Sonbhadra News | Sonprabhat | U. Gupta / Prashant Dubey
रेणुकूट, सोनभद्र | देश के लिए द्वितीय विश्व युद्ध में अपना योगदान देने वाले स्वर्गीय केदारनाथ दुबे के परिवार को उत्तर प्रदेश जल विद्युत निगम लिमिटेड (UPJVNL) ने अतिक्रमण हटाने और भारी जुर्माना भरने का नोटिस जारी किया है। यह भूमि 1969 में उनकी 95 वर्षीय पत्नी सावित्री देवी के नाम आवंटित की गई थी, इसके बावजूद विभाग ने इसे अतिक्रमण मानते हुए नोटिस भेज दिया।
मामले की पृष्ठभूमि
द्वितीय विश्व युद्ध के सैनिक स्व. केदारनाथ दुबे के पुत्र जनार्दन केशव दुबे को 24 फरवरी 2021 को अधिशासी अभियंता वाई. डी. शर्मा द्वारा नोटिस भेजा गया, जिसमें उनसे आवंटित भूमि से अतिक्रमण हटाने और 10,49,400 रुपये पैनल्टी भरने को कहा गया था।

जनार्दन दुबे के अनुसार, यह भूमि 8 दिसंबर 1969 को उनकी मां सावित्री देवी को सिंचाई विभाग, पिपरी द्वारा आवंटित की गई थी। वर्ष 2009 में उन्होंने 16,835 रुपये बतौर किराया भी जमा किया था। बावजूद इसके, विभाग ने 1 जनवरी 1999 से इस जमीन को अवैध अतिक्रमण के रूप में दर्ज कर लिया और 2020 में अचानक नोटिस जारी कर दिया गया।
नोटिस से वृद्ध मां की तबीयत बिगड़ी
95 वर्षीय सावित्री देवी, जो पहले से वृद्धावस्था से जूझ रही थीं, नोटिस मिलने के बाद मानसिक आघात से लगभग 5-6 महीने तक अस्वस्थ रहीं।
जनार्दन दुबे का कहना है कि इस अन्यायपूर्ण कार्रवाई के कारण उनकी मां को भारी मानसिक पीड़ा और स्वास्थ्य समस्याओं का सामना करना पड़ा।
न्याय की तलाश और प्रशासन की भूमिका
वर्ष 2021 में जनार्दन दुबे ने इस मामले में पुनर्स्थापन याचिका (रीस्टोरेशन) दाखिल की, जिसके बाद 10 दिसंबर 2021 को तत्कालीन उपजिलाधिकारी (SDM) दुद्धी, रमेश कुमार ने एकतरफा फैसला लेकर केस को खारिज कर दिया।
जनार्दन दुबे का आरोप है कि उन्हें निष्पक्ष न्याय नहीं मिला और प्रशासनिक स्तर पर जानबूझकर उत्पीड़न किया जा रहा है।
2006 में विभाग के अधिवक्ता नंदलाल ने 6,000 रुपये लेकर आश्वासन दिया था कि भूमि का आवंटन वैध है और चिंता करने की जरूरत नहीं है, लेकिन इसके बावजूद कार्रवाई की गई।
क्या पूरे जिले में एकतरफा कार्रवाई हो रही है?
जनार्दन दुबे ने आरोप लगाया कि पूरे तुर्रा और पिपरी इलाके में 30,000 से अधिक लोग बिना किसी वैध आवंटन के निवास कर रहे हैं, लेकिन उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई।
दूसरी ओर, उनका कहना है कि पूर्व सैनिक के परिवार को बेवजह परेशान किया जा रहा है।
उन्होंने मुख्यमंत्री पोर्टल पर भी इस अन्याय की शिकायत दर्ज कराई है और निष्पक्ष जांच की मांग की है।
द्वितीय विश्व युद्ध में सैनिक के योगदान की कहानी
स्व. केदारनाथ दुबे वर्ष 1942 में डोगरा रेजीमेंट में भर्ती हुए थे और उन्हें लाहौर (तब पाकिस्तान) में ट्रेनिंग के लिए भेजा गया था।
1945 में भारत-बर्मा युद्ध के दौरान उनके बाएं पैर में गोली लगी थी। इसके बाद, उन्होंने 1952 में रिहंद बांध निर्माण के समय पिपरी आकर बसने का निर्णय लिया।
प्रशासन की दोहरी नीति पर सवाल
- 2022 में शक्तिनगर में पूर्व जिला पंचायत सदस्य मुनीब गुप्ता का तीन मंजिला मकान प्रशासन ने गिरा दिया था, सत्ता पक्ष में न होने के कारण उन्हें लगातार प्रशासनिक उपेक्षा और कठिनाइयों का सामना करना पड़ा।
- लेकिन तुर्रा और पिपरी क्षेत्र में हजारों अवैध कब्जे अब भी बने हुए हैं और उन पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।
- क्या प्रशासन चुनिंदा लोगों पर ही कार्रवाई कर रहा है?
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