Sonbhadra News : Jitendra Chandravanshi / Sonprabhat News
सोनभद्र: मंगलवार को प्रसिद्ध संत, धार्मिक विचारक एवं सिद्ध पीठ श्री हनुमन्निवास अयोध्या धाम के पीठाधीश्वर पूज्य आचार्य श्री मिथिलेशनंदिनीशरण जी महाराज का भव्य स्वागत सोनभद्र में किया गया। उनके आगमन पर विभिन्न स्थानों पर श्रद्धालुओं ने उत्साहपूर्वक अभिनंदन किया।
गोष्ठी में रखे महत्वपूर्ण विचार
रावटसगंज स्थित होटल ज्योति इंटरनेशनल में आयोजित “ग्राम्य संस्कृति, समृद्धि एवं जीवनबोध” संगोष्ठी को संबोधित करते हुए पूज्य महाराज ने कहा कि “ग्रामीण जीवन ही भारत की मूल प्राण वायु है।” उन्होंने ग्राम्य संस्कृति को संतोष, समृद्धि और सहकारिता का आधार बताते हुए कहा कि इसका मूल भाव कृतज्ञता है।

उन्होंने कहा कि “ग्राम” शब्द का अर्थ ही बाजार-मुक्त व्यवस्था है, जहाँ समानुभूति आधारित सहकारिता की संस्कृति पनपती है। बाजार व्यवस्था ने व्यक्ति से मूल्य छीनकर उसे एक यांत्रिक समाज में परिवर्तित कर दिया है, जबकि ग्रामीण जीवन में आत्मनिर्भरता और परस्पर सहयोग का भाव होता है।
महाराज जी ने बताया कि ग्राम्य संस्कृति में ऐसा कोई भी कार्य नहीं किया जाता जिससे अपशिष्ट उत्पन्न हो। यह जीवनशैली पर्यावरण के अनुकूल होती है। उन्होंने जोर देकर कहा कि हमें बाजार आधारित संस्कृति से हटकर ग्राम्य संस्कृति और जीवनबोध की ओर लौटना होगा ताकि भारत की मूल चेतना को पुनः जागृत किया जा सके।
महाकुंभ को सरकारी योजना कहना अपमान
महाकुंभ को सरकारी योजना बताने वालों पर प्रहार करते हुए पूज्य महाराज ने कहा कि “60 से 70 करोड़ श्रद्धालुओं ने महाकुंभ में कष्ट सहकर स्नान किया। इसे सरकारी योजना कहना सनातन धर्मभाव का अपमान है। यह विशाल जनसमुदाय भारत की धार्मिक आस्था और सनातन परंपरा की शक्ति को प्रदर्शित करता है।”
अन्य कार्यक्रमों में लिया भाग
गोष्ठी के सफल संचालन का दायित्व कार्यक्रम संयोजक पंडित आलोक कुमार चतुर्वेदी ने निभाया, जबकि अध्यक्षता साहित्यकार पारस मिश्र ने की। होटल ज्योति इंटरनेशनल में संगोष्ठी के उपरांत पूज्य महाराज विंध्य कन्या पीजी कॉलेज उरमौरा पहुंचे, जहाँ उन्होंने पत्रकारों से वार्ता की और कॉलेज के सम्मान समारोह में भाग लिया। तत्पश्चात, उन्होंने शिवद्वार में प्रभु भोलेनाथ के दर्शन किए और फिर सोनभद्र के स्थापना दिवस पर सर्किट हाउस के सभागार में आयोजित कार्यक्रम में सम्मिलित हुए।
इस दौरान उपस्थित प्रमुख गणमान्यजनों में राहुल जी, हर्ष अग्रवाल, कीर्तन जी, पारस नाथ मिश्रा, जगदीश पंथी, प्रभात सिंह चंदेल, अरुणेश पांडे, लालजी तिवारी, अवधेश दीक्षित, दयाशंकर पांडे, धनंजय पाठक, प्रवीण पांडे, राज नारायण तिवारी, आनंद त्रिपाठी, प्रद्युम्न त्रिपाठी, डॉ. अंजलि विक्रम सिंह, चित्र जालान एवं अशोक कुमार मिश्रा सहित कई विशिष्ट जन उपस्थित रहे।
पूज्य आचार्य मिथिलेशनंदिनीशरण जी महाराज के विचारों से प्रेरित होकर श्रोता भाव-विभोर हो गए और ग्राम्य संस्कृति के महत्व को पुनः आत्मसात करने का संकल्प लिया।

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