Sonbhadra News | Sonprabhat Digital Desk
सोनभद्र। जिले में आंगनबाड़ी कार्यकर्तियों की नियुक्ति में धांधली के आरोपों ने अब कानूनी शक्ल अख्तियार कर ली है। आज 15 अप्रैल को इलाहाबाद हाईकोर्ट में इस मामले की सुनवाई हो रही है। याचिका राजकीय महिला महाविद्यालय की पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष रेनू यादव की ओर से दाखिल की गई है। याचिका में बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग के शीर्ष अधिकारियों से लेकर कई चयनित अभ्यर्थियों तक कुल 14 लोगों को पक्षकार बनाया गया है।
नियुक्ति में धांधली के गंभीर आरोप
रेनू यादव का आरोप है कि मारकुंडी ग्राम पंचायत में वह निर्धारित मानकों के तहत प्रथम वरीयता की पात्र थीं, इसके बावजूद उन्हें चयन सूची से जानबूझकर बाहर कर दिया गया। यही नहीं, जिले के अन्य कई गांवों जैसे – नगवां ब्लॉक के पौनी, राबर्ट्सगंज ब्लॉक के बिजौली, मुठेर, कूरा, अरंगी तथा बभनी ब्लॉक के असनहर गांवों में भी ऐसी ही अनियमितताओं के आरोप लगाए गए हैं।
वायरल ऑडियो ने मामले को और गंभीर बनाया
इस भर्ती घोटाले को लेकर दो कथित ऑडियो क्लिप्स भी वायरल हुए हैं, जिनमें एक अभ्यर्थी से 1.5 लाख रुपये की मांग किए जाने और राशि न देने पर दूसरे को चयनित करने की बात कही गई है। ये ऑडियो सोशल मीडिया पर चर्चा का विषय बने हुए हैं और याचिका में इन्हें प्रमुख साक्ष्य के रूप में प्रस्तुत किया गया है।
सत्तापक्ष ने बताया विपक्ष का षड्यंत्र, जांच ठप
हालांकि जिले स्तर पर इस घोटाले की जांच कराने की बात कही गई थी, लेकिन विकास उत्सव के दौरान सत्तापक्ष ने वायरल ऑडियो को विपक्ष की साजिश करार देते हुए मामले को गंभीरता से लेने से इनकार कर दिया। इसके चलते पीड़ितों की उम्मीदें न्यायालय से ही बंधी हुई हैं।
काउंसलिंग के बाद अपात्र घोषित करने का आरोप
रेनू यादव को पहले काउंसलिंग के लिए बुलाया गया, फिर बाद में आय प्रमाणपत्र छह महीने पुराना होने का हवाला देकर उन्हें अपात्र घोषित कर दिया गया। जबकि नियमों के अनुसार काउंसलिंग के लिए उन्हीं को बुलाया जाना था जिनके दस्तावेज विधिपूर्ण और पात्रता मानकों के अनुसार थे।
हाईकोर्ट में दाखिल याचिका में उठाई गईं ये मांगें
याचिका में कहा गया है कि जिले की भर्ती प्रक्रिया में मनमानी, सेटिंग और आर्थिक लेनदेन जैसे तत्वों के आधार पर निर्णय लिए गए, जिससे वास्तविक पात्र अभ्यर्थियों के साथ अन्याय हुआ। रेनू यादव ने याचिका में भर्ती प्रक्रिया को रद्द करने और नियमों के अनुसार पात्रों का चयन किए जाने की मांग की है।
इनको बनाया गया है पक्षकार
याचिका में बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग के मुख्य सचिव, जिलाधिकारी, मुख्य विकास अधिकारी, जिला कार्यक्रम अधिकारी विनीत सिंह, सीडीपीओ सुभाष मौर्या, एवं चयनित अभ्यर्थियों – सीमा, साधना, अंजू, देवी, अर्चना गिरि और चिंता देवी को पक्षकार बनाया गया है।
फैसले पर टिकी हैं निगाहें
आज हाईकोर्ट में होने वाली सुनवाई से यह स्पष्ट हो सकेगा कि न्यायालय इस मामले को किस दिशा में ले जाता है। यदि कोर्ट ने वायरल ऑडियो और भर्ती में गड़बड़ी को गंभीर मानते हुए कार्रवाई की सिफारिश की, तो जिले में एक बार फिर पारदर्शी और निष्पक्ष चयन प्रक्रिया की उम्मीद जग सकती है।

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