• एन जी टी के 28 अगस्त 2018 के आदेश का हो पालन वरना जनधन की होगी भयावह हानि
Sonbhadra News | संवाददाता – आशीष गुप्ता
दुद्धी, सोनभद्र। 5 जून 2025 को विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर दुद्धी ब्लॉक सभागार में “सिंगरौली प्रदूषण मुक्ति वाहिनी” के संयोजन में एक जागरूकता गोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में पर्यावरण संरक्षण, प्रदूषण के दुष्परिणाम और न्यायाधिकरण (NGT) के निर्देशों के अनुपालन को लेकर गंभीर चिंताएं व्यक्त की गईं। मुख्य वक्ता बनवासी सेवा आश्रम गोविंदपुर की महामंत्री शुभा बहन रहीं, जबकि कार्यक्रम की अध्यक्षता रामवृक्ष गौंड ने की।

एनजीटी के आदेशों के अनुपालन की उठी मांग
शुभा बहन ने कहा कि एनजीटी द्वारा 28 अगस्त 2018 को जारी आदेश में सोनभद्र क्षेत्र में व्याप्त पर्यावरणीय संकट को गंभीर मानते हुए आवश्यक कदम उठाने को कहा गया था, लेकिन आज तक उसका पूरी तरह पालन नहीं हुआ है। यदि तत्काल प्रभाव से कार्रवाई नहीं की गई तो आने वाले समय में जनधन की व्यापक हानि हो सकती है।

उन्होंने टॉक्सिकोलॉजिकल लैब की स्थापना, प्रदूषित तत्वों (फ्लोराइड, पारा, मरकरी) की नियमित जांच और उपचार के लिए उच्च स्तरीय चिकित्सा व्यवस्था की मांग की।
बेतहाशा औद्योगिक विस्तार पर चिंता
कार्यक्रम में वक्ताओं ने पावर प्लांट्स के अनियंत्रित विस्तार को मानव जीवन के लिए गंभीर खतरा बताया। विशेष रूप से नगर अध्यक्ष कमलेश मोहन ने भरोसा दिलाया कि वे टॉक्सिकोलॉजिकल लैब स्थापना के लिए शासन स्तर पर प्रयास करेंगे।

नदियों और जैविक खेती के संरक्षण की अपील
नगर पंचायत स्वच्छता मिशन के ब्रांड एंबेसडर जितेन्द्र कुमार चन्द्रवंशी ने ठेमा, लौआ, कनहर और सतवाहिनी जैसी विलुप्त हो रही नदियों को बचाने, जलधाराओं पर अनावश्यक बांध न बनाने और जैविक खेती को बढ़ावा देने की जरूरत पर बल दिया। उन्होंने ओजोन परत की रक्षा, मोबाइल टावरों से हो रहे रेडिएशन और हथियारों की होड़ को भी प्रदूषण का बड़ा कारण बताया।
विद्यालयों से आई नई पीढ़ी की चेतावनी
विद्यालय के प्रधानाध्यापक शैलेश मोहन ने “एक पेड़ मां के नाम” पहल को व्यवहार में उतारने की बात कही। छात्र दिव्यांश गुप्ता ने बताया कि दिल्ली में 22 लाख बच्चे फेफड़े की बीमारियों से पीड़ित हैं और भारत में हर साल 20 लाख लोग पर्यावरण प्रदूषण के कारण मरते हैं। छात्रा सौम्या शर्मा ने भी प्रदूषण के खतरों को उजागर किया। बच्चों को उनके विचारों और प्रस्तुतियों के लिए मुख्य अतिथि द्वारा पुरस्कृत किया गया।
स्थानीय नेतृत्व और जनभागीदारी
उत्तर प्रदेश उद्योग व्यापार मंडल के अध्यक्ष अमरनाथ जायसवाल ने प्लास्टिक प्रतिबंध और उद्योगों के प्रदूषण नियंत्रण के लिए ठोस नीति की मांग की। सिंगरौली प्रदूषण मुक्ति वाहिनी के जवाहरलाल ने ग्राम समाज की भूमि पर नर्सरी और वर्षा आधारित पौधरोपण की योजना पर जोर दिया।

आश्रम प्रबंधक विमल कुमार सिंह ने 5 जून 1972 से शुरू हुए पर्यावरण दिवस के इतिहास और इसके उद्देश्यों पर विस्तार से प्रकाश डाला। वहीं, दव्य अशोक कुमार, शिवनारायण और अन्य ग्रामीणों ने गीतों के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया – “गांव छोड़ब नाहीं, जंगल छोड़ो नाहीं, माई माटी छोड़ब नाहीं…”
जिलाधिकारी को सौंपा गया ज्ञापन
गोष्ठी के अंत में सिंगरौली प्रदूषण मुक्ति वाहिनी की ओर से जिलाधिकारी के नाम ज्ञापन सौंपा गया, जिसमें टॉक्सिकोलॉजिकल लैब की स्थापना, बीमारियों के इलाज की व्यवस्था और एनजीटी के आदेशों के अनुपालन की मांग की गई।
उपस्थित गणमान्य व्यक्तियों की सूची
इस मौके पर चित्रागन दुबे, दीपचंद, प्रेम दयाल, अशोक कुमार, शिवनारायण, सुरेश कुमार, जगत नारायण सहित कई गणमान्य व्यक्ति एवं स्थानीय ग्रामीण उपस्थित रहे।

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