्रों में बड़े ही धूमधाम से मनाया गया।महिलाओं द्वारा छठ का व्रत संतान की लंबी उम्र और उनके खुशहाल जीवन के लिए रखा जाता है। शिवाजी तालाब छठ घाट के मंच का संचालन वरिष्ठ अधिवक्ता रामपाल जौहरी, आलोक कुमार अग्रहरी, अविनाश कुमार वाह वाह द्वारा किया गया। सुरक्षा व्यवस्था चाकचौबंद सभी घाटों पर रही।

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