- राघवेंद्र नारायण ने जताया ग्राम विकास आयुक्त का आभार, कहा— मजदूरों की पीड़ा का हुआ अंत
Sonbhadra News | Ashish Gupta
सोनभद्र : जिले सहित उत्तर प्रदेश के लाखों मनरेगा श्रमिकों को लंबे इंतजार के बाद एक बड़ी राहत मिली है। पांच माह से लंबित पड़ी मजदूरी में से 30 करोड़ रुपये की राशि का भुगतान अब अकुशल श्रमिकों के खातों में भेजा जा चुका है। इस फैसले से उन हजारों श्रमिक परिवारों को संजीवनी मिली है, जो आर्थिक तंगी और भुखमरी की स्थिति से जूझ रहे थे।
यह पहल एनएसयूआई के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष एवं राष्ट्रीय सचिव राघवेंद्र नारायण के लगातार प्रयासों का परिणाम मानी जा रही है। उन्होंने इस महत्वपूर्ण कार्य के लिए ग्राम विकास आयुक्त श्री जी.एस. प्रियदर्शी का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि उन्होंने मजदूरों की पीड़ा को गंभीरता से समझते हुए त्वरित कार्रवाई की है।
शेष 33 करोड़ का भुगतान जल्द
राघवेंद्र नारायण ने जानकारी दी कि केवल सोनभद्र जिले में ही 33 करोड़ रुपये से अधिक की मजदूरी अभी भी बकाया है। उन्होंने बताया कि इस संबंध में उनकी ग्राम विकास आयुक्त से विस्तृत चर्चा हुई है, जिसमें मजदूरों के शेष भुगतान को शीघ्र जारी करने का आश्वासन मिला है। आने वाले कुछ ही दिनों में यह राशि भी मजदूरों के खातों में ट्रांसफर कर दी जाएगी।
जीवन स्तर में होगा सुधार, पलायन पर लगेगी लगाम
उन्होंने यह भी कहा कि इस भुगतान से न केवल मजदूरों की आर्थिक स्थिति बेहतर होगी, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों से हो रहे श्रमिक पलायन पर भी नियंत्रण लगेगा। मनरेगा योजना के माध्यम से गांवों में ही रोजगार मिलने से ग्रामीण जीवन में स्थायित्व आएगा।
मनरेगा को पूर्णतया प्रभावी बनाने की मांग
राघवेंद्र नारायण ने केंद्र और राज्य सरकार से मनरेगा योजना को 100 प्रतिशत प्रभावी रूप से लागू करने की अपील की है। उन्होंने कहा कि यह योजना कांग्रेस शासन की देन है, जिसने ग्रामीण भारत को रोजगार की गारंटी दी। लेकिन वर्तमान में यह योजना मात्र 40-50% कार्यक्षमता पर चल रही है, जिससे मजदूरों को नियमित रोजगार और समय पर मजदूरी नहीं मिल पा रही।
उन्होंने मांग की कि—
मनरेगा के तहत 100 दिन के रोजगार की गारंटी सख्ती से लागू हो।
मजदूरी का तत्काल भुगतान सुनिश्चित किया जाए।
योजना की निगरानी और पारदर्शिता बढ़ाई जाए।
मजदूरों में खुशी की लहर
इस सकारात्मक कदम के बाद जिले भर के मनरेगा श्रमिकों, ग्राम प्रधानों, पंचायत सदस्यों और ग्रामीण समाज में खुशी और संतोष की लहर है। लंबे समय से मजदूरी का इंतजार कर रहे परिवारों के चेहरों पर मुस्कान लौट आई है।
राघवेंद्र नारायण ने सरकार को धन्यवाद देते हुए कहा, “देर से ही सही, लेकिन यह निर्णय मजदूरों की जिंदगी में उजाला लाने वाला है। अब जरूरत है इस व्यवस्था को मजबूत बनाए रखने की, ताकि भविष्य में किसी भी श्रमिक को अपनी मेहनत की कमाई के लिए महीनों इंतजार न करना पड़े।”

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