April 18, 2025 7:11 PM

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Sonbhadra News : हैंडपम्प मरम्मत की मांग पर प्रधानपति ने उखड़वाया हैंडपम्प, आदिवासी परिवारों के सामने पानी का संकट गहराया

Sonbhadra News : म्योरपुर ब्लॉक के जामपानी गांव में आदिवासी बस्ती के एकमात्र कार्यशील हैंडपम्प की मरम्मत की मांग पर प्रधानपति ने तानाशाही रवैया अपनाते हुए उसे उखड़वा दिया, जिससे दर्जनों आदिवासी परिवार भीषण गर्मी में जल संकट से जूझ रहे हैं; विरोध करने पर महिलाओं को दी गई गालियां और धमकियां, ग्रामीणों ने पुलिस-प्रशासन से निष्पक्ष जांच और न्याय की लगाई गुहार।

Sonbhadra News | Sonprabhat | Babulal Sharma/ Pankaj Singh

म्योरपुर, सोनभद्र :  विकास खंड अंतर्गत जामपानी गांव की एक आदिवासी बस्ती में मानवता को शर्मसार करने वाली घटना सामने आई है। गांव में हाल ही में हुए उपचुनाव में निर्वाचित प्रधानपति पर आरोप है कि उसने आदिवासी ग्रामीणों द्वारा हैण्डपम्प मरम्मत की मांग किए जाने पर न सिर्फ उनकी अनदेखी की, बल्कि उल्टा उक्त हैंडपंप को ही उखड़वा दिया। इससे बस्ती के करीब 35–40 परिवारों पर पानी का संकट गहरा गया है।

चार महीने से बंद था हैंडपम्प, ग्रामीणों ने की थी मरम्मत की मांग

बस्ती के पीछे करीब 500 मीटर की दूरी पर स्थित एकमात्र चालू जलस्रोत—2015 में रिबोर हुआ हैंडपम्प—पिछले चार महीनों से खराब पड़ा था। स्थानीय निवासियों के अनुसार, अन्य तीन हैंडपम्प ठंड के मौसम से ही पानी देना बंद कर चुके हैं। ऐसे में ग्रामीणों की उम्मीद इसी चौथे हैंडपम्प से थी, जिसकी मरम्मत की मांग लेकर वे नवनिर्वाचित प्रधानपति के पास पहुंचे थे। लेकिन ग्रामीणों के अनुसार, मांग पूरी करने के बजाय प्रधानपति ने अपने लोगों के साथ मिलकर हैंडपम्प को ही उखड़वा दिया।

विरोध करने पर मिली धमकियां, डायल 112 की भी नहीं हुई असरदार मदद

पीड़ित महिला दस मतिया और उसकी बहु जब इस कार्य का विरोध करने पहुंचीं, तो उनके साथ कथित रूप से बदसलूकी की गई और गंभीर धमकियां दी गईं। महिलाओं ने Dial-112 सेवा की मदद भी ली, लेकिन हैंडपम्प फिर भी उखाड़ दिया गया। इससे अब पूरे मोहल्ले को इस भीषण गर्मी में पानी के लिए कई किलोमीटर दूर जाना पड़ रहा है।

जमीन विवाद भी बना उत्पीड़न का कारण, न्याय की मांग

पीड़ित महिला ने बताया कि वह वन विभाग की भूमि पर अपना आशियाना बनाकर रहती हैं और थोड़ी सी भूमि पर खेती करती हैं। जुलाई महीने में कथित प्रधानपति ने अपने साथियों के साथ उसकी खेती वाली जमीन जबरन जोत डाली। विरोध करने पर उसे, उसकी बहू और बेटे को मारा-पीटा गया। इस मामले में केस दर्ज कराने में भी काफी मशक्कत करनी पड़ी, और अंततः पुलिस ने तीन आरोपियों के नाम एफआईआर से हटा दिए।

पीड़िता ने आरोप लगाया कि आरोपियों के सत्ताधारी पक्ष से जुड़े होने के कारण अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो पाई है। उनका यह भी कहना है कि घटना के बाद से उन्हें लगातार प्रताड़ित किया जा रहा है।

ग्रामीणों की प्रशासन से अपील

आदिवासी परिवारों और पीड़ित महिला ने प्रशासन से मांग की है कि इस पूरे प्रकरण की निष्पक्ष जांच कराई जाए और दोषियों के विरुद्ध वैधानिक कार्यवाही की जाए, ताकि आदिवासी समुदाय को न्याय मिल सके और उन्हें बुनियादी सुविधा—पानी—से वंचित न किया जाए।

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