July 1, 2025 6:07 PM

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Sonbhadra News : सोनभद्र में वित्तीय वर्ष के अंतिम दिन बजट खपत की होड़, 7.67 अरब रुपये सरेंडर

Sonbhadra News : विभिन्न विभागों द्वारा आवंटित बजट को खर्च करने के लिए दिनभर चली माथापच्ची, फिर भी 7.67 अरब रुपये सरकारी खजाने में लौटाने पड़े। डीएम कार्यालय, पीडब्ल्यूडी और पुलिस विभाग ने सबसे अधिक धनराशि सरेंडर की, जबकि कारागार प्रशासन ने पूरा बजट खर्च कर दिया।

Sonbhadra News | Sonprabhat Digital Desk

सोनभद्र। वित्तीय वर्ष 2024-25 के समापन के अंतिम दिन जिले में विभिन्न विभागों द्वारा आवंटित बजट को खर्च करने की होड़ मची रही। शासन से मिले धन को पूरी तरह से उपयोग में लाने के लिए विभागीय अधिकारियों ने दिनभर रणनीति बनाई, लेकिन इसके बावजूद कई विभागों को बड़ी धनराशि सरेंडर करनी पड़ी। देर शाम तक जिले के 17 विभागों को कुल 7.67 अरब रुपये की राशि सरकारी खजाने में वापस करनी पड़ी।

सबसे अधिक धनराशि जिला मजिस्ट्रेट (डीएम) कार्यालय द्वारा 6.46 अरब रुपये लौटाई गई, जबकि लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) ने 66.98 करोड़ रुपये सरेंडर किए। इसी तरह पुलिस विभाग को 22.31 करोड़ रुपये, स्वास्थ्य विभाग को 11.93 करोड़ रुपये, तथा होम्योपैथिक विभाग को 11.13 करोड़ रुपये लौटाने पड़े। हालांकि, कारागार प्रशासन एकमात्र ऐसा विभाग रहा, जिसने पूरी आवंटित धनराशि का उपयोग कर लिया।

वित्तीय वर्ष के अंतिम दिन बजट खपत का दबाव

प्रत्येक वर्ष शासन द्वारा जिले के विभिन्न सरकारी विभागों को विकास कार्यों, स्वास्थ्य सेवाओं और नागरिक सुविधाओं को बेहतर बनाने के लिए करोड़ों रुपये का बजट आवंटित किया जाता है। हालांकि, वर्षभर धीमी गति से खर्च होने वाला बजट अंतिम महीनों में तेजी से उपयोग में लाया जाता है। 31 मार्च को वित्तीय वर्ष की समाप्ति के चलते कोषागार में दिनभर विभागीय अधिकारियों की भीड़ लगी रही। अधिकारी देर रात तक लंबित बिलों के निस्तारण में व्यस्त रहे, लेकिन अंततः 7.67 अरब रुपये का बजट खर्च न हो पाने के कारण शासन को वापस करना पड़ा।

सरेंडर की गई धनराशि का विभागवार विवरण

विभिन्न विभागों द्वारा खर्च न हो सकने के कारण सरेंडर की गई धनराशि निम्नलिखित रही:

विभाग का नामसरेंडर की गई राशि (रुपये में)
डीएम कार्यालय6.47 अरब
पीडब्ल्यूडी66.98 करोड़
पुलिस विभाग22.32 करोड़
स्वास्थ्य विभाग11.93 करोड़
होम्योपैथिक विभाग11.13 करोड़
वन विभाग1.19 करोड़
बेसिक शिक्षा विभाग2.70 करोड़
उच्च शिक्षा विभाग41.59 लाख
होमगार्ड विभाग7.71 लाख
सिंचाई विभाग2.77 करोड़
आयुर्वेद विभाग39 लाख
पंचायती राज विभाग21.11 लाख
विकास भवन10 लाख
उद्यान विभाग1.38 लाख
पशुपालन विभाग1.27 लाख
आबकारी विभाग73 हजार

वरिष्ठ कोषाधिकारी इंद्रभान सिंह ने जानकारी देते हुए बताया कि “वित्तीय सत्र समाप्त होने पर विभागों को उनके द्वारा खर्च न की गई राशि को शासन के खजाने में वापस करना आवश्यक होता है। इस वर्ष 17 विभागों ने अपनी बची हुई धनराशि सरकार को लौटा दी है, जिसकी विस्तृत रिपोर्ट शासन को भेजी जा चुकी है।”

बजट के समुचित उपयोग की आवश्यकता

हर साल की तरह इस वर्ष भी बजट के अंतिम महीनों में अधिक खर्च होने की प्रवृत्ति देखने को मिली। इससे स्पष्ट होता है कि विभागीय स्तर पर बजट के उपयोग की प्रभावी योजना नहीं बनाई जा रही है। यदि बजट का उचित प्रबंधन किया जाए तो जिले में विकास कार्यों को गति मिल सकती है और सरकार द्वारा भेजे गए धन का अधिकतम उपयोग हो सकता है। शासन द्वारा विभागीय कार्यों की निगरानी और बजट खपत की समीक्षा की जानी चाहिए ताकि भविष्य में इतनी बड़ी राशि सरकार को वापस न करनी पड़े

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